Friday 3 July 2020

कलाकार अपना यंत्र खुद होता है- शबाना

शबाना आज़मी एक ऐसा नाम जिस ने अभिनय की दुनिया में अपना एक अलग ही मुकाम बनाया है. कलात्मक सिनेमा, व्यवसायिक सिनेमा या फिर स्टेज, हर क्षेत्र में अपने अभिनय की खुशबु बिखेरने वाली शबाना जी जिनको बेस्ट अभिनेत्री के लिए पाँच बार राष्ट्रीय अवार्ड मिल चुका है, इस समय अमेरिका के विभिन्न शहरों में अपने नाटक "बिखरते बिम्ब" के अंग्रेजी रूपांतरण "ब्रोकेन इमेज" को लेकर काफी व्यस्त हैं और उन्हें खूब सराहना मिल रही है, उनसे अन्तरंग बात के अंश-     .

आपने और जया जी ने आपकी जन्मदिन पार्टी पर खूब डांस किया और मस्ती की. एक गंभीर शबाना जी के अंदर एक बच्ची शबाना आज भी जिदा है?
मुझे लगता है हर कलाकार के लिए जरुरी है कि वो अपने अन्दर के बच्चे को जिन्दा रखे क्योंकी बच्चे की हर चीज में दिलचस्पी होती है, चीजो को जानने की इक्छा होती है और ये एक कलाकार के लिए बहुत जरुरी है. उसी से उसकी स्वाभाविकता भी बनती है और कला भी निखरती है. एक कलाकार जीवन  से ही सीखता है, यदि आप ज़िन्दगी को बच्चे की नज़र से देखेंगे तो वो हमेशा नई लगेगी और उस में उत्सुकता भी बनी रहेगी और उसकी कला में निखार आएगा .

आपका नाटक "ब्रोकेन इमेजेस" परंपरागत नाटक से अलग है-
जी हाँ आपने सही कहा. यही कारण है कि  मैने इस प्ले  को किया. एक तो गिरीश कर्नार्ड को मै बेहतरीन  लेखकों में से एक मानती हूँ. गिरीश कर्नार्ड को हमेशा मुखौटों से बहुत दिलचस्पी रही है. मुखौटों के पीछे का जो असल चेहरा होता है न वो उस को देखते हैं. मुझे ब्रोकेन इमेजेस दो-तीन वजहों से अच्छी लगी. एक तो इसलिए कि ये तकनीकी रूप से  चुनौती पूर्ण है. ये सिंगल वुमेन शो है.  इस में दो शबनाएं हैं, एक मंजुला जो बड़ी बहन है उसका किरदार करती है और दूसरी छोटी बहन मालिनी का किरदार करती है. जो छोटी बहन है वो आप को मंच पर रूबरू नहीं दिखती वो आप को एक टेलिविज़न स्क्रीन पर नजर आती है. इस को करने के लिए ४४ मिनट का एक ही शौट मुझे देना पड़ा था जो मेरे कैरियर में एक बिलकुल नई बात थी. ऐसा पहले मैने कभी नहीं किया था. मुझे तो उम्मीद नहीं थी कि मैं इस को आसानी से कर पाउगी. हमने  स्टूडियो २ दिन का बुक कर के रखा, ये सोच कर कि पता नहीं कितने टेक लगेंगे. मुझे खुद ही हैरानी हुई कि मैने उसको एक टेक मे ही कर लिया और ये एक हैरतअंगेज़ बात थी. दूसरी बात ये कि  मंजुला का किरदार यदि स्टेज पर कोई गलती करे तो वो फिक्स  इमेज और प्री रिकार्डेड मालिनी जो टी वी पर है वो उसके बचाव के लिए नहीं आ सकती  है. आमतौर पर नाटकों में यदि आप कोई गलती करते हैं तो आप के सहयोगी कलाकार आपका बचाव कर सकते है पर यहाँ ऐसा नहीं है. मतलब ये कि प्ले में कोई भी गलती की गुन्जाइश नहीं है, इसीलिए बहुत चुनौती पूर्ण भी है, डर भी लगता है और ज्यादा फोकस भी रहता है.

इस प्ले की  मुख्य कहानी क्या है ?
ये दो बहनों की कहानी है. इस में बहनों की  प्रतिद्वंदिता और उनकी जलन को दर्शाया गया  है. ऊपर से वो दिखाती है कि एक दूसरे को बहुत चाहती है पर जैसे जैसे प्ले आगे बढ़ता है पता चलता है कि ये जो दिख रहा है वो सही नहीं है. अन्दर की  बात तो कुछ और ही है. इस में ये समझ नहीं आता कि छोटी बहन से हमदर्दी करें या बड़ी से. जब मैने गिरीश कर्नार्ड से पूछा तो उहोने कहा मेरे पास जवाब नहीं है आप खुद ही जान लीजिये.

इस प्ले के निर्देशक पदमसी जी ने आपकी अम्मीं शौकत आज़मी जी के लिए भी प्ले का निर्देशन किया है. उनके साथ काम करना कितना इमोशनल अनुभव है?
पदमसी की ये बात है कि उन्होंने मेरी अम्मी के साथ ४० साल पहले काम किया था और आज मेरे साथ काम कर रहे है. आज भी वो बहुत लगन और मेहनत से काम करते हैं. उनका बहुत अनुभव है. वो अभिनय और  थियटर को बहुत अच्छे तरीके से समझते हैं. कहते हैं कि थियटर उनके लिए ज़िन्दगी से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण  है तो जब आप ऐसे व्यक्ति के साथ काम करेंगे तो मजा तो आएगा ही.

आपका एक और नाटक है "कैफ़ी और मै". इस में आपने अपनी अम्मी का किरदार निभाया. अपनी माँ के जीवन को जीने का अनुभव कैसा रहा?
"कैफ़ी और मै" उर्दू का प्ले है जो जावेद जी ने लिखा है. मेरी अम्मी शौकत आज़मी की याद के बहुत से हिस्से ले कर और कैफ़ी साहब के मुख्तलिफ इन्टरवियु में  से कई हिस्से ले कर, उनको  जोड़-जोड़ कर जावेद साहब ने ये प्ले बनाया है. इसमें जावेद साहब मेरेअब्बा कैफ़ी साहब का रोल करते हैं और मै अपनी अम्मी का रोल करती हूँ. इस मै कैफ़ी साहब की  शायरी, उनके फिल्म के गाने और उनकी जीवनी- जैसे कैफ़ी साहब और शौकत कैसे मिले, उनका रोमांस फिर उसमे हास्य और राजनीती, फिर उसमे थियटर, ये सब हैं. ये एक ऐसे दो लोगों की  कहानी है जिन्होंने जिंदगी बहुत भरपूर तरीके से जी है.  ये कहानी  आज की नवजवान पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन सकती है क्योंकि ये वो लोग है जिन्होंने हिंदुस्तान की आज़ादी की जद्दोजहद में हिस्सा लिया और एक ऐसी ज़िन्दगी का सपना देखा जहाँ  सामाजिक न्याय हो. उन्होंने सामाजिक बदलाव के लिए कला का इस्तेमाल हथियार के  तौर पर किया. मेरे लिए ये प्ले नहीं कह सकती हूँ क्योंकि मै खुद को खुशकिस्मत  समझती हूँ कि मेरे ऐसे माँ बाप है और इस प्ले के जरिये  उनके जीवन के पहलुओं को लोगों के साथ बाँटने का मौका मिला.

इस का अंग्रेजी में तर्जुमा (अनुवाद ) हुआ है और ये अमेरिका में करिकुलम के तौर  पर प्रयोग हो रहा है. इस को पढ़ के यहाँ के विद्यार्थी भी लाभ्वान्वित होंगे.
हाँ बिलकुल. इस किताब का तर्जुमा नसरीम रहमान ने किया है जो कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से है. अमर्त्य सेन ने कहा है कि ये दो ऐसे इंसानों कि कहानी है जो एक दूसरे से  बेपनाह मोहब्बत करते हैं, उसके साथ साथ एक अच्छे समाज का सपना भी देखते हैं और इसको अलग अलग  तरीके से पूरा करने कि कोशिश करते हैं, जबकि उनकी प्रतिबद्धता एक है. "अलग-अलग व्यतित्व मगर एक ही सपना, एक ही जज्बा, एक ही उद्देश्य समाज मैं सही बदलाव का". पूरी किताब का सारांश इतने कम शब्दों में अमर्त्य ही कह सकते हैं.

आप एक प्ले को अलग-अलग शहरों और मुल्कों में करती है तो एक ही किरदार को उसी उत्साह उसी भाव के साथ बार-बार करना कितना मुश्किल हैं और कितना आसान?
ज्यादा तर तो कठिन ही होता है क्योंकी बहुत अलग किस्म के अनुशासन की जरुरत  होती है. जो कलाकार है वो अपना यंत्र खुद होता है. देखिये जैसे कोई तबला बजाने वाला या सितार बजाने वाला होता है तो वो कितनी कामयाबी से बजा सकते है, ये इस बात पर निर्भर करता है कि उनकी उगलियों में कितना हुनर है और उनका यंत्र कितनी अच्छी तरह समस्वरित (टीयुंड) है पर जो कलाकार है उसके पास बस उसी का ज़हन और दिल  है. उस दिल में कितना अनुभव है, आपने ज़िन्दगी में क्या क्या सीखा है वो सब आपके व्यक्तित्व का हिस्सा बन जाते हैं. जब वो हिस्सा बन जाते हैं तो आप भावनात्मक रूप से समृद्ध होते है और जब ऐसा होता है तो फिर आप इस की खुशबु बिखेर सकते हैं. अपने नए नए किरदारों में इस अनुशासन को रोज़ एक नई तरह से जीने के लिए बहुत जरुरी है कि आप जब काम कर रहे हो तो आप का फोकस पूरी तरह से आपके किरदार पर होना चाहिए. यदि आपका इधर उधर ज़हन भटकने लगा इसलिए कि आप प्ले को कई बार कर चुके हैं तो उसमे एक थकान आ जायेगी और वो  दर्शकों  को दिखाई देगी और उनको मनोरंजक नहीं लगेगी.

