Wednesday 24 August 2011

चाइल्ड ऑफ मून
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पूर्वी की अलसाई  सुबह जब जागने को होती तो वह जौगिंग  के लिए जा रही होती. पूर्वी हाथ में चाय का प्याला और स्थानीय अख़बार लिए  खिड़की पर आ जाती और उसको जाते हुए देखती .यदि उसकी नजर पूर्वी पर पड़ती तो हाथ उठाके  हाय कहना नहीं भूलती .. बदले में पूर्वी भी मुस्कुरा देती . .बरफ पड़े या पानी बरसे या कोहरे की चादर हर शय को ढक दे ,मौसम का कोई भी रूप हो मिस सुबह को जौगिंग पर जाने से नहीं रोक पाता . उसको यही नाम दिया था पूर्वी ने .  उसका सुडौल  बदन देख कर पूर्वी ने भी कई बार सोचा कि कल से ही वह जौगिंग करेगी पर वो  कल कभी नहीं आता था .और पूर्वी पुनः  अगले दिन जाने का सोच खुद को सांत्वना देती .
पूर्वी की पि एच डी अभी  ख़त्म ही हुई थी कि उसको अर्डमोर में नौकरी मिल गई.ये छोटी सी जगह उसको अच्छी लगने लगी थी . यहाँ आये हुए पूर्वी को  करीब एक साल होने को आया था  .इस बीच पूर्वी  मिस सुबह से  कई  बार मिली भी चुकी  थी .पर पूर्वी उसके बारे में कोई भी धारणा  नहीं बना पाती थी  हरबार वह एक नए ही मूड में मिलती .कभी लगता कि  मासूमियत ने अभी अभी दमन पकड़ा है .कभी लगता कि सोच उसके चेहरे का साथ नहीं दे रही है पूर्वी उसको कभी भी समझ नहीं पाई थी .
उस दिन पूर्वी बहुत परेशान थी उसका बाथरूम अन्दर से बन्द हो गया था .
वह समझ  नहीं पा रही थी क्या करे ?परेशानी की  हालत में वह घर के बाहर टहल रही थी .तभी सामने से मिस सुबह आती दिखी  ."हाय आई ऍम रेचल" .ओह तो मिस सुबह का आम रेचल है पूर्वी ने सोचा ."क्या कोई परेशानी है?", रेचल ने पुनः कहा ."जी मेरा नाम पूर्वी है .मेरा बाथरूम  अन्दर से बन्द हो गया है..समझ में नहीं आ रहा है क्या करूँ ?"
"डोन्ट वरी "कह के रेचल अपने घर में चली गई वापस आई तो उसके हाथ में एक "जे" के आकार  का मोटा तार था उसका एक सिरा चपटा था .हम अन्दर गए और उसने उस चिपटे  सिरे से बाथरूम का दरवाजा खोल दिया .पूर्वी ने उसको धन्यवाद दिया .रेचल ने वो चाभी नुमा तार पूर्वी को दे दिया और अपने घर वापस चली गई .इसके बाद कई बार आते जाते रेचल दिखी पर कभी उसने देख के अनदेखा किया कभी अच्छे तरीके से हेल्लो किया .पूर्वी उसको कभी भी समझ नही पाई.
  लैब में अत्यधिक काम और सेमिनार की  तैयारी में पूर्वी बहुत व्यस्त हो गई इसी बीच मीटिंग के लिए उसको बोस्टन जाना पड़ा .अपने इस व्यस्त जीवन में वो मिस सुबह यानी रेचल के बारे में लगभग भूल ही चुकी थी .बौस्टन से आकर पूर्वी दरवाजा खोलने लगी थी तभी रेचल आती दिखी .उसके साथ उसका पति और गोद में एक नवजात बच्ची थी .ये प्रेग्नेंट भी थी पता ही न चला पूर्वी बुदबुदाई .तभी पास आकर  रेचल ने कहा है "हाय पूर्वी .
