Thursday 27 October 2011

खुशियों के गीत



ढोलक की थाप पर 
खुशियों के  गीत चले   

नव वसन 
धारण कर रात
दिन से छुपी -छुपी फिरे 
त्योहार को 
थाम  के मौसम 
चौखट चौखट  दीप धरे 
सजनी से मिलन को  
परदेसी मीत चले 

हवाएँ बाँधे 
बन्दनवार 
गुलाबी धूप  टाँकें 
खुशबू की 
सीढ़ी चढ़के 
पकवान रसोई से झाँके 
चूल्हे चढ़ें  बटुले 
सदियों की  रीत चले 

अँजुरी भर 
दुआएं है 
चंदा की गठरी में 
आशा के 
 जुगनू  चमकें 
झोपड़ी की  कथरी में 
उत्सव के द्वार  पर,
दीपक की प्रीत चले

Monday 10 October 2011

एक सुनहरी आवाज और मखमली व्यक्तित्व का स्वामी चिर निद्रा में सो गया .मुझे याद है जब मैने उनका साक्षात्कार लिया था उन्होंने मुझे बहुत  दुआएं दी थी और बड़े प्यार से एक एक प्रश्न का उत्तर दिया था .कहा था रचना जी मेरा जीवन संगीत है .मै  अगला अल्बम  माता पिता पर निकालने वाला हूँ .पर अपना सोचा कब होता है उन्होंने इस अल्बम की बहुत सी तैयारियां कर ली थी पर अल्बम आने से पहले ही भगवान ने उन्हें अपने पास बुला लिया .उसकी मर्जी पर किसका जोर चलता है .अपनी गायकी से सभी को रूहानी सुकून देने वाला जाने कहाँ चला गया "चिठ्ठी न कोई सन्देश जाने वो कौन सा देश जहाँ तुम चले गए " .आज भारत और उससे बाहर बसे तमाम उनके चाहने वाले उनकी याद को गुनगुना रहे हैं .और शायद कह रहे हैं हाथ छूटे भी तो रिश्ते नहीं छूटा करते    .सच ही है रिश्ता जब संगीत का हो तो वो  कभी टूटता नहीं .उनकी आवाज रहती दुनिया तक हर दिल में मंदिर के दिये सी महफूज़ रहेगी .वो साक्षात्कार जो मेरे लिए धरोहर बन गया आपसभी के साथ बाँटना  चाहती हूँ

 माता-पिता पर होगा मेरा अगला एल्बम

जगजीत सिंह
जगजीत सिंह की गायकी के मुरीद पूरी दुनिया में हैं
अपनी मख़मली आवाज़ से ग़ज़ल को आम लोगों तक पहुँचाने वाले जगजीत सिंह कीग़ज़ल गायकी ही उनका परिचय है. उनके ग़ज़ल की सादगी और आवाज़ की ताज़गी ने करोड़ों लोगों को उनका दीवाना बना दिया. पिछले दिनों एक कंसर्ट के सिलसिले में जब वे अमरीका आए तब हमने उनसे बीबीसी के लिए बात की. उनसे हुई बातचीत का एक अंश:
आपके घर में संगीत का माहौल नहीं था. फिर आपका रुझान ग़ज़ल गायकी की तरफ़ कैसे हुआ?
संगीत का माहौल तो नहीं था पर मेरे पिताजी को संगीत का बहुत शौक था. वो कीर्तन सुनने जाया करते थे. वो चाहते थे कि कोई संगीत सीखे और सुरों की दुनिया में जाए और उन्होंने ही मुझे संगीत की शिक्षा दिलानी शुरू की. बाद में मेरा स्वयं का रुझान इस तरफ़ हो गया और मैं सीखने लगा.

जब ग़ज़ल गायकी की दुनिया में आप आए उस वक़्त बहुत सी जानी मानी हस्तियां थी. आपने उनके बीच में अपनी पहचान कैसे बनाई?

उन बड़ी हस्तियों से मेरा कोई मुकाबला नहीं था और न ही मैंने उनसे आगे आने के बारे में सोचा. मैंने तो बस अपना काम किया और लोगों ने पसंद किया. उस समय मेरी एल्बम 'द अनफ़ारगेटेबल' आई थी, जो बहुत चली. उसने ही मेरी एक पहचान बना दी.

