सूखे पर्वत घटा बिरानी
मौसम भी लाचार है
सुनो ! सुनो ! ये समाचार है
सड़क ओढ़
पगडंडी सोए
उस पर सत्ता काँटे बोए
ज़ख़्मी आँचल
सपने खोए
ममता सिसके आँसू रोए
दिन निकालकर घूँघट घूमे
रात बिकी बाजार है
सुनो ! सुनो ! ये समाचार है
शब्द खेलते गुल्ली डंडा
कलम सिसकती रोती है
सच जब घायल
हो जाता है
रूह दर्द में खोती है
अंधा बहरा हुआ न्याय जब
सुनता कौन गुहार है
सुनो ! सुनो ! ये समाचार है
-0-
मौसम भी लाचार है
सुनो ! सुनो ! ये समाचार है
सड़क ओढ़
पगडंडी सोए
उस पर सत्ता काँटे बोए
ज़ख़्मी आँचल
सपने खोए
ममता सिसके आँसू रोए
दिन निकालकर घूँघट घूमे
रात बिकी बाजार है
सुनो ! सुनो ! ये समाचार है
शब्द खेलते गुल्ली डंडा
कलम सिसकती रोती है
सच जब घायल
हो जाता है
रूह दर्द में खोती है
अंधा बहरा हुआ न्याय जब
सुनता कौन गुहार है
सुनो ! सुनो ! ये समाचार है
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