कैफ़ी साहब की कोई नज़्म जो आपको बहुत पसंद हैं हमारे पढने  वालों को बताइए-

जी बिलकुल एक है :-------
प्यार का जश्न नई तरह मनाना होगा
गम किसी दिल में सही, गम को मिटाना होगा
 
एक उनकी एक नज्म है "औरत" जो उन्होंने ६० साल पहले लिखी थी-

ज़िन्दगी ज़हद में है सब्र के काबू में नहीं
नब्जे हस्ती के लहू कापते आंसू  में नहीं
मुड़ने खुले में है निखत कमेगेसू में नहीं
जन्नत एक और है जो मर्द के पहलू में नहीं
उसकी आजाद रविश पर मचलना है तुझे
उठ मेरी जान  मेरे साथ ही चलना है तुझे

जावेद जी का कोई शेर जो आप को बहुत पसंद हो

कभी तो इन्सान ज़िन्दगी की करेगा इज्जत
ये एक उम्मीद आज भी दिल में पल रही है मेरे

आपने बीबीसी  टीवी के लिए २००६ में "बंगलाटाउन  बैन्कवयट"   किया था उसका अनुभव कैसा था ?
बहुत अच्छा अनुभव था. उसमें एक बंगलादेशी लड़की की कहानी थी जिसका शौहर बिना उससे पूछे एक नौजवान बीवी घर पर ले आता है. वो अपनी सहेलियों के साथ बाहर जाती है एक पिकनिक के लिए उस पिकनिक पर किस तरह से अपनी परिस्तिथि से जूझती है और किस तरह से उसको ताकत आती है ये हीकहानी थी. उसको कनिका गुप्ता ने लिखा था.

भविष्य में आपकी आने वाली कौन कौन सी फ़िल्में है ?
"मुक्ति", "राजधानी एक्प्रेस" और दीपा मेहता की है "टाईटेनिक वेर्सेज" जो अभी शुरू नहीं हुई है.

आप एक समाज सेविका है अपने देश की समस्याओं से आप अच्छी तरह बाकिफ है. आपको क्या लगता है कि ऐसी कौन सी समस्याएं हैं जिनको दूर कर के अपने देश को और भी आगे बढाया जा सकता है ?
मुझे ऐसा लगता है कि किसी भी देश की  प्रगति का मापदंड उसकी इकोनामिक ग्रोथ नहीं हो सकती बल्कि उस देश का मानवीय विकास सबसे जरूरी है जिसमें औरतो का सशक्तिकरण एक बहुत महत्वपूर्ण मापदंड है. हमारे मुल्क में यदि हम शिक्षा और तालीम पर ध्यान दे और विशेष तौर पर लड़कियों की  शिक्षा पर ध्यान दें, उसकी सेहत का ध्यान रखें और सभी के लिए आमदनी का कोई जरिया हो सके, जब ये चीजे होंगी तब सही मायने में हम प्रगति करेंगे. हिदुस्तान की प्रगति दो हिस्सों में बटती जा रही है. गरीब ज्यादा गरीब हो रहा है और अमीर ज्यादा अमीर हो रहा है. गाँधी जी ने हमको सिखाया था कि तब तक  प्रगति की बात नहीं कर सकते जब तक कि जो सबसे गरीब इन्सान है उसके आँख का आंसू हम नहीं पोंछ सकते.

 

Friday 15 May 2020

एक बहुत ही  पुराना इंटरव्यू 


बेसुरे और बदतमीज मुझे पसंद नहीं :-आदेश श्रीवास्तव 


आदेश श्रीवास्तव जितने विनम्र और मृदुभाषी हैं उतना ही गुस्सा भी उनको आता है, फिर चाहे वो गुस्सा व्यवस्था के खिलाफ हो, झूठ और बेईमानी के खिलाफ हो या फिर अंहकार और दंभ के खिलाफ हो. संगीत के धनी और अपरिमित संगीत रचनाकार आदेश का नाम आज पूरे फिल्म जगत में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. सोना-सोना, शावा-शावा और गुर नालों इश्क मीठा जैसे मधुर संगीत देने वाले आदेश से गुफ्तगू करने का मौका मिला और हम चले पड़े उस अतीत से इस सवेरे तक उनकी जीवन यात्रा में थोडी देर-


आदेश जी परिवार के बारे में बताइए-


मेरे परिवार में २ बहन और ३ भाई है. मेरी माँ का देहांत ७ साल पहले हो गया था. वो मनोविज्ञान की प्रोफेसर थी. मेरे पिता जी रेलवे में मेकेनिकल इंजिनियर थे और अभी रिटायर हो गए हैं. शादी के बाद मेरा छोटा सा परिवार हैं मेरी पत्नी विजेता पंडित और दो बेटे हैं.


आप का बचपन कहाँ बीता और शिक्षा कहाँ पर हुई?


मेरा बचपन जबलपुर में  बीता और यहीं पर  मैने मोर्डन हाई स्कूल से ग्याहरवीं पास किया.


आप डॉक्टर बनना चाहते थे पर संगीत कि दुनिया में  कैसे आ गये?


मेरी माँ चाहती थी कि मै मेडीसिन में  जाऊँ. उस समय प्री मेडिकल टेस्ट होते थे उस के लिए कुछ प्रतिशत नंबर लाने होते थे तो कुछ बना नहीं. संगीत का मुझ को बहुत शौक था हम घर में बस ऐसे  ही गाया करते थे. मेरी बड़ी बहन गाती थी, मै गाता  था और बजाता भी था. मै बहुत शरारती  था, पतंग बहुत उडाता था हौकी और फुट बॉल खेलता था तो तो पिता जी ने कहा कि ये सब करने से अच्छा है कि तुम संगीत सीख लो वो सोचते थे कि संगीत सीखने लगेंगे तो बच्चे घर में  ही रहेंगे. उस समय मुझे भी नहीं पता था कि मै संगीत को अपनाऊंगा.


आप ने कहा आप पतंग  बहुत  उडाते थे. क्या सिर्फ त्यौहारों पर या फिर हमेशा? और क्या आज भी ये शौक आप में  जीवित है ?


मै तो हमेशा ही पतंग  उडाता रहता था. त्यौहारों में तो खास. आज भी मै पतंग उड़ाता हूँ. संक्रांति पर विशेष रूप से उड़ाता हूँ  समीर जी को भी बहुत शौक है पतंग  उडाने का और हम साथ मस्ती करते हैं.


आप ड्रम सीख के मुंबई आये थे. यहाँ अपनी जगह बनाने में आप को किन किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?


वो मेरा स्ट्रगल का समय था जो बहुत ही कठिन था. उस समय गुट बंदी बहुत थी. जैसे आर डी बर्मन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी, कल्याण जी- आन्नद जी, इन सभी के अपने अपने मुज़िशियन हुआ करते थे. सभी पूछते थे कि तुम किस के रिश्तेदार हो  मै कहता मेरा तो यहाँ कोई नहीं है तो कहते फिर तुम को यहाँ कोई काम नहीं मिलेगा.  मै बीच में  एक-साल के लिए स्टेज करने  चला गया. मै वहां ड्रम बजाता था, महेंद्र कपूर, किशोर दा इन सब के साथ काम किया. १९८२ की बात है लक्षमीकान्त जी के पास  ड्रमर नहीं था तो उन्होंने मुझे एक गाने की रिकार्डिंग के लिए बुलाया और उस के बाद से मैने उनको  साथ काम करना प्रारम्भ कर लिया.


आप की पहली फिल्म थी कन्यादान. वो कैसे मिली?


हीरो फिल्म  कि शूटिंग चल रही थी. उस में  जैकी हीरो था,वो मेरा अच्छा दोस्त है तो उस ने ही मुझको मिलाया सुधाकर बोकाडिया जी से और इस तरह मुझको पहली फिल्म मिली. मेरा पहला गाना लता जी ने गाया था. उस गाने को के सी बोकाडिया जी ने सुना तो उन्होंने अपनी फिल्म के लिए  मुझको साइन कर लिया फिर प्रह्लाद निल्हानी जी ने मुझ को साइन किया इस तरह से ये सिलसिला चल निकला.


प्रारंभ में आप की फिल्म कन्यादान तो रिलीज नहीं हो पाई और जाने तमन्ना कुछ खास  नहीं चली तो आप को निराशा नहीं हुई?


क्या हुआ आओ प्यार करें पहले रिलीज हो गयी जब कि वो कन्यादान और जाने तमन्ना के  साथ ही बन रही थी. उस में शिल्पा शेट्टी और शैफ़ अली खान  थे. उस के गाने बहुत हिट हुए, मेरी पहली फिल्म वही रिलीज हुई  थी और मेरे  संगीत का पहला रिलीज भी वही था तो मै बहुत खुश था.


आप का एक अल्बम था "दिल कहीं होश कहीं", ये आप को बताये बिना रिलीज हो गया था. क्या हुआ था उस समय?


वो अल्बम नहीं था, वो फिल्म के गाने थे. चेतन आन्नद जी एक फिल्म बना रहे थे, जिस में शाहरुख़ खान थे. क्या हुआ कि फिल्म तो बनी नहीं क्यों कि चेतन आन्नद जी कि म्रत्यु हो गई. मुझे बताये बिना गानों को रिलीज कर दिया गया, मै एक दिन टी वी पर देखता हूँ कि अरे ये तो मेरा गाना चल रहा है. उस पर अल्बम भी बन गया है. मै बहुत हक्का बक्का रह गया कि अरे मुझे बिना बताये ये इन लोगों ने कब कर दिया. भरत शाह, युनिवर्सल स्टूडियो से मेरी थोडी बहस भी हो गई थी. मैंने कहा कि ये गाना मेरा है और आप ने मेरा नाम तक नहीं दिया ये कहाँ का इंसाफ है? फिर बाद में  उन्होंने मेरा नाम देना प्रारंभ किया. भारत में  क्या है कि कॉपी राइटस और  क्रेडिट को ले कर थोडी जद्दोजहद करनी होती है. यहां पर आज भी लोग संगीतकार को दबाते हैं जिनका जितना हक़ बनता है उतना नहीं मिलता है.




क्या आप का कोई संगठन नहीं है जो रायल्टी और हक़ मिलने का ध्यान रख सके?