आप जब अपनी एल्बम के लिए ग़ज़लों का चुनाव करते हैं तो आप किन बातों का विशेष रूप से ध्यान रखते हैं?

सबसे पहले तो देखता हूँ की ग़ज़ल की भाषा सरल हो और जो शायर कहना चाहता है कहने में सफल हुआ हो. ग़ज़ल प्रेम पर हो या फिर उनमे कोई चौंकाने वाला तत्व हो, ज़िंदगी के क़रीब हो, उस में अश्लीलता नहीं होनी चाहिए. मुख्यतः मैं इन्हीं बातों का ध्यान रखता हूँ.

आप एक अच्छे संगीतकार भी हैं. आज इतने सारे वाद्य यंत्रों के बावजूद संगीत मे माधुर्य क्यों नहीं है?
संगीत मशीन बन गया है. मनुष्य का सान्निध्य उसमें नहीं रहा अतः वो भाव भी नहीं रह गया. उसमें शोर ज्यादा है पर अभी भी कुछ अच्छे संगीत आ रहे हैं लेकिन उनकी संख्या बहुत कम है.

नए गाने वालों में क्या कोई ऐसा है जो आपके पदचिह्नों पर चलके ग़ज़ल गायकी की परंपरा को आगे बढ़ा सके?
अभी तो कोई ऐसा लग नहीं रहा है क्योंकि डरते हैं लोग कि आगे गुजारा कैसे होगा.इस लिए पॉप संगीत की ओर भागते हैं इसलिए ग़ज़ल गायकों का अभाव रहता है. संगीत आत्मिक सुख के लिए होता है पर परिवार चलाने को पैसे भी चाहिए.

आप बहुत सी चैरिटी संस्थाओं से जुड़े हैं. क्या सोच है इसके पीछे?

सोच नेक है. जो भी मेरे पास आता है, कोशिश करता हूँ कि उस संस्था के लिए कुछ कर सकूं. चैरिटी के लिए मै साल भर में 10 या 15 प्रतिशत कन्सर्ट फ्री करके देता हूँ.

व्यस्त जीवन से जब कुछ लम्हें फुर्सत के मिलते हैं, तो आप क्या करना पसंद करते हैं?
मै टीवी देखता हूँ. फुटबाल देखता हूँ. क्रिकेट देखता हूँ .

आपका पसंदीदा क्रिकेटर कौन है?
जो भी 100 रन का स्कोर करता है, वही पसंदीदा क्रिकेटर हैं. वैसे मुझे अपनी पूरी टीम पसंद है, क्योंकि कोई किसी क्षेत्र में अच्छा है तो कोई अन्य किसी क्षेत्र में. किसी एक का नाम लेना मुश्किल है

आप टीवी में सीरियल देखते हैं या रियल्टी शो?
मै टीवी पर फ़िल्मे देखता हूँ या फुटबाल मैच देखता हूँ. यूरोपियन टीमों के बीच फुटबाल मैच देखना भी मुझे बहुत अच्छा लगता है.

किस कलाकार की फिल्म देखना ज्यादा पसंद करते हैं?
मुझे आमिर खान, अजय देवगन, हृतिक रौशन बहुत पसंद हैं. इनकीफि़ल्म देखना बहुत पसंद करता हूँ .

आपके हर एल्बम में कुछ न कुछ अलग है. इनमें से कौन सा एल्बम आपके दिल के क़रीब है और इस चाहत का कारण क्या है?

वर्ष1988 में मेरा एक एल्बम आया था बियॉन्ड टाइम. भारत में निकलने वाला ये पहला डिजिटल एल्बम था. इसको मैं लंदन से रिकॉर्ड करके लाया था. यह मुझेबहुत पसंद है. लता जी के साथ मेरा एक एल्बम था ‘सजदा’ वो भी मुझे बहुतपसंद है. 'सम वन सम व्हेयर' और 'मिर्ज़ा ग़ालिब' ये सारे मेरे पसंदीदा एल्बम हैं .