"हाय बहुत बहुत बधाई हो .कब हुई ये? क्या नाम है .?
"अभी २ दिन पहले .इसका नाम अमारिस है इसका मतलब होता है चाइल्ड ऑफ मून "
"बहुत अच्छा नाम है"
बाय कह कर रेचल और उसका पति घर चले गए .
पूर्वी पुनः अपने प्रयोगों की दुनिया में खो गई.  .आज पूर्वी का काम थोडा जल्दी ख़त्म होगया .वह अपना सामान समेट ही रही थी कि उसकी सहेली आई और बोली कितना काम करेगी आज चल मेरे साथ .रोंस में बहुत अच्छी सेल लगी है .और वह पूर्वी को जबरदस्ती ले गई .खरीदारी करते कपडे ट्राई करते बहुत देर होगई .घर आते समय पूर्वी सोच रही थी अच्छा ही हुआ की आज वो बाहर निकली उसको बहुत अच्छा लग रहा  था .घर के पास पहुँचने पर उसने देखा कि रेचल के घरके  सामने पुलिस की तीन कार और अम्बुलेंस खड़ी थी और पूरे घर को पीली पट्टी से घेरा हुआ था   कार गैरेज में खड़ी करके सामान की थैलियाँ निकाल वो घर में आगई पर उसका मन रेचल के घर के आसा पास ही घूम रहा था .क्या हुआ होगा उसने कई बार बाहर निकल के देखने  और जानने की कोशिश की पर कुछ भी पता न चला .कुछ देर तक पुलिस की  गाड़ियों की आवाज आती रही फिर  वो भी बंद हो गई .पूर्वी ने बाहर झांक के देखा तो सब कुछ साफ था न गाड़ियाँ थी न अम्बुलेंस.रात आज कुछ ज्यादा गहरी और काली लग रही थी.क्या हुआ होगा ?बस यही सवाल दिमाग में बार बार घूम रहा था .इस सवाल का जवाब खोजते खोजते पूर्वी सो गई .सुबह उसकी आँख देर से खुली . .रात की  घटना पुनः आँखों के सामने  घूमने लगी .क्या हुआ होगा ये सवाल पुनः माथे पर लटक गया .पूर्वी विचारो को झटक कर जल्दी जल्दी तैयार हो बाहर निकली .सामने सीढियों पर अख़बार पड़ा था उसने सोचा वापस आके  पढेगी .यही सोचके अख़बार घर में रखने  के लिए उठाया कुछ ऐसा लिखा था कि वह  अख़बार खोल के पढने लगी .लिखा था .ड्रग के नशे में माँ ने बच्ची को वाशिंग मशीन में डाला .आगे लिखा था कि २७ वर्षीया रेचल ने दो महीने की  बच्ची अमारिस  को कपडे धोनी के मशीन में डालकर मशीन चला दी घटना के समय बच्ची  का पिता घर पर नहीं था .जब वह  घर आया तो रेचल नशे में धुत्त पड़ी थी और बच्ची घर में कहीं दिख नहीं  रही थी.रेचल को हिला के बच्ची के बारे में पूछा तो वह कुछ भी बताने की  स्थिति में नहीं थी वाशिंग  मशीन के चलने की आवाज सुकर पिता को शक हुआ उसने जल्दी से मशीन को बंद किया और उसमे झाँका तो............. .बच्ची को अस्पताल लाया गया पर उसको बचाया न जा सका .पूर्वी वहीँ बैठ गई .रेचल और ड्रग्स उसने तो कभी सोचा न था ....गुलाबी कम्बल में लिपटा वो मासूम चेहरा याद आया और  रेचल की बात 
इसका नाम अमारिस है इसका मतलब होता है चाइल्ड ऑफ मून