हम सभी  संगीतकार  मिल कर अपने अधिकारों के लिए लडाई कर रहे हैं. हमारे सक्रिए सदस्य हैं जतिन पंडित जी, समीर जी, शंकर, अहसान ,लॉय के शंकर जी, संगी साहब. अभी बहुत सी चीजें ठीक भी हो रहीं हैं.


२००३ में बनी बागबान में आप का संगीत हैं और उस में आप ने अमिताभ जी से गाने गवाएं है. अपने संगीत पर अमिताभ जी को गवाने का कैसा अनुभव रहा?


अमित जी को उससे पहले भी कभी ख़ुशी कभी गम में शावा शावा गाने मै गवा चुका था. उस गाने में अमित जी की बहुत आवाज है हालाँकि उन को क्रेडिट नहीं दिया गया है. गाना सुदेश ने गाया है पर अमित जी का जो एनेर्जी स्तर था वो मुझको मिल नहीं रहा था.तो मैने अमित जी को एक पूरा सेकेण्ड ट्रेक गवाया था. इस गाने में जो कहा गया है ऐले ,एवरी बाडी और  शाबा शाबा जो जोर से है ये सभी अमित जी की आवाज में है. बागबान में मैने  अमित जी से चार गाने गवाएं हैं. उन के साथ काम करना हमेशा  ही बहुत सुखद अनुभव रहा है .हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत सहज महसूस करते हैं. अभी तक मैने ही अमित जी को सब से ज्यादा गाने गवाएं हैं. कल्यानजी आनद जी ने, फिर पंचम जी ने महान में  गवाया था. मैने अभी तक उनसे ११ गाने गवा चुका हूँ.


आप ने हनुमान चालीसा को रिकॉर्ड किया हैं. इस के बारे में हमारे पढने वालों को कुछ बताइए.


हनुमान चालीसा को मैने राग अहिर भैरो में रिकॉर्ड किया है. अहिर भैरो सुबह गाया जाने वाला राग है. इस को सुन कर आप तनाव मुक्त हो जायेंगे. इस में  मैने पूरी नयी  धुन दी है. जो साउंड मैने प्रयोग किया है वो मेडिटेशन की तरह है. इस को यदि आप सुबह सुनेगे तो आप का पूरा दिन बहुत अच्छा बीतेगा. वैसे हनुमान चालीसा स्वयं में ही इतना सक्षम है कि उसे सुन कर मन शांत हो जाता है.


हनुमान चालीसा में किस किस ने अपनी आवाज दी है?


हनुमान चालीसा अमित जी ने गाया है और  उनके साथ २० गायक गायिकाएं हैं, मै  हूँ, हरिहरन, सोनू निगम, कैलाश खेर, सुखविंदर, शंकर महादेवन, शान, के के, रूप कुमार, विनोद राठौर, कुमार शानू , अभिजित, और हंस राज हंस. इसी में सीता राम जाप भी है जिसमे सभी गायिकाएं है विजेता, कविता, साधना, अनुराधा, ऋचा, सुनिधि, श्रेया. मै सभी का बहुत शुक्र गुजार हूँ क्यों की सभी ने मुझको पूरा सहयोग दिया है. ये अपनी तरह का अकेला अल्बम है.


"जब नहीं आये थे तुम" इस गाने में आपने संगीत दिया है पर आवाज को प्राथमिकता दी है इस के पीछे क्या सोच थी आप की?


निदा फाजली ने ये गाना  बहुत  सुंदर लिखा है अतः संगीत कम ही रखा था. इसे विजेता ने गाया है और करीना को भी कोशिश कराई थी.


आप ने इतनी फिल्मों में  गाने गायें  हैं उनमे से आप को कौन सा गाना बहुत पसंद है ?


आँखें मूवी का गाना है गुस्ताखियाँ है, प्रकाश झा की फिल्म है "राजनीति", उस में एक गाना मैने गया है "मोरा पिया मोसे बोले न "जो मुझे बहुत पसंद है.


आज जो संगीत दिया जा रहा है उस में अधिक तर संगीत में बहुत मिलावट है. आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगें ?


सच है, आज  कल ऐसा बहुत हो रहा है. मै स्वयं इस के बहुत खिलाफ हूँ. मै बहुत मेहनत से एकदम ओरिजनल काम करता हूँ . मै उन लोगों से नफरत करता हूँ जो इधर उधर से उठा के गाने बनाते हैं.जो गाना वेस्ट में  हिट होता है उस को कॉपी करने की होड़ लग जाती है कि कौन पहले चोरी  कर ले. भगवान का शुक्रिया करता हूँ कि मै इन सब से बचा हुआ हूँ. एक ऐसी  साईट है जहाँ आप को ऐसे सभी संगीत कारों के नाम मिलेंगें जिन्होंने गाने चोरी किये हैं उन में  आप को मेरा नाम नहीं मिलेगा.


क्या यही कारण है कि पुराने गाने अभी भी सुनने में उतने ही अच्छे लगते हैं और नए गाने आते हैं और चले जाते हैं?


नहीं ऐसा नहीं है. क्या है कि पुराने समय में महीने में एक या दो फिल्म के गाने आते थे तो आप के पास चुनाव करने को नहीं होता था. आज कल तो फ़िल्मी और गैर फ़िल्मी मिला के हफ्ते में १२ अल्बम आते हैं. तो आप के पास चुनने के किये बहुत होता है आज के समय में स्टैंड करना बहुत कठिन है.


 आप पर ये तोहमत लगाई गई है कि आप पाकिस्तानी सिंगर्स के खिलाफ हैं. आप क्या कहेंगे?


ऐसा कुछ भी नहीं है. मै पाकिस्तानी सिंगरस के खिलाफ या मुस्लिम के खिलाफ बिलकुल भी नहीं हूँ . आप को पता है ? जब मेरी पहली फिल्म रिलीज हुई थी तो मैने रोजे रखे थे लेकिन मै बेसुरों और बत्त्तमीजों के खिलाफ हूँ. मेरे घर और ऑफिस में बहुत से मुस्लमान भाई काम करते हैं. गुलाम अली खान साहब मुझको अपना भाई मानते हैं. मेरे चाहने वाले पाकिस्तान में बहुत ज्यादा है. बहुतों के तो फोन भी आते हैं. मेरे खिलाफ गलत बातें उछाली गईं हैं.


स्टार व्यास ऑफ़ इंडिया में जब आतिफ असलम जी अपने अल्बम को प्रमोट करने आये थे तो आप ने कुछ कड़े शब्दों का प्रयोग किया था. कुछ कहना चाहेंगें?


हाँ. आप पहली हैं जिसने ये पूछा है तो मै बताना चाहूँगा, क्या हुआ कि आतिफ अपना अल्बम प्रमोट करने के लिए आया था. मै, जतिन जी, और अलका जी हम सभी बैठे थे. आतिफ ने किसी को न हेलो कहा, न सलाम, न नमस्ते. कुछ भी नहीं बस आके अपनी जगह पर बैठ गया. हम सभी वहां उस से सीनियर थे, उम्र मे भी बड़े थे पर किसी को कोई दुआ सलाम नहीं तो ये बत्तमीजी नहीं है तो और क्या है. हर कोई अपना नसीब ले कर आता है. यदि आप को यहाँ से नाम मिल्र रहा है तो अच्छी बात है मैं आप के किये खुश हूँ और जलन का अनुभव नहीं कर रहा हूँ पर हमारे फिल्म जगत में विनम्रता और तहजीब हम सब से पहले सीखते हैं और मैं वही उम्मीद करता हूँ और साथ में ये भी उम्मीद करता हूँ कि लोग सुर में गायें. टिप्स कम्पनी (जिस का वो कलाकार है ) के मालिक रमेश जी ने मुझसे पूछा कि क्या हो गया था तो मैने कहा कि उस को बड़ों कि इज्जत करनी नहीं आती है.

मुझे तो इस बात पर हैरत होती है कि वो उस धरती का है, जिस से गुलाम अली खान साहब, राहत अली हैं. ये कितने विनम्र, ऊँचे गायक और अच्छे इन्सान है. आप आबिदा परवीन जी , गुलाम अली जी, राहत जी  से मेरे बारे में पूछिये वो बतायेंगें मै कैसा हूँ ?

आप बहुत प्रतिभावान है. आप के संगीत में ताजगी है, आत्मा है, माधुर्य है पर क्या आप को लगता है कि आप को वो पहचान वो जगह मिली है जो आप को मिलनी चाहिए?


आज कल संगीत से ज्यादा आप को व्यापार आना चाहिए. आप को पेपर वर्क करना और  लोंबी बनाना आना चाहिए मै इन सभी में बहुत बेकार हूँ. बहुत से लोगों के लिए तो १५  लोग लोंबी बनाने के लिए काम करते हैं. हौलीवुड पहुँच जाते हैं तो लोग उनको सर पर बैठा के रखते हैं, मुझ को लोंबी बनाना नहीं आता मै बस भगवान के पास लोंबी बनाता हूँ, उनकी पूजा करता हूँ और इस दौड़ में फ़िलहाल शामिल नहीं हूँ .


आप  के भविष्य का प्रोजेक्ट क्या है ?


अभी रवि चोपडा जी, गोविन्द निल्हानी जी की फिल्म कर रहा हूँ. राजनीति के बारे मै बता चूका हूँ. अभी एक ग्लोबल  प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूँ "साउंड ऑफ़ पीस" इस में मै ललित मोदी कारपोरेशन के साथ काम कर रहा हूँ.


क्या अभी आप का कोई  प्राइवेट अल्बम आने वाला है ?


हाँ मेरे दो तीन अल्बम एक साथ आयेंगे. रागा लाउनच कर के है. इस में  सभी गाने रागों पर आधारित हैं. मैने इस को वर्ल्ड वाइड रजिस्टर किया है. ये दिसम्बर में   रिलीज हो जायेगा. इस मै सरे नए लोगों को औफ़र  दिया है. यदि उनका विचार मेरे विचार से मिल जायेगा तो उन को मै मौका दूंगा. सभी  मुझको अपना  ट्रैक भेज सकते हैं इसमें उनको पूरा श्रेय मिलेगा और रोयल्टी भी मिलेगी.


