आप मुझे गाना सिखाइए , मै आपको अभिनय सिखाती हूँ :-पद्मिनी कोल्हापुरे
पद्मिनी कोल्हापुरे ,शक्ति कपूर और नवीन बावा अपने नाटक 'आसमान से गिरे खजूर में अटके 'को ले कर इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं
ये नाटक सुर इंटरटेनमेंट के बैनर तले प्रस्तुत किया जा रहा है .सुर इंटरटेनमेंट की अमृता जी ने बताया की अभी तक जितने भी शो हुये हैं हॉउस फुल रहें हैं और लोगों ने इस नाटक को बहुत पसन्द किया है. इसी दौरान मुझे पद्मिनी कोल्हापुरे जी से बात करने का मौका मिला प्रस्तुत है बातचीत के मुख्य अंश
पद्मिनी जी नमस्ते अमेरिका में आपका स्वागत है l
बहुत बहुत धन्यवाद रचना जी l
आपको यादों में थोडा पीछे ले चलती हूँ आपने अपनी बहन तेजस्वनी के साथ बचपन से ही गाना शुरू कर दिया था उस समय आपको जो पैसे मिलते थे आप उनका क्या करती थी ?
प्यारा प्रश्न है रचना जी .हमारे पैसे हमारी माँ के पास होते थे वो सारे पैसे रखती थी और हमें जेबखर्च के लिए देती . .यदि हमको सारे पैसे मिल जाते तो हम तो पूरा ही खर्च कर डालते वहां से ही हमने पैसे का महत्त्व सीखा था जो बच्चों के लिए बहुत ही जरुरी होता है l
आप संगीत को अपना कैरियर बनाना चाहती थी .फिर अभिनय की दुनिया में कैसे आ गईं ?
ये सब इतफाक से हो गया .आशा जी जो की हमारी आंटी हैं उन्होंने देवानंद जी को मेरा नाम बताया था lउन्होंने अपनी फिल्म इश्क इश्क इश्क में बतौर बाल कलाकार मुझे ले लिया ,बस इसी तरह से मै फिल्मों में आगई .
आपने जब पहली बार कैमरे का सामना किया था तो आपको डर लगा था .झिझक हुई थी क्या महसूस हुआ था ?
बच्चों को कोई काम करने में डर नहीं लगता ,उनको इस बात की चिंता नहीं रहती की कोई क्या कहेगा वो तो बस काम करता है .मेरे साथ भी बस ऐसा ही हुआ था .कोई शर्म या झिझक नहीं थी
बाल कलाकार के रूम में कोई याद है तो कृपया हमें बताइए l
कभी मम्मी और कभी पापा मुझे शूटिंग के लिए ले कर जाते थे .शूटिंग पर सभी मेरा बहुत ध्यान रखते हैं एक बार बर्फ में शूटिंग करते हुए मुझे बहुत ठण्ड लग गई थी तो देव अंकल ने मेरा बहुत ध्यान रखा था.