मेज़र शहीद
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अभी ट्रेन को आने में करीब एक घन्टा बाकी था उसने सोचा की चलो सुभ्रा को फ़ोन करके बता दूँ .वह  स्टेशन के बाहर लगे एक सार्वजानिक फ़ोन बूथ की ओर  बढ़ गया . शुभान ने आज ही जम्मू यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पद पर ज्वाइन किया था उसकी खुशियों का ठिकाना न था .आज के समय में स्थाई नौकरी कहाँ मिलती है .शुभान ने ज्वाइन करने के साथ ही पैतृक अवकाश के लिए आवेदन देदिया क्योंकी शुभ्र को वो अस्पताल में छोड़ कर  आया था .उसके घर में पहली बार एक नन्ही किलकारी गूंजने वाली थी .नौकरी का मामला न होता वो शुभ्र को इस हाल में छोड़ के कभी नहीं आता
."हेल्लो शुभ्रा ".
"हाँ कहिये ,ज्वाइन कर लिया ".
"हाँ कर लिया तुम कैसी हो".
"ठीक हूँ ".
"अभी स्टेशन के बाहर से बोल रहा हूँ .ट्रेन एक घन्टा लेट है .तो तुम परेशान न होना घर पहुँचने में थोड़ी देर हो जाएगी."
अभी शुभान बात ही कर रहा था कि  उसने देखा बाहर अफरातफरी का मौहाल था लोग  भाग रहे थे .एक आदमी कह रहा था कि  स्टेशन पर आतंकवादी हमला हो गया है .गोलियां चल रही है
""हेल्लो !!!!!क्या हुआ तुम चुप क्यों  हो गए ?"
"कुछ नहीं अभी पता चला है की ट्रेन निरस्त हो गई है तुम घबडाना नहीं .मै ठीक हूँ कल आऊंगा . मै बाद में फोन करता हूँ"" 
.इस हालत में शुभ्रा  को कुछ भी बताना उसने ठीक नहीं समझा .फ़ोन रख कर वह  गेस्ट हॉउस में वापस आगया .कल जाने का आरक्षण ले कर वह सो गया , सुबह कैंटीन का श्यामू  चाय के साथ अख़बार ले आया . शुभान अख़बार देखने लगा तो श्यामू ने कहा, " साहब आपको पता है कि कल स्टेशन पर जब गोलियां चल रही थी तो आर्मी वाले अपनी अपनी पोजीशन ले के गोलिया चला रहे थे लेकिन  आतंकवादी को मार  नहीं पा  रहे थे बहुत लोग मर रहे  थे तभी एक मेजर सामने आकर गोलियां चलने लगा उसको तीन  गोलियां लगीं पर वह  लड़ता रहा और उसने आतंकवादी को मार दिया .फिर अपने अफसर की गोद में गिर पड़ा ..मिशन पूरा हुआ कहा और   दम तोड़ दिया ."
."इतना सब हुआ पर पेपर में तो कुछ भी नहीं लिखा है "शुभान पेपर देखते हुए आश्चर्य से बोला
"साहब हमारे पत्रकारों को ये कोई खास खबर नहीं लगी होगी .नकली नायकों के सामने असली नायक को कौन पूछता है "श्यामू आँखें पोछता हुआ बोला .
अख़बार का प्रथम पृष्ट नेता की चाटुकारिता ,राजनीत के षड्यंत्र और  फिल्मों  की समीक्षा से भरा  था.बहुत खोजने पर अख़बार में अंदर एक कोने में छोटा  सा लिखा था ..मेजर शहीद .