आप ने अपना एक लेबिल भी शुरू किया है. इस को शुरू करने के पीछे आप कि क्या सोच थी?


हमारे मुजिक लेबल का एक उद्देश्य है कि हम नयी प्रतिभाओं को किस तरह से बढ़ावा दें और सम्मान दें क्यों की जब कलाकार बाहर जाते हैं तो  हमारे ही गानों  पर परफोर्म करते हैं, कोई संवाद क्यों नहीं बोलते जो उनकी चीज है. बहुत कम कलाकार एसे हैं जो स्वयं गा के परफोर्म करते हैं. जैसे अमित जी, अक्षय, आमिर, शाहरुख़. क्या है कि  ये प्रथा बहुत समय से ही चली आ रही है. इस में गलतियाँ प्रड्यूसर की ही नहीं है हमारी भी है क्यों कि हम ने कभी कुछ कहा ही नहीं. जो हमारा संगठन है उस मै  बातें आती है कि सर हम को ये नहीं मिल रहा है वो नहीं मिल रहा है तो हम ने कहा कि क्या आप ने कभी माँगा है तो बोले नहीं सर .तो जब माँगा नहीं तो कैसे मिलेगा? इन सभी चीजों को एक सिस्टम मै लाना चाहते हैं जैसे की हमारे वेस्ट में  काम होता है.


आदेश श्रीवास्तव जी के शब्दों में आदेश श्रीवास्तव क्या हैं ?


एक सच्चा इन्सान है, छल कपट नहीं जानता हूँ और अगर ईश्वर ने मुझे कोई कला दी है तो मै उस को दूसरो में बाटूँ.


क्या ऐसा  अभी भी  कुछ है जो आप जीवन में  करना चाहते हैं ?


अभी भी मुझे जो मिलना चाहिए था, नहीं मिला है पर लोगों का प्यार बहुत मिला है मुझे. मै सभी का बहुत शुक्रगुजार हूँ. नव जवान जो गलत दिशा में  जा रहे हैं उनको अपने संगीत के जरिये मैं सही दिशा दिखाना चाहता हूँ. साउंड ऑफ़ पीस के जरिये यही करना चाहता हूँ.

सोल्ड आउट शो का रिकॉर्ड

 सोल्ड आउट शो का रिकॉर्डदुनिया मेरे आगे



टेलर स्विफ्ट संगीत की दुनिया का एक जाना माना नाम हैl अमेरिका के आलावा और सभी देशों में भी इनके गाने बहुत ही पसंद किये जा रहे हैंl टेलर इनदिनों अपने अल्बम १९८९ का प्रचार करने के लिए दुनिया भर में शो कर रही हैंl यहाँ एक बात आपको बता दें कि टेलर का जन्म भी १०८९ में हुआ हैl इसी दौरे में २५ अगस्त को स्टेपल सेंटर लॉस एंजेलिस में टेलर स्विफ्ट का शो हुआl.लॉस एंजेलिस के स्टेपल सेंटर में होने वाले ५ शो में से ये एक थाl इस सेंटर में इनके कुल ६ शो होने है और सभी शो के सारे टिकट बिक चुके हैंl ,DSC07907
स्टेपल सेंटर में ऐसा किसी कलाकार के साथ पहली बार हुआ है, इसीलिए स्टेपल सेंटर में टेलर स्विफ्ट का एक बैनर स्थायी रूप लगा दिया गया है, जिसपर लिखा है “टेलर स्विफ्ट मोस्ट सोल्ड आउट पर्फोर्मेंसेस”l टेलर स्विफ्ट अपने प्रत्येक शो में मेहमान कलाकार को लाती है और अपने दर्शकों को आश्चर्य चकित कर देती हैंl कल के शो में ग्रैमी पुरस्कार विजेता टे बीक और विन्सेंट मेहमान कलाकार थेl लोग उनको देख कर ख़ुशी से झूम उठेl .कार्यक्रम का प्रारम्भ वेन्स जॉय ने अपनी सुन्दर आवाज में ” आई गॉट अ लॉट टू से” से किया उसके बाद उनके हर गाने को लोगों ने खूब सराहाl इसके बाद हैम(अमेरिका का पॉप बैंड) ,उसने परफॉर्म किया .लोग इसकी धुनों पर झूमते नज़र आयेl .इस बैंड ने लोगों का खूब मनोरंजन कियाl .लोग अब अपनी चहीती गायिका टेलर स्विफ्ट का इंतजार कर रहे थेl टेलर “वेलकम टू न्यू यॉर्क” गाते हुए मंच पर आई लोग खड़े हो गए और पूरा स्टेडियम टेलर स्विफ्ट के नाम की आवाज से गूंजने लगाl प्रत्येक गाने के बीच मेँ प्रोलोग और उनके दोस्तों के साक्षात्कार दिखाए गएl मंच की सजावट बहुत अच्छी थीl टेलर के साथ मंचपर नृत्यकलाकर बहुत ही उत्तम नृत्य प्रस्तुत कर रहे थेl DSC07914.विभिन्न प्रॉप्स ने नृत्य को और भी सुन्दर बना दिया थाl टेलर स्विफ्ट ने अपने सारे फैंस को अपना दोस्त कहा और कहा कि किसी के लिए स्वयं को बदलने कि कोई जरुरत नहीं हैl घूमने वाले पेट्फॉर्म पर टेलर ने लव स्टोरी,क्लीन और योर इन लाइव, गाने गएl घूमने वाले प्लेटफॉर्म से टेलर अपने प्रसंशकों के बीच में पहुँच गयीं इतने पास के उनसे हाथ भी मिलाया जा सकता थाl .दर्शकों को हाथ में पहनने के लिए बैंड दिया गया था, जो भिन्न भिन्न रंगों में चमकता थाl टेलर स्विफ्ट के गाये हर गानों के साथ बैंड एक अलग रंग के प्रकाश में चमक उठता था और ऐसा लगता था कि मानो पूरे स्टेडियम में एक ही रंग के तमाम जुगनू निकल आएं हैंl
देर रात तक चलने वाले इस कार्यक्रम में लोग कार्यक्रम के ख़त्म होने तक स्टेडियम में बैठे रहेl .टेलर के गाने मानवीय सम्बन्धों पर आधारित होते हैं जो सुनने वालों को कहीं न कहीं अपनी कहानी लगते हैं, इसीलिए इनके गाने लोगों के हृदय में उत्तर जाते हैंl टेलर का ये कंसर्ट शो के हर मापदंड पर खरा उतरता हैl टेलर के साथ इस शो के आयोजक भी बधाई के पात्र हैl

टेलर स्विफ्ट का जादू जो लोगों के सर चढ़कर बोला



टेलर स्विफ्ट का जादू जो लोगों के सर चढ़कर बोलामनोरंजन जगत


टेलर स्विफ्ट का रेपुटेशन स्टेडियम टूर २०१८ रोज बॉल स्टेडियम में १९ मई शनिवार को सम्पन हुआ। करीब ६०००० लोगों ने इस शो का आनन्द लिया। शुक्रवार १८ मई को इसी स्टेडियम में इनका एक शो हो चूका था और उसमे भी करीब इतने ही लोग आये थे। टेलर स्विफ्ट ये नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अमेरिका ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में इनके गानो को बहुत ही शौक से सुना और पसंद किया जाता है।
शो ७ बजे शुरू होना था पर लोगों का आना ४ बजे से ही शुरू हो गया था। स्टेडियम खचाखच भरा था। स्टेडियम के बाहर मेला सा लगा था। खाने पीने के बहुत से स्टॉल लगे थे। लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। कोई टेलर के चित्र वाली टीशर्ट पहने था तो कोई बड़ा सा बैनर लिए हुए था। सभी दर्शकों को टिकट के साथ एक रिस्ट बैंड दिया गया था।
७ बजते ही मंच पर आयीं इंग्लैंड की सिंगार चार्ली एक्स सी एक्स। उन्होंने लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। इनके बाद कमीला काबेल्लो “never be the same ” गाते हुए मंच पर आईं। जो लोगों को बहुत पसंद आया। इन्होने “control “,in side out “”havanah “इत्यादि गाने गाये। जिसपर लोग नृत्य करते नज़र आये।

करीब आठ बजे टेलर स्विफ्ट के बारे में मीडिया में जो कुछ भी अच्छा या बुरा कहा गया है उसकी क्लिपिंगस दिखाई गयी। इस क्लिपिंग में बार बार सांप दिखाए जा रहे थे क्योंकि उनके इस रेपुटेशन स्टेडियम टूर का थीम “सांप और दोस्त´ था। यहाँ पर साँप का मतलब है पीठ में छुरा घोपने वाले दोस्त। लोग टेलर के नाम के नारे लगाने लगे। इसी बीच टेलर “ready for it “गाते हुए मंच पर आईं। फिर क्या था पूरा स्टेडियम खुशियों की आवाजों से भर गया। जो बैंड टिकट के साथ दिया गया था वो अब प्रकाशित हो गया था। रिस्ट बैंड का प्रकाश कभी लाल कभी नीला और कभी सफ़ेद हो जाता था। ऐसा लग रहा था मानो सितारे ज़मीन पर उतर आएं हो। इस मोहक वातावरण में टेलर ने अपने बहुत से प्रसिद्ध गाने गए जैसे। … मंच पर हर गाने के साथ दृश्य बदल जाता था। जो माहौल को और भी आकर्षित बना रहा था।
टेलर अपने हर शो में सभी को आश्चर्यचकित करने के लिए कोई न कोई अतिथि कलाकार ले कर आती हैं। इस बार तो वह अपनी सबसे अच्छी सहेली सलीना गोमैज और ट्रॉय सीवान के कर आयीं। ट्रॉय सीवान का अल्बम ‘ब्लूम ‘अगस्त ३१ को आने वाला है। टेलर के साथ ट्रॉय ने ‘my my my ‘और सलीना ने “hands to my self ‘गाया। सलीना ने कहा टेलर उनकी सबसे अच्छी दोस्त हैं ,टेलर ने उनका साथ अच्छे और बुरे दोनों ही समय में दिया है। यह एक मजबूत महिला हैं।
इनके जाने के बाद टेलर ने पियानो पर “long live’ जो कि उनके बहुत पुराने अल्बम से और रेपुटेशन अल्बम से ‘new years day ‘गया। लोग बहुत ही उत्साह से गाने सुन रहे थे।