आप जब ग़ज़ल गाते हैं तो आप क्या कुछ ख़ास तैयारी करते हैं?

मै एक सामान्य जीवन जीता हूँ. एक सामान्य व्यक्ति हूँ. बस खाने में कोई फालतू चीजें नहीं खाता हूँ. तली हुई चीजें नहीं खाता हूँ. बर्फ नहीं लेताहूँ, सिगरेट, शराब नहीं पीता हूँ. थोड़ी-थोड़ी एक्सरसाइज़ करता हूँ.रियाज़ मैं दो घंटे रोज़ करता हूँ. परहेज अपने आप ही हो जाता है.

आप भारत में शो करते हैं और भारत के बाहर भी. क्या अंतर पाते हैं?
एक तो ये कि भारत में केवल भारतीय होते हैं, यहाँ पर पाकिस्तानी, भारतीय, बांग्लादेशी और थोड़े बहुत विदेशी भी होते हैं. यहाँ पर मिले-जुले सुननेवाले होते हैं. यहाँ शो महंगा जरूर होता है पर ऑडिटोरियम बहुत अच्छे होते हैं. लोग आराम से सुनते हैं. नियम कानून बहुत अच्छे होते है. भारत में सुनने वाले मारे ख़ुशी के नियंत्रण के बाहर हो जाते हैं. नियम कानून को कोई मानता नहीं. अधिकारी सहायता नहीं करते हैं. एक व्यक्ति 200 तक पास मांगता है तो आर्गनाइजर को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. पर हाँ, अपनों का प्यार बहुत मिलता है.

आप आने वाले समय में क्या कोई नया एल्बम निकालने वाले हैं?

हाँ, मैं एक एल्बम पर काम कर रहा हूँ. यहाँ से जा कर रिकार्डिंग शुरू करूँगा. उस का विषय है- माता पिता. माँ-बाप, इनका जीवन में क्या महत्त्व है, उसी पर आधारित है ये एल्बम. इसके लिए एक ग़ज़ल गुलज़ार साहब, एक नज़्म निदा फ़ाज़ली और एक नज़्म जावेद अख़्तर लिख रहे हैं.

ये विचार आपके मन में कैसे आया?
दिल्ली मे एक श्रीवास्तव साहब हैं. वही मेरे पास ये विचार लेके आए थे तो मुझे बहुत ही अच्छा लगा और मैने इसको करना स्वीकार कर लिया .

आपने अपनी एल्बम के लिए गया है और फिल्मो में भी गाया है. क्या अंतर है दोनों में?

फ़िल्मों में सीन के हिसाब से गाना पड़ता है. आवाज़ में उस तरह के भाव लाने पड़ते हैं. ये भी देखना होता है कि किस के ऊपर फ़िल्माया जाएगा. हीरो शहर का है या गाँव का, इस बात को ध्यान में रख कर गाना बनाया जाता है और उसी तरह से गाना पड़ता है. जब आप अपना एल्बम करते हैं तो जो ग़ज़ल आपको पसंद आई है वो गा सकते हैं अपनी तरह से गा सकते हैं मुख्यतः ये अन्तर होता है .

जगजीत सिंह के शब्दों में जगजीत सिंह क्या है?
एक आम इंसान है जो बस अपना काम मेहनत से करता है.संगीत जिसका जीवन है. बस यही है जगजीत सिंह.

नई पीढ़ी जो संगीत को अपनाना चाहती है उन को आप क्या विशेष संदेश देंगे जिससे वो सफलता पा सके?

यदि ग़ज़ल गानी है तो थोड़ा उर्दू भी आनी चाहिए. क्योंकि भाषा का सही उच्चारण बहुत आवश्यक है. साथ में रियाज़ करना सबसे ज़रूरी है. फिर मेहनत और लगन से इंसान अपनी मंज़िल पा सकता है. यदि आप को संगीत की दुनिया में रहना है तो खुद को पक्का कीजिए, मेहनत और कुछ पाने की ईमानदार कोशिश कीजिए. सफलता आपके क़दम चूमेगी.