Tuesday 16 August 2011


आज भी अच्छे गाने बनते हैं ,पर कम बनते हैं:-----उस्ताद गुलाम अली



 साऊथ ऐशियन एकेडमी ऑफ परफोर्मिंग आर्ट्स के बैनर तले ,गजलों के उस्ताद गुलाम अली साहब का कौन्सर्ट 'चुपके चुपके'' इन दिनों अमेरिका में चल रहा है l दिल ये पागल दिल मेरा , चुपके  चुपके,हंगामा है क्यों बरपा ,चमकते चाँद को टुटा हुआ तारा चाहे कोई भी ग़ज़ल हो गुलाम अली जी की आवाज़ को छूकर अमर हो गई है l lइसी दौरान मुझे इनसे बात करने का मौका मिला प्रस्तुत है गुलाम अली जी से की गई बातचीत के मुख्य अंश . 

अमेरिका में अभी आपने इतनी जगह शो  किये हैं कैसा रहा ये अनुभव ?
जी मैअमेरिका बहुत बार आ चुका हूँ और हमेशा ही मुझे लोगों से बहुत इज्जत मिली है lमै अपने सुनने वालों के लिए गाता हूँ lवो मुझे प्यार करते हैं और मै उन्हें प्यार करता हूँ lयशपाल सोई जी का प्यार है जो वो मुझे बुलाते हैं और मै चला आता हूँ l

आपके बहुत से प्रशंशक हैं क्या इनमे आज की पीढ़ी के बच्चे भी हैं जो ग़ज़ल को पसंद करते हैं ?
जी हाँ बड़ों के साथ बहुत सी जगहों पर मुझे किशोर अवस्था के बच्चों भी मिले है l जो पूरे कार्यक्रम में बैठे रहे हैं lसुनते सुनते उनको अच्छा लगने लगता है l ये खुदा की देन है lपर फिर भी में कहना चाहुँगा कि ज्यादा बच्चे ग़ज़ल नहीं सुनते हैंl ये तो हम बड़ों को चाहिए की बच्चों को अपनी भाषा और संस्कार सिखाएं l उन्हें अपने संगीत से परचित कराये l हम बड़ो का कसूर है जो बच्चों को अपना संगीत नहीं पता है l क्योंकी बड़े खुद ऐसे संगीत से दूर होते जा रहे हैंl    

बड़े गुलाम अली साहब के बारे में आप क्या कहेंगे ?
उनके बारे में जितना कहा जाये कम है l वो मेरे गुरु हैं l मेरे पास जो कुछ भी है उनका ही दिया हुआ है lगुलाम अली मेरा नाम भी मेरे पिता जी ने उन्ही के नाम पर रखा था l उस्ताद बरकत अली खान साहब उनके भाई थे l उनके पास ज्यादा सीखा था l मुबारक अली खान ,अमानत अली खान उनको ' माने 'अली कहते थे  मैने  इन सभी से सीखा है l

आपकी गायकी के सफ़र की शुरुआत कहाँ से हुई ?
६८ में रेडिओ पाकिस्तान लाहौर में एक बच्चों का कार्यक्रम होता था lउस वख्त में १३ साल का था lवहाँ  से मैने गाना प्रारंभ किया था और बस ऊपर वाले के करम से धीरे धीरे आगे बढ़ता गयाl

आपके वालिद आपको  गायकी की दुनिया में लाये ,कुछ खास जो आपने उनसे सीखा हो ?
जी हाँ उन्ही की वजह से मै बड़े गुलाम अली जी का शागिर्द बना l उन्होंने मुझसे कहा था , जब कोई आपसे छोटा .आपको छोटा समझता है तो उसके सामने छोटा नहीं होना l मेरे वालिद ने कहा  कि बड़ा इन्सान वो होता है जो दूसरों को बड़ा समझता है और छोटा इन्सान वो होता है जो दूसरों को छोटा समझता है l मै जीवनभर इन्ही बातों को मानता आया हूँ l

क्या आप कोई नयी अल्बम निकालने वाले  हैं ?
अभी मैने आशा जी के साथ एक अल्बम निकाली थी ,'ज़नरेशन ' जिसमे मैने और मेरे बेटे ने संगीत दिया था और आशा जी ने गया था l इसको लोगों ने बहुत पसंद किया था l जबतक आवाज है ज़िन्दगी है मै गाता रहूँगा और इन्शाअल्लाह आगे अल्बम भी निकालेंगे l

आपकी एक अल्बम गुलज़ार जी के साथ आई थी
जी हाँ उसका नाम 'विसाल 'थाl विसाल  का मतलब होता है मिलाप मैने कहा की आज हमारा विसाल  हुआ है l तो गुलज़ार साहब ने कहा कि इस अल्बम का नाम विसाल रख देते हैं l

८० के दशक में आपने फिल्मो के लिए बहुत से गाने गायें हैं आज सिनेमा के संगीत में भी काफी बदलाव हुआ है .पुराने संगीत में और आज के संगीत में आप क्या अन्तर महसूस करते हैं ?
आज कल संगीत में ठहराव नहीं है l एक भागदौड सी लगी है l चैन सुकून जो संगीत की रूह है वो कम हो गया है l आज भी अच्छे गाने बनते हैं ,पर कम बनते हैं .आज इसी भाग दौड़ को संगीत समझते हैं और जो इसको ही संगीत समझते हैं वो तो इसी को ठीक समझेंगे l