मंच के बारे में बताती चलूँ। इस शो के लिए ३ बड़े बड़े मंच बनाये गए थे। टेलर एक मंच से दूसरे मंच पर एल इ डी लाइट से सजे गंडोले में बैठ कर ‘bad blood ‘गाते हुए आयीं।उनकी पोशाकों की तरह उनके माइक भी लगभग हर गाने में बदल जाते थे। टेलर ने गिटार बजा कर “all two well “गया इन्होने अपनी’ पिक ‘लोगों के बीच फेंक दी। उसके बाद लोगों के बीच से होते हुए वह तीसरे मंच पर गयीं। इस दौरान उन्होंने अपने चाहने वालों से हाथ भी मिलाया। एक लड़की तो कह रही थी कि अब वह कभी भी हाथ नहीं धोएगी। टेलर ने अपने चाहने वालो का शुक्रिया करते हुए कहा कि मैने इतने सालों का ब्रेक लिया जो की मेरे लिए जरुरी भी था पर आप सभी ने मेरी इस बात को समझा और आज यहाँ आये हैं। यह मेरे लिए बहुत ही बड़ी बात है। आप सभी मेरे अच्छे दोस्त हैं। गौर तलब हो टेलर इससे पहले २०१५ में अपने अल्बम १९८९ का प्रचार करने के लिए टूर लेकर आयीं थी जिसको की लोगों ने बहुत पसंद किया था। फिनाले में टेलर अपनी पूरी डांस टीम के साथ मंच पर आयीं। मंच पर जिस प्रॉप का प्रयोग किया गया था उसमे से पानी निकल रहा था। वह देखने में बहुत ही अच्छा लगरहा था।
टेलर की माँ एंड्रिया शो के बीच में लोगों से मिल रही थी। वह एक बहुत ही भली और विनम्र महिला हैं। उन्होंने लोगों के साथ तस्वीर भी खिचवाई। इस शानदार शो को सफल बनाने के लिए प्रीमियम कम्पनी और रोज बॉल स्टेडियम ने कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी।


बच्चों का भविष्य सँवार रही है क्रायः अभय देओल

बच्चों का भविष्य सँवार रही है क्रायः अभय देओल

चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY) अमेरिका की लाभ-निरपेक्ष संस्था है जो सुविधा से वंचित बच्चों के अधिकार और सुरक्षा के लिए काम करती है। क्राय गाला रात्रि भोज २०१८ का आयोजन मेरिओट ला ओला सैन डिएगो कैलिफोर्निया में किया। इस कार्यक्रम में संस्था ने लगभग ६० हजार डॉलर एकत्रित किये गए। इस रोचक शाम का शुभारंभ लाबोनी पटनायक और राजेश कुमार पालाई के सुन्दर ओड़िसी नृत्य से हुआ।
इसके बाद मंच पर आईं क्राय अध्यक्षा शेफाली सुंदरलाल, उन्होंने ने कहा कि भारत में प्रत्येक चार में से एक ही बच्चा पढता है इसका कारण गरीबी बाल मज़दूरी ,बाल विवाह,पाठशालाओं का दूर होना और लिंगभेद इत्यादि है। क्राय अमेरिका स्थानीय लोगों के साथ और अधिकारीयों के साथ मिल कर काम करती है ताकि बच्चों को निरक्षरता, बच्चों के साथ दुर्व्यवहार और कुपोषण से बचाया जा सके। हम लोगों में जागरूकता पैदा करते हैं। शेफाली जी ने आगे कहा कि हम वहां स्कूल और अस्पताल नहीं बनाते हम वहां मौजूद चीजों को, वहां की व्यवस्था,वहाँ के अधिकारीयों तथा सरकार के साथ मिल कर काम करते हैं। हम देखते हैं कि बच्चे स्कूल जा सके और स्कूलों में आधारभूत सुविधाओं भी मौजूद हो क्योंकि बहुत से स्कूलों शौचालय ,टेनिंग पायी हुई शिक्षिकाएं ,यहाँ तक की पढ़ने के लिए कमरा और पढ़ाई का सामन भी नहीं है और यही सब सुभिधाएँ क्राय उपलब्ध करता है।

शेफाली जी ने बताया की नवीन एक बाल मजदूर था। उसके माता पिता ने उसका स्कूल जाना बंद करवा दिया ताकी वह काम कर सके। क्राय ने उसको पुनः स्कूल भेजा। नवीन को विज्ञान में बहुत रूचि हुयी उसने अपनी माँ को परेशान होते देखा था,तो अपने शिक्षकों की सहायता से उसने इको फ्रैंडली बायो फियूल बनाया। उसके इस अविष्कार को राष्ट्रिय स्तर पर चुना गया।
मध्य प्रदेश के गाँवों में बहुत से बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। हमने सभी के साथ मिल कर ये सोचा कि क्यों न शाक वाटिका (किचन गार्डन )का काम शुरू जाये और इन सभी परिवारों ने ऐसा ही किया। इस कारण से सारे बच्चे आज नार्मल हैं। शेफाली जी ने सारिका के बारे बताते हुए कहा की बिहार में रहने वाली इस बच्ची का विवाह १४ वर्ष की उम्र था। जब उसने विरोध किया तो उसको घर में बंद कर दिया गया। बिहार की एक संस्था है दिशा विहार जिसके साथ हम काम करते हैं उसको जब ये पता चला तो उनलोगों ने सारिका के माता पिता से और उसके ससुराल में सभी से बात की। बहुत मेहनतों के बाद सभी मान गए और सारिका को पुनः स्कूल में दाखिला दिलाया गया। आज वह अपने परिवार की पहली सदस्य है जो स्नातक कर रही है।
मनीषा जो बहुत काम बात करती है ज्योती विकास केन्द्र की सहायता से उसने बहुत कुछ सीखा और उसने कहा की आज वो खुल कर बोल रही है और वह मजिस्ट्रेट बनना चाहती है ताकि वह देख सके कि सभी बच्चे पढ़ाई कर सकें। शेफाली जी ने कहा कि यहाँ मैने मात्र तीन कहानियां बताई हैं ऐसी ही ६९५,०७७ कहानियां है। हमारे ७३ प्रोजेक्ट भारत के ३,६७६ गांवों में चल रहे हैं।
शेफाली जी ने आगे बोलते हुए कहा कि आप में ताकत है आप सहयोग कर सकते हैं ताकि कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे तथा स्वस्थ और सुरक्षित रहेl शेफाली जी २६ सालोँ से क्राय की अध्यक्षा है। आपके मार्गदर्शन से ये संस्था बहुत ही उत्तम कार्य कर रही है। अपने स्वयंसेवी लोगों को ,मिडिया को और वहां मौजूद सभी का धन्यवाद दिया।
इसी सभा में बोलते हुए व्यापारी प्रमुख श्री फ्रेड नास्सेरी ने कहा की मै भाग्यशाली हूँ कि मेरा बचपन सुरक्षित था तो मै ये सब कर पाया। पर यदि मुझको परिवार का सहयोग न मिलता तो मै आज कुछ भी नहीं होता। ये सोच कर ही अजीब सा लगता है। हम में सामर्थ है तो हमको इन बच्चों के लिए कुछ न कुछ करना चाहिए।
इसके बाद भारत से आये मशहूर हस्तियों के सामान की नीलामी की गयी। नीलामी करने के लिए बहुत से नामी हस्तियों जी चीजें उपलब्ध थी ,जिनमे भारत के मशहूर चित्रकार स्वर्गीय राम कुमार ,स्वर्गीय बद्री नारायण ,जे एम् एस मनी , प्रकाश देशमुख ,सुरेश गुलागे ,सचिन संगारे ,दिनकर जादव ,फैशन के संपरिधान अबू जानी,संदीप खोसला ,ऋतू बेरी ,ऋतु कुमार ,तरुण ताहिलियानी ,अनीता डोंगरे ,पायल सिंघल , तहिलयानी, इवनिंग क्लच बैग सब्यसाची और जॉय बैग्स के द्वारा उपलब्ध कराये गए ,गहने रोसेंटिक,अक्वामरीन ,करीना नहर और आम्रपाली के द्वारा दान किये गए थे। साइली ओक के मधुर संगीत को भी लोगों ने बहुत पसंद किया।
जाने माने अभिनेता अभय देओल के मंच पर आते ही लोगों ने जोरदार तालियों से उनका स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मै पिछले कई दिनों से इनके साथ हूँ और ये मेरा बहुत ही अच्छा समय रहा है । क्राय ने मेरी आँखें खोल दी हैं। क्राय १९७९ से इस क्षेत्र में कार्यरत है । ७००,००० बच्चों की मददत की जा चुकी है आपकी सहायता से ये अकड़ा करोड़ों को पार कर सकता है ,आप जैसों की सहायता से ही हम ७०,००० हियुस्टन और ८०,००० सैन होज़े में एकत्र कर सके हैं। कुपोषण के शिकार बच्चों ,बाल मज़दूरी और बालविवाह में पूरी दुनिया में हम प्रथम स्थान पर हैं । आप की सहायता के बिना हम इस संख्या को बदल नहीं सकते हैं। क्राय बहुत ही अच्छा और सच्चा काम कर रही है। आप अपना पूरा सहयोग दीजिये। आगे की बात आपको रोली जी बताएंगी