आपने किशोर कुमार जी के साथ भी गाना गया है .उनके बारे में कुछ बताइए l
उनके साथ मैने एक बाल गायिका के रूप में और कोरस में भी गया है और बड़े हो कर भी मैने गया है lवो बहुत ही मजाकिया मजेदार किस्म के इन्सान थे गायकी में और उनके जैसी आवाज का आज भी कोई तोड़ नहीं है lउनका सेन्स ऑफ हीयूमर बहुत अच्छा था lवो अलग अलग आवाजें निकलते थे सभी को हँसाते थेl लता जी के साथ उनकी रिकोर्डिंग होते हुए मैने अपनी आँखों से देखा है वो बहुत हँसा रहे थे हँसते हँसते लता जी के गले में खारिश हो जाती थी तो उन्होंने कहा की प्लीस किशोर दा बस कीजिये वर्ना फिर मै गा नहीं पाऊँगीl किशोर दा और लता जी के साथ मैने कॉन्सर्ट भी किया है अमेरिका भी आई हूँ तो उस वख्त भी उनका अंदाज मैने देखा है हँसते हँसते वो अपना रुख बदलते थे और बहुत ही गंभीर किस्म का गाना गा देते थे ऐसा लगता नहीं था की ये वही इन्सान है जो अभी कुछ समय पहले इतना हँस रहा था ,मस्ती कर रहा था l
आपने राज कपूर जी के साथ फिल्मों में काम किया है उनके साथ काम करने का अनुभव बताइए l
मैने राज कपूर जी के साथ सत्यम शिवम् सुन्दरम में काम किया थाl अतः प्रेम रोग तक मुझे ये पता था की उनको किस तरह का काम चाहिए उस वख्त मुझे कोई डर नहीं थी की राज कपूर जी सामने हैं मै कर पाऊँगी या नहीं .क्योंकी वो जिस तरह का काम चाहते थे मै करती जाती थी .राज कपूर जी सब काम एकदम सही तरीके से चाहते थे अतः वो बार बार शूट करते थे जब तक की वो स्वयं उस सीन से संतुस्ट न हो जाएँ
"वो सात दिन "में आपने अनिल कपूर जी के साथ काम किया है lअनिल जी एक नए कलाकार थे lजबकि जल्दी कोई नए कलाकार के साथ काम नहीं करना चाहता आपने किया l
अनिल कपूर का परिवार हमारे परिवक के बहुत करीब था ,जब 'वो साथ दिन' मेरे पास आई तो मुझे कुछ ऐसा नहीं लगा की नए लोगों के साथ काम करना है या नहीं करना है ,मैने तो नए निर्देशकों के साथ काम किया है और कर भी रही हूँ और करना भी पसंद करुँगी .उस वख्त ऐसा नहीं था की अनिल नए हैं तो वो कर पाएंगे या नहीं .प्रोड़कशन बहुत अच्छा था और बापू जी निर्देशक थे .तो मैने कर ली ये फिल्म .गोविंदा ,कुनाल कपूर ,राजीव कपूर सभी के साथ काम किया
आपने चुलबुला अभिनय किया है साथ में आपने संजीदा रोल भी किया है .आप स्वयं किस तरह का अभिनय करना पसंद करती ?
मै दोनों तरह का अभिनय करना पसंद करती हूँ l एक कलाकार को चुनौतियों भरा अभिनय करना चाहिए l मै हर तरह का अभिनय सहजता से कर पाती हूँ मेरी एक फिल्म थी ' दो दिलों की दास्ताँ 'उसमे एक अंधी का किरदार था .मेरी एक फिल्म थी बेवफाई जिसमे एक लड़की का किरदार मैने किया है जिसको सदमा लगा था और वो पागल हो जाती है मै हास्य अभिनय को ज्यादा चुनौती भरा मानती हूँ मैने दुखी भरा अभिनय किया है ,भावप्रधान भूमिका की है वो भी एक अददत बन गई है हास्य अभिनय करना शायद मुझे चुनौती भरा लगता है l
आपके अभिनय सिखाने के कुछ स्कूल भी है कृपया उनके बारे में कुछ बताइए l
लन्दन में मेरा स्कूल लगातार चलता था पर समय की कमी के कारण मैने सिर्फ वर्कशॉप तक सिमित कर दिया .इसके आलावा दिल्ली और नोर्थ में बहुत से स्कूल हैं .
अमेरिका में तो कोई विद्यालय नहीं है ?
हाँ नहीं है पर अभी वही बात चल रही थी शायद यहाँ एक वर्कशॉप करुँगी .क्योंकी लोग इसके बारे में बहुत पूछते हैं .तो देखिये कैसे होता है पर वर्कशौप करने का विचार तो है
आपकी फिल्म आने वाली है "माई "इसके बारे में बताइए l
माई का अर्थ है माँ ,इसमें मै आशा भोसले जी के साथ काम कर रही हूँ lआशा जी इसमें मेरी माँ का अभिनय कर रही हैं ये एक पारिवारिक फिल्म है जो हिन्दी में बन रही है .ये फिल्म नवम्बर में रिलीस होने जा रही है . आशा जी की ये पहली फिल्म है आशा जी की वजह से ही मै फिल्मे में आई और आज आशा जी की पहली फिल्म है और इसमें मै उनके साथ हूँ ये एक इत्तफ़ाक की बात है .