क्या आज कल के गानों में कोई गाना है जो आपको पसंद है ?
जी गाने तो आज भी बहुत अच्छे बन रहे हैं पर मुझे तो पुराने गाने ही याद आते हैं जैसे "आजा रे  मै तो कब से खड़ी", "रैना बीती जाये "ऐसे गाने बहुत पसन्द है l आज कल पाश्चात्य संगीत का बोलबाला है ये संगीत भी अच्छा हैl पर अपना संगीत तो फिर अपना ही है l

ग़ज़ल गायकी अन्य गायकी  से किस तरह जुदा है ?
गजलों  में  शास्त्रीय संगीत की तरफ ज्यादा झुकाव रहता है l हमने हमेशा ये कोशिश की है के शास्त्रीय भी रहे और उप शास्त्रीय भी रहे l  रियाज़ की जरुरत तो हर अच्छी गायिकी के लिए होती है पर ग़ज़लों के लिए रियाज़ करना और उर्दू की जानकारी बहुत ही जरुरी है l

आज  लोग ग़ज़ल बहुत कम गा रहे हैंl आपकी नजर में इस का क्या कारण है ?
ग़ज़ल गायिकी सीखने में बहुत वख्त लगता है और आज कल लोगों के पास समय की बहुत कमी हैl हरकोई जल्दी शोहरत पाना चाहता है l हमने  सालों तक गया और कुछ नहीं हुआ था lहमेशा सोचता इतने साल हो गए गाते अभी तक कोई ग़ज़ल हिट नहीं हुई lपर फिर खुदा के करम से लोग जानने लगे

मैने कहीं पढ़ा था कि आप दुआओं पर बहुत यकीन करते हैं .क्या कोई खास कारण है ?
जी मै हमेशा ही मानता हूँ कि दुआ लगती है l एक बात बताना चाहुँगा एक बार मै अपने उस्ताद जी का पाँव दबा रहा था lवो सो गए मै दबाता रहा सुबह जब उनकी नींद खुली तो बोले अरे गुलाम तुम सोये नहीं .जाओ तुमको दुनिया बहुत प्यार से सुनेगी ही ,साथ में संगीत को जानने वाले भी बहुत सिद्दत से सुनेंगे lफिर बहुत सालों बाद लता जी ने मुझे बुलाया और ताज होटल में सारा इंतजाम किया वहाँ भारत के   सभी बड़े गायक और मौसिकी के जाने माने लोग आये थे l इसीतरह बहुत सी बातें हुई है l

उम्र के इस पड़ाव में भी आपकी गायकी  में  कोई अन्तर नहीं आया है .क्या आप कुछ खास ख्याल रखते हैं ?
जी हां थोडा ख्याल रखना पड़ता है l मै ठंडी चीजें नहीं नहीं खाता हूँ l आइसक्रीम बहुत कम खाता हूँ ,साल में एक दो बार खा ली बस l कोल्ड ड्रिंक्स बिलकुल नहीं पीता हूँ l  दूसरे लोगों को शायद इन चीजों से कोई फर्क न पड़े पर मुझे ये चीजें नुकसान करती हैं . 

आपके बेटे  नज़र अब्बास अली भी आपकी तरह गाते है उनके बारे में बताइए
जी हाँ खुदा की दया से वो अच्छा गाते हैं lउन्होंने अमेरिका, कनाडा ,इंग्लेंड और भारत में  स्टेज पर गया है l वैसे अभी भी वो सीख रहे हैं l मै तो ऊपर वाले से उनकी सफलता की दुआ करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि जो प्यार आपलोगों ने मुझे दिया है वही प्यार उनको भी मिल सकेगा l   

ये साक्षात्कार आप  यहाँ भी पढ़ सकते हैं
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/9578443.cms


http://www.hindimedia.in/2/index.php/manoranjanjagat/bat-mulakat/124-me-cool-chije-nahi-khata-ustad-gulam-ali.html

 http://www.hindi.thepressvarta.com/index.php?option=com_content&view=article&id=1036:2011-08-09-05-53-03&catid=4:entertainment&Itemid=3