शम्भुनाथ सिंह अनुसन्धान संस्थान (Shambhunath Singh Research Foundation (SRF)) की कार्यक्रम निर्देशिका डॉ रोली सिंह अभय का धन्यवाद देते हुए कहाकि आज भी ४५% लड़कियों का विवाह काम उम्र में कर दिया जाता है। हमने बहुत सी बच्चों को इससे बचने में मददत की है बनारस में लड़कियों को पकड़ कर लाया जाता है और उनसे जबरन देहव्यापार कराया जाता हैं। उन्होंने कहा की भारत में बुनियादी स्तर पर काम करना आसान नहीं है। एक बार उनको पता चला की कुछ नवालिक लड़कियों से देह व्यापर करवाया जा रहा है तो वह पुलिस को ले कर वहाँ पहुंची परन्तु कोई नहीं मिला उनके पहुंचने से पहले ही उनके आर की खबर हो गयी थी। सभी उनको कहने लगे आप ऐसे ही बात करती हैं कुछ भी नहीं है यहाँ। रोली जी का मन नहीं मान रहा था वह कमरे में धूम रहीं थी तभी एक पत्थर उनको कुछ अलग सा लगा उन्होंने पुलिस वालों को वह पत्थर हटाने को कहा। जब पत्थर हटाया गया तो नीचे एकछोटा सा तहखाना दिखा और उसमे ३५ लड़कियों को जानवरों की तरह ठूंस कर भरा गया था। रोली जी ने कहा “उन लड़कियों को हम पर विश्वास नहीं था वह सभी कहने लगीं कि उनको जबरदस्ती नहीं लाया गया है ये सभी मेरे रिश्तेदार हैं यह मेरा घर है। किसी तरह से उनसे बात करते करते हम उनका विश्वास जीत पाए तो ऐसी ऐसी कहानियां निकल कर सामने आयीं की क्या कहूं आप सभी से। इन लड़कियों को उनके घर वाले ले जाने को तैयार नहीं होते हैं। हमने उनके माता पिता से बात की जिस कारण से अभी अधिकतर लड़कियां अपने घर जा चुकी हैं। जब हम इन लड़कियों को छुड़ा कर लाये तो उसके बाद हमको मेरे बेटे के लिए बहुत धमकियाँ मिलीं l मेरा एक ही बेटा है ,सच कहूं तो उस समय मुझे बहुत डर लगा था l पर मैने सोचा कि यदि आज मै डर गयी तो फिर मुझे इस क्षेत्र में काम करना छोड़ देना चाहिएl ”
क्राय का धन्यवाद करते हुए रोली जी ने कहा कि यह ऐसी संस्था है जो आप को काम करने की छूट देती है बहुत सी अन्य संस्थाएं है पर क्राई ही अकेली ऐसी संस्था है जो कि सहभागिता में विश्वास करती है और सबके साथ मिल कर काम करना चाहती है। क्राय के कारण बहुत से बच्चों का भविष्य उज्जवल हुआ है।
क्राय के ऑर्जेन काउंटी शाखा के सदस्य क्राय सैन डिएगो को सहयोग देने के लिए उपस्थित थे। इस मनोरंजक शाम का संचालन प्रसिद्ध हास्य वक्ता नील चक्रवर्ती ने बहुत ही कुशल तरीके से किया। कार्यक्रम की समाप्ति पर लोगों ने सह-भोज का आनंद लिया।

यूफोरिया का नया अल्बम 'आइटम '



एक पुराना इंटरव्यू



 यूफोरिया का नया अल्बम 'आइटम ' :-पलाश सेन
 रचना श्रीवास्तव


 माई री ,अभी आना तू मेरी गली ,धूम पिचक धूम यूफोरिया ग्रुप के ये गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं l अभी यूफोरिया ने अपना  नया अल्बम 'आइटम'(Item ) अमेरिका में रिलीज किया l इसी अल्बम को प्रमोट करने के लिए  यूफोरिया ग्रुप इन दिनों अमेरिका के दौरे पर है  न्यो(Nyoo ) टी वी और आम्रपाली ग्रुप के बैनर तले यूफोरिया अमेरिका और कनाडा के १० शहरों में शो करने वाले हैं l इसी दौरान मुझे  डॉ पलाश सेन से बात करने का मौका मिला l
 अमेरिका आने से पहले आप एम  टीवी के लिए शूटिंग कर रहे थे उसके बारे में कुछ बताइए
एम टी वी ऐ के ऐ ( (Music Television International ) जो की एम टी वी का अंतर्राष्टीय फार्मेट है ये अभी अभी भारत में आया है .एम टी वी अका (ऐ के ऐ ) ने अपना पहला विडियो ही शूट किया है जो की हमारे साथ किया है  ये हमारे लिए बहुत ही सम्मान की बात है ये बहुत ही अच्छी बात है, की एक गैर फ़िल्मी एक्ट को अभी भी भारत में वही इज्जत मिल रही है जो फ़िल्मी एक्ट को मिलती है l
अपने शो का नाम 'द आइटम टुअर 'क्यों रखा है ?
ये हमारा पहला सम्पूर्ण कौसर्ट है ,जो कि १० शहरों में होने वाला है lइस दौरे का नाम "द आइटम टुअर' इस लिए रखा है क्योंकि 'आइटम 'हमारी आने वाली नई अल्बम का नाम है l
इस अल्बम के बारे में कुछ बताइए l
जी आइटम (Item )हमारे नए अल्बम का नाम है l ये अभी अमेरिका में रिलीज होगी l इस में ९ गाने हैं  l जो भारत के नव रस पर आधारित हैंl  आप कह ले कि ये आधुनिक नव रस हैं lह र गाना एक रस पर है l इसमें भष्टाचार ,राजनेता ,आतंकवाद ,वियोग ,दिल टूटना .,हास्य  ,प्रेम ,आइटम आदि विषयों पर गाने हैं lआज कल भारत में आइटम गाने  बहुत चल रहे हैं हमारी इस अल्बम में भी एक गाना है जिसे हम आइटम कहते  हैं lइसी गाने पर हमने अपनी  अल्बम का नाम 'आइटम 'रखा हैl  इस अल्बम का विडिओ भी बहुत सुंदर बना है lमुझे लगता है की सभी को बहुत पसंद आएगा ,  खास कर सारी दुनिया की औरतों को l ये पूरी तरह से औरतों को समर्पित हैl  मुख्यतः भारतीय महिलाओं को .क्योंकी वो बाहर  काम पर जाती है ,साथ ही घर, पति ,बच्चों ,सास सभी की देखभाल भी करती है l मुझे लगता है कि  पूरी दुनिया में एक हिन्दुस्तानी औरत ही है जो ऐसा कर सकती  है l
ये अल्बम आपकी पिछली अल्बम्स से किस तरह भिन्न है ?
जी बहुत भिन्न है क्योंकि पहले की  अल्बम में केवल प्रेम ,दिल टूटना, मिलना ,बिछड़ना  इसी तरह के गाने थे lलेकिन  इस अल्बम में बहुत सी और बातें भी हैं और विषय भी है जिन पर मैने लिखा है l

आपके इस अल्बम 'आइटम ' में आई की जगह उल्टा ओम लिखा है कोई खास कारण?
ये यूफोरिया का इ (E )है ,जो की ओम का प्रतिबिम्ब जैसा है l ओम को हम भगवान के रूप में देखते हैं मै मानता हूँ की  हम सब भगवान का प्रतिबिम्ब हैं ,अतः इ  उल्टा ओम यानी की भगवान का प्रतिबिम्ब है l यही सोच के हमने इसका प्रयोग किया है l

आप एक  डॉक्टर  ,लेखक ,संगीतकार ,अभिनेता और  गायक है इतना सब करने के लिए आप समय कैसे व्यवस्थित करते हैं ?
रचना सच कहूँ तो मेहनत बहुत करनी पड़ती है l फिर भगवान की बहुत कृपा है कि मै इतना  सब कुछ कर पाता हूँl   इसके लिए मै अपने बैंड का बहुत धन्यवाद करता हूँ,  क्योंकी जो मै सोचता हूँ ये लोग उसको उसीतरह से या उससे भी अच्छी तरह से प्रस्तुत करते हैंl  यही कारण है कि मै एक अकेला गायक नहीं हूँ एक बैच का सदस्य हूँ l मेरा ये मानना है कि कोई भी चीज पाने के लिए एक टीम का होना बहुत जरुरी है lऔर मै बहुत भाग्यशाली हूँ कि मै इस टीम का कप्तान हूँ lटीम अच्छी होतो कप्तान को बहुत श्रेय मिलता है l दूसरी बात मैने अपने जीवन को दो हिस्सों में बाँट रखा है ,एक है मेडिसिन और दूसरा संगीतl   मै  अपना समय बर्बाद नहीं करता हूँl  मै पार्टियों में ज्यादा नहीं जाता हूँl  मै सिर्फ काम करता हूँ .मै एक साधारण इन्सान हूँl  एक डॉक्टर जो गाना गाता हैl .मेरे साथी भी ऐसे ही हैं, बहुत सरल हम बेकार की गौसिप में नहीं पड़ते, बस अच्छा संगीत बजाते हैं ,और गाते हैं l

तारीफ  के कोई शब्द जो आपको हमेशा याद रहते हैं l
वैसे तो बहुत लोग तारीफ करते हैं पर रचना मेरे लिए सबसे अच्छी तारीफ तब होती है ,जब आप मंच पर गाने के लिए आते हैं और पूरा होंल आपके साथ गा रहा होता हैl  मुझे गाने की जरुरत ही नहीं पड़ती है lइससे बड़ी तारीफ और क्या होगी ? उनको एक एक अल्फाज़ याद होता है वो गाना उनके लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना की  मेरे लिए किसी भी कलाकार के लिए ये बहुत बड़ी बात है .और लोगों ने यूफोरिया को ऐसा ही प्यार दिया है l

एक डॉक्टर के रूप में आपकी उपलब्धि  क्या है ?
मेरे पास जो मरीज आये हैं वो कभी भी मुझे छोड़ के वापस नहीं गए हैंl  जब भी उनको कोई प्रोब्लम हुई है मेरे पास ही आये हैंl  अभी मै अपनी प्रक्टिस को इतना समय नहीं दे पाता हूँ फिर भी मेरे मरीज़ मेरी प्रतीक्षा करते हैं l