आशा जी के साथ काम करके बहुत ही अच्छा लगा .वो ८० साल की हो गई हैं इस उम्र में भी वो बहुत उर्जा और उत्साह के साथ काम करती हैं .शायद पुराने जो लोग हैं उनको ऊपर वाले की ये कुछ अलग सी देन हैं सेट पर वो मुझे कहती थी की तुम मुझे अभिनय सिखाओ तो में कहती थी की आप मुझे गाना सिखाइए मै आपको अभिनय सिखाती हूँ l
आपकी एक और फिल्म है "फटा पोस्टर निकला हीरो "
इस फिल्म की शूटिंग अभी दिसम्बर में शुरू होनी है .इसमें मै शाहिद कपूर की माँ का रोल कर रही हूँ .इस फिल्म की कहानी पूरी माँ बेटे पर आधारित है इस फिल्म के निर्देशक है राजकुमार सन्तोषी जी
आपकी ज्यादातर फिल्मे अच्छी कहानी पर आधारित होती है तो क्या आप कहानी देख कर फिल्मों का चुनाव करती हैं ?
ऐसा है की स्टोरी बेस फिल्मे मेरी पास आती हैं .और किरदार बहुत अच्छे होते हैं तो फिल्म साइन करने के लिए मै बाध्य होजाती हूँ कभी कभार ऐसी भी फिल्मे आती हैं की आप अपने रिश्तों की वजह से कर लेते हैं .पर सही कहा आपने मै बहुत भाग्यशाली हूँ की मुझे अच्छी कहानियों वाली फिल्मे मिली है जैसे माई है इसमें बहुत ही अच्छा रोल है और फटा पोस्टर निकला हीरो पूरी तरह से व्यावसायिक फिल्म है पर मेरा किरदार बहुत ही अच्छा है .
नाटक आसमान से गिरे खजूर में अटके के बारे में कुछ बताइए
इसमें हास्य है, इमोशन है, डांस भी है lये मनोरंजन से भरा एक पैकेट है lहास्य -अभिनय मंच पर करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकी सम्वाद बोलने का समय एकदम ठीक होना चाहिए और मै भाग्यशालिनी हूँ की मेरे साथ शक्ति कपूर और नवीन बावा जैसे दो अभिनेता है जिनकी सम्वाद अदायगी एकदम समय पर होती है और हास्य अभिनय के महारथी है llएक अभिनेता के लिए सामने वाला अभिनेता कितना अच्छा है उस पर भी निर्भर करता है lइस नाटक में एक सीन है जिसमे बहुत हास्य है ,पहले लगता था की कैसे कर पाऊँगी पर जैसे जैसे निर्देशक समझाते गये मै अभ्यास करती गई तो सब हो गया और मुझे करने में आनंद आने लगा l नाटक में रिटेक भी नहीं होते अतः ये बहुत ही चुनौती पूर्ण होता है .हम पूरी कोशिश करते हैं की जो लोग हमको प्यार करते हैं हमको देखने आयें है वो ख़ुशी ख़ुशी जाएँ
मंच पर ऐसा क्या है जो हमेशा आपको अपनी और आकर्षित है ?
मंच पर आपमें अलग किस्म का आत्मविश्वास आजाता है आप अपने आपको पुनः खोज पाते हैं .अभी तक मैने यहाँ अमेरिका में कई शो किये हैं किसी शो में आप कुछ करते हैं किसी में कुछ और करते हैं तो कहने का मतलब ये की आप आने वाले नाटक में अपने पिछले नाटक से बेहतर कर सकते हैं .फिल्मो में बहुत से रिटेक कर कर के सी लॉक कर सकते हैं पर जब अन्त में मुख्य परिणाम देखते हैं तो लगता है कि काश ऐसा किया होता .मन्च पर ये सम्भावना सदा रहती है .दर्शकों का रिस्पोंस देख कर काम करने का आनन्द दुगना हो जाता है .