आपने अपना संगीत का सफ़र अपने कौलेज  से शुरू किया था .क्या प्रसिद्ध होने के बाद आप अपने स्कूल या कौलेज वापस गए हैं ?
मेरा स्कूल सेंड कोलम्बस दिल्ली हैl  मेरा कॉलेज यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ़ मेडिकल साइंसेज है lइ न दोनों जगहों से मुझे बहुत ही सहयोग मिला है शायद इन्ही की  वजह से मै आज जहाँ हूँ वहां पहुंचा हूँ l इनके अनुसार मै ही ये सब कर सकता था और कोई नहीं कर सकता था l आज जब भी अपने स्कूल और कौलेज के लिए मै जितना कर पाता हूँ सहयोग करता हूँ , और जब भी वो चाहते हैं कि  हम वहां आके शो करें हम जाते हैं और निःशुल्क शो करते हैं l मै अपने सारे सहपाठियों को कहना चाहता हूँ की  आपके स्कूल और कौलेज से बढ़के जगह आपके लिए कोई और हों ही नहीं सकती है lअतः जितना भी हों सके जो भी हों सके उसके  लिए करना चाहिए  l

आपको हिन्दी रोंक का गौड़ फादर कहते है हिन्दी और रोंक का ये संगम कैसे किया आपने ?
ऐसा था रचना जब शुरू किया था तो हम इंग्लिश में  ही गाते थेl  क्योंकि रोंक को इंग्लिश के साथ ही जोड़ा जाता है lपर एक समय ऐसा आया कि मुझे लगा यदि इंग्लिश गाने सुनने हैं तो कोई एक भारतीय बैंड को क्यों सुनेगा अमेरिकन बैंड को सुनेगाl  इंग्लिश रौक का श्रोत पश्चिम है वो भारत नहीं हैl   हमलोग जो भी करेंगे वो वेस्ट की नक़ल ही कहलायेगा ल यदि हम अपने आपको देखें तो हम भाषा में  ,खाने में  ,पहनावे में  थोड़े से पश्चिमी और  थोड़े से भारतीय हैं,  तो मुझे लगा की यदि ऐसा ही संगीत में  किया जाय तो अच्छा मिश्रण होगा .मैने वही किया शब्द मैने हिन्दी रखे और संगीत और गाने का तरीका पश्चिमी रखाl .जब गाने बने तो लोगों ने बहुत पसंद किया l

आपके अल्बम में गाने के साथ उसका विडिओ बहुत सुंदर होता है l
जी हाँ मुझे सही कहा क्युकी विडियो बहुत ही जरुरी चीज है .आडियो विडिओ का मिश्रण बहुत मजबूत होता है .लोगों को ज्यादा पसंद आता है ,मै जनता था की हमारी सही प्रतियोगिता फिल्मो  से हैं और यदि आप पूरी दुनिया में देखेंगी तो वहुत ही सुंदर विडिओ बनाये गए हैं कोई भी गाने जो हमने लिखे हैं उनमे कोई न कोई न कहानी जरुर होती है अतः यदि वो दर्शकों के सामने आये तोअच्छा रहेगा .लोगोंको ५ मिनट के गाने में गाना भी मिला और कहानी भी मिली .

आपको और आपकी गायकी को पसन्द करने वाले लाखों लोग हैं पर आप किसको पसन्द करते हैं ?
मै  अपने माता पिता का बहुत बड़ा फैन हूँ क्योंकी जो कुछ भी मैने  सीखा है उन्ही से सीखा है ..मैने अपने पिता को बहुत पहले खो दिया था l पर मैने उनसे ही सीखा है की कैसे अपने काम को अपना १०० प्रतिशत  देना है और कभी पैसे के बारे में चिन्ता नहीं करनी चाहिए l. अपने काम के बारे में चिन्ता करनी चाहिएl .संगीत में मै अपने पिता,और चाचा को बहुत मानता हूँl  इसके आलावा एल्विस प्रज्ले मुझे बहुत पसंद हैl जिनको सुन कर मैने इंग्लिश गाना गाना शुरू किया था l  किशोर कुमार और ,आर दी  बर्मन जी जिनकी बजह से मैने हिन्दुस्तानी संगीत सुनना शुरू  किया l, इन सबसे पहले  मै उस इन्सान  का फैन हूँ जो अपना काम बहुत ईमानदारी से करता है

आपकी फिल्म आने वाली है मुंबई कटिंग l
जी हाँ इस फिल्म को आने में  थोड़ी देर हों गई है l.इसमें मेरी मुख्य भूमिका है और इसमें संगीत यूफोरिया का है l.फिल्म की कहानी  बहुत अच्छी है जिसदिन मुंबई में बाढ़  आई थी  उसी दिन की कहानी है हर तरफ तबाही मची थी .ऐसे में दो लोग एक दूसरे से मिलते हैं और उनको जीने की अभिलाषा होती है .l

यहाँ अमेरिका मै आईटम टुअर से लोग क्या उम्मीद कर सकते हैं?
पिछले साल मैने यहाँ तीन शहरों में  शो किया था ,एल ऐ,न्यू जर्सी ,शियाटल और तीनो ही जगह बहुत हिट रहा था l   इस बार हम १० शहरो में  शो कर रहे हैंl   मै तो यही कहूँगा  की लोगों को जो हमसे उम्मीदें हैं उससे बढ़ कर ही उनको मिलेगा और वो इस शो को याद रखेंगे, क्योंकी पुराने अल्बम के गाने तो सुनने के लिए मिलेंगे ही साथ में हमारी नई अल्बम' आइटम ' के गाने भी होंगे जो पहली बार अमेरिका में ही लोग सुनेंगेl   हम बहुत धूम मचाने वाले हैं l

अभी १५ अगस्त बीता है आप क्या  कहना चाहेंगे ?
जी मै तो बस इतना कहना चाहूँगा की आज़ादी तो हमको ६४ साल पहले मिली थी पर अभी ऐसा समय आगया है कि  हमको हमारे ही लोगों ने गुलाम बना लिया है l  मुझे लगता है हमारी सरकार को सोचना होगा कि  वो हमारे लिए काम करती है हम उनके लिए नहींl  मै तो कहूँगा की भारतवासी बहुत मजबूत हैं  वो परिस्थितियों से लड़ते हुए भी आगे बढ़ता रहता है l
















अभिनेत्री कोंकणा का क्राय प्रेम और एक खूबसूरत शाम


अभिनेत्री कोंकणा का क्राय प्रेम और एक खूबसूरत शाम




क्राय (चाइल्ड राइट्स एंड यू ) का गाला रात्रि भोज दा कंट्री क्लब ऑफ़ रांचो बरनार्डो ,सैन डिएगो ,कैलिफोर्निया के अति सुन्दर स्थान पर संपन्न हुआ। इस शाम की मुख्य अतिथि अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा थीं। कार्यक्रम के प्रारम्भ में कोंकणा ने अतिथियों के साथ तस्वीर खिचवाई। इनके मधुर व्यवहार ने सभी का दिल जीत लिया। इसके बाद सभी एक खूबसूरत से हॉल में आपने अपने निर्धारित स्थान पर जा कर बैठ गए। कार्यक्रम का प्रारम्भ एक छोटे से विडिओ से हुआ जिसमें राजिस्थान का बच्चा शाबाद अपने शहर की कहानी बता रहा था और उसने यह भी बताया कि क्राय की सहायता से कैसे वहाँ पर तरक्की हुयी।



इस को आगे बढ़ाने के लिए मंच संचालिका रुचिका जी ने माइक सम्भाला और अपनी मधुर आवाज से सभी का स्वागत करते हुए क्राय के बारे में बोलते हुए कहा कि इस संस्था का जन्म सन १९७९ को खाने की मेज पर बात के दौरान हुआ। यह विचार मुख्यतः स्वर्गीय रिप्पन कपूर जी का था उस समय उनके और ५ दोस्तों ने मिला कर मात्र ५० रुपये से इस संस्था का प्रारम्भ किया था।


अपनी बात समाप्त करके रुचिका ने क्राय की अध्यक्षा शेफाली जी को आमंत्रित किया l शेफाली सुन्दरलाला जी ने कहा कि क्राय को सफल बनाने के लिए फ़ूड टीम बधाई की पात्र है। उन्होंने सभी के नाम ले कर उनका धन्यवाद किया इन्होने आगे कहा भारत में बहुत से संगठन है पर उनको उतना लाभ नहीं मिलता जितना मिलना चाहिए। हम इन्ही संगठनों के साथ मिल कर काम करते हैं और निश्चित करते हैं कि इन्हे वो लाभ प्राप्त हो सकें, पिछले १५ सालों में हमने करीब ७० संगठनों को सहयोग दिया है। इस साल हम ३५ और संगठनों की सहायता करेंगे। जिन संगठनों की हम सहायता कर सकें और जी सही संगठन है उनका चुनाव करने में हमको १२ तो १८ महीने से अधिक समय लगता हैं। क्राय अमेरिका के दानकर्ताओं और स्वयंसेवको के सहयोग से हम ३७५५ गांवों में रहने वाले ७६०००० बच्चों के की सहायता कर पाएं हैं । अभी १८०००० विद्यार्थियों ने दाखिला लिया है २४०००० बच्चों का टीकाकरण हुआ। २३००० बच्चों जो कभी भी स्कूल नहीं गए उन्होंने स्कूल जाना प्रारम्भ किया। १२२० स्कूल जो की कभी भी अस्तित्व में नहीं थे या बहुत बुरी हालत में थे वह सभी आज काम कर रहे हैं और बच्चों को शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। नेल्सन मंडेला फाउंडेशन की तरफ से दुनिया के सर्वोच्च १०० संगठनों में क्राय अमेरिका को शामिल गया है। यह हमारे लिए बहुत बड़ी बात है। आई सी एस सी बोर्ड की आठवीं कक्षा सी बी एस सी बोर्ड की ६ कक्षा में क्राई के बारे में पढ़ाया जा रहा है। भारतीय सरकार के द्वारा भी हमें मान्यता मिल रही है।


शेफाली जी के बाद मंच पर आई अभिनेत्री कोंकण सेन शर्मा, उन्होंने कहा, आप सभी बहुत प्यारे लग रहे हैं। आप यहाँ आये हैं यह बहुत अच्छी बात है l कोंकणा ने कहा कि बे एरिया में हमने करीब एक लाख पचास हजार डॉलर इक्कठा किये जो की उम्मीद से परे था। आज वही उत्साह यहाँ देखने को मिल रहा है। मैं एक माँ हूँ और अन्य माँओं की तरह ही मेरा बच्चा मेरी दौलत है। पर कुछ ऐसे भी माँयें हैं जिनके पास ऐसे साधन नहीं है जिससे वह अपने बच्चे को वह सब दे सकें जिसकी उसको आवश्यकता है। चाइल्ड राइट्स एंड यू अमेरिका इन्ही बच्चों की सहायता करती है यह संस्था बहुत ही उत्तम कार्य कर रही है। आपके सहयोग से बहुत से अन्य कार्य संपन्न हो जाएंगे जिनका होना अभी बाकी है। मैं क्राय अमेरिका की समर्थक हूँ मुझे इस बात पर मान है और आपको भी इस बात पर मान होना चाहिए। कोंकणा ने लोगों से अधिक से अधिक दान करने का आग्रह किया। क्राय से आप कैसे जुड़ीं यह पूछने पर कोंकणा ने हिन्दी मीडिया को बताया कि “क्राय मेरे बचपन का एक हिस्सा रही है। मेरी माँ क्राय को सहयोग किया करती थी और मैने क्राय के कार्ड भी देखें हैं तो जब मुझे क्राय से जुड़ने का मौका मिला तो मै बहुत खुश हुयी। क्योंकि यह संस्था बहुत नेक काम कर रही हैं।

इसके बाद भारत से आये सचिन जैन को मंच पर आमंत्रित किया गया। विकास संवाद समिति मध्य प्रदेश भारत के डायेक्टर सचिन जैन जमीनी स्तर पर बच्चों के लिए काम कर रहे हैं। यह राइट ऑफ़ फ़ूड कम्पैन के सदस्य है। इनकी संस्था विकास संवाद समित २००७ से क्राय से जुडी हैं। सचिन जी ने बताया कि शिवपुरी में एक परिवार में ५ या ६ बच्चें होते हैं पर एक ही बच्चा बचता है। १५० बच्चे ऐसे होते हैं जो अपना पहला जन्मदिन नहीं मना पाते हैं। यहाँ ४. ५ करोड़ कुपोषण का शिकार हैं और करीब १ करोड़ बहुत ही बुरी तरह कुपोषित हैं। यहाँ का पानी भी पिने योग्य नहीं है। सचिन जी खेती पर भी ध्यान दिया है। जिससे लोग अच्छा और स्वस्थ भोजन कर सकें। सचिन राजनन्दिनी के बारे में बताते हुए कहा कि “यह बच्ची कुपोषण का शिकार थी पर घर वाले इसको स्वास्थ्य केन्द्र नहीं ले जाना चाहते थे। क्योंकि उनको लगता था की घर का ध्यान कौन रखेगा। हमारे संगठन के सदस्य आगे आये तब जा कर राजनन्दनी का इलाज हुआ। कुछ महिलाएं तो ऐसी हैं की जिस चाकू से घर में सब्जी काटी जाती है उसीसे बच्चा पैदा होने के बाद नाड काटती है “उन्होंने आगे कहा यहाँ बाल विवाह भी एक समस्या है कितनी बच्चियों का बालविवाह रुकवाया है और वही लड़कियाँ आज बहुत अच्छा पढ़ रही हैं।
रुचिका ने इसके बाद देवेन परलिकेर ने आकर लोगों को अपना दिल और अपना पर्स खोल कर दान करने को कहा। उपस्थित अतिथियों ने उनकी बात मानी और यहाँ कुल १०८००० डॉलर एकत्रित हुए। जो उनके लक्ष्य से बहुत ही ज्यादा था।
इस शाम को और भी यादगार बनाने के लिए कुछ मनोरंजक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया था। जिसमे के स्टूडियो की छात्रों के द्वारा कोंकणा के गानों पर नृत्य ,सैन डिएगो मियुज़िक एकेडमी का संगीत, अमेरिकन स्टैंडअप कॉमिडियन डॉन फेरिसेन की कॉमेडी शामिल थी। कार्यक्रम का संचालन रुचिका ने बहुत ही उत्तम तरीके से किया।
इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बैंक्वेट चेयर सोनाली सोनी और सुस्मिता ठकराल ,ऑक्शन प्रमुख रश्मि कलीता ,सीमा पाई और मानसी शाह ,प्लेज (pledge )प्रमुख देवेन पारलीकर और सोनाली सोनी ,निर्देशक और संरक्षक (Director & Trustee )एडवर्ड रेमिअस ,फण्डरेसिंग मैनेजर पैट्रिक बोको ,जनरल मैनेजर क्राई ग्लोबल ऑपरेशन लिपिका शर्मा इत्यादि का अथक योगदान रहा ।


क्राय अमेरिका एक ५०१c३ लाभ निरपेक्ष संस्था है जिसका लक्ष्य सभी बच्चों को समान अधिकार देना है ताकी बह अपने सपनो को अपनी पूरी क्षमता के साथ पूरा कर सकें। http://www.america.cry.org पर जा कर आप दान कर के इस संस्था को अपना सहयोग दे सकते हैं।

भारतीय बच्चों के लिए अमरीका में खेली होली

भारतीय बच्चों के लिए अमरीका में खेली होली

कैलिफोर्निया अमेरिका में चाइल्ड राइट्स एंड यू (CRY) , अमरीकी संस्था की ऑरेंज काउंटी शाखा ने रविवार को अपने चौथे होली फण्ड रेसर कार्यक्रम का आयोजन,बोल्सा चिका स्टेट बीच पर किया। गौर तलब है कि इस संस्था (क्राय अमेरिका ) का उद्देश्य, भारत में बच्चों पर ही रहे शारीरिक और मानसिक अत्याचारों को रोकना है। यह एक लाभरहित ( ५०१ c३ नॉनप्रॉफ़िट ) संस्था है जो एक ऐसे संसार की कामना करती है कि जहाँ सारे बच्चों को,अपनी सम्पूर्ण क्षमता के साथ अपने सपनो को पूरा करने का समान अधिकार हो .करीब २५१५३ दानकर्ताओं और २००० स्वयं सेविकों की सहायता से क्राय अमेरिका भारत में ७३ परियोजनायें चला रही है। इन परियोजनाओं की सहायता से ३,३५० गाँवों और मलिन बस्तियों में रहने वाले ६९५,०७७ बच्चों के जीवन को प्रभावित किया है और उनको बेहतर बनाया है।

होली के इस कार्यक्रम में करीब ४५० लोगों ने भाग लिया। जब यह आयोजन पहली बार हुआ था तो ७५ लोगों ने इसमें हिस्सा लिया था। इसमें भारतीयों के आलावा मुख्य धारा के लोगों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया ,मतलब कि लोग जो भारतीय नहीं है उन्होंने भी बहुत आनंद के साथ रंग लगाया । वहां मौजूद कुछ गैरभारतीयों से मैने बात की।


हिन्दी मीडिया से बात करते हुए जॉन ने बताया कि यह पहली बार है जब वह होली खेल रहे हैं। जॉन ने आगे कहा कि उनको बहुत आनन्द आ रहा है,और वह बार बार ऐसे कार्यक्रम में आना चाहेंगे। अब्राहिम अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ रंगो का मज़ा ले रहे थे. उनके छोटे बच्चे सभी को रंग लगा रहे थे। बच्चों ने कहा “यह सबसे अच्छा दिन है, माँ हमको खुद ही रंग लगा रही है “। बड़े और बच्चे सभी प्रेम से रंग खेलते नज़र आये। जब आयोजकों से समुद्र तट पर होली खेलने का आयोजन क्यों किया गया? पूछा तो उन्होंने कहा कि सी. आर. वाई. (CRY) अमेरिका अपना यह विशेष फण्डरेसर ऑरेंज काउंटी समुद्र पर पिछले चार सालों से करती आरही है। यहाँ कार पार्किंग की बहुत जगह है और यहाँ पहुँचना लोगों के लिए आसान भी है।

इस आयोजन में दाना हिल्स हाइ स्कूल के चाइल्ड राइट्स एंड यू ऑरेंज काउन्टी टीन क्लब ,कल्चरल क्लब ,हंटिंग्टन बीच के ओशन व्यू हाई स्कूल के ‘की क्लब ‘और नॉर्थवुड हाई स्कूल के बच्चों ने बहुत बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। मुख्य बात तो यह है कि बच्चों को पता था कि हम होली क्यों मानते हैं। ऐसे आयोजन बच्चों में अपनी संस्कृति के प्रति जागरूकता पैदा करते हैं,और साथ में वह ये भी जानते हैं कि भारत में ऐसे कितने ही बच्चे हैं जिनको जो जीवन की भौतिक सुख सुविधाओं से वंचित हैं, जिनके आस पास का वातावरण सुविधाजनक नहीं है।


हंटिंग्टन समुद्र तट बहुत सूंदर है इस दिन का मौसम भी बहुत अच्छा था। वसंत की गुनगुनी धूप होली खेलने के लिए अत्यंत उपयुक्त थी। होली के रंगों से कोई प्रदुषण न हो इसलिए रसायन रहित और पर्यावरण को नुक्सान न पहुंचने वाले रंगों का प्रयोग किया गया, जो मीरामार कॅश एंड कैर्री ने उपलब्ध कराया था। रंगों के साथ बॉलिवुड गाने न हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता। फ्यूज़न साउंड्स ने होली से सम्बंधित बहुत खूबसूरत गाने लगाये। लोगों का उत्साह देखते ही बनता था। यहाँ उपस्थित हर व्यक्ति नृत्य कर रहा था फिर चाहे वह भारतीय हो या गैरभारतीय। यहाँ पर भारतीय अल्पाहार का भी इन्तजाम था। जिसको अनाहम में स्थित तन्दूरी गार्डन ने उपलब्ध कराया था।


होली के इस कर्यक्रम से प्राप्त धन भारत और अमेरिका के बच्चों की सामाजिक समस्याओं को दूर करने में लगाया जायेगा जैसे बाल श्रम , बच्चों का अवैध व्यापर तथा यह धन बच्चों के भौतिक अधिकारों जैसे शिक्षा ,पोषण और सुरक्षा पर भी खर्च किया जायेगा। (CRY) अमेरिका को अपना सहयोग लिए आप www.america.cry.org पर जा कर आप (CRY) अमेरिका को अपना सहयोग दे सकते हैं और इनके द्वारा किये जा रहे नेक काम के सहभागी बन सकते हैं।