Tuesday 16 August 2011


आज भी अच्छे गाने बनते हैं ,पर कम बनते हैं:-----उस्ताद गुलाम अली



 साऊथ ऐशियन एकेडमी ऑफ परफोर्मिंग आर्ट्स के बैनर तले ,गजलों के उस्ताद गुलाम अली साहब का कौन्सर्ट 'चुपके चुपके'' इन दिनों अमेरिका में चल रहा है l दिल ये पागल दिल मेरा , चुपके  चुपके,हंगामा है क्यों बरपा ,चमकते चाँद को टुटा हुआ तारा चाहे कोई भी ग़ज़ल हो गुलाम अली जी की आवाज़ को छूकर अमर हो गई है l lइसी दौरान मुझे इनसे बात करने का मौका मिला प्रस्तुत है गुलाम अली जी से की गई बातचीत के मुख्य अंश . 

अमेरिका में अभी आपने इतनी जगह शो  किये हैं कैसा रहा ये अनुभव ?
जी मैअमेरिका बहुत बार आ चुका हूँ और हमेशा ही मुझे लोगों से बहुत इज्जत मिली है lमै अपने सुनने वालों के लिए गाता हूँ lवो मुझे प्यार करते हैं और मै उन्हें प्यार करता हूँ lयशपाल सोई जी का प्यार है जो वो मुझे बुलाते हैं और मै चला आता हूँ l

आपके बहुत से प्रशंशक हैं क्या इनमे आज की पीढ़ी के बच्चे भी हैं जो ग़ज़ल को पसंद करते हैं ?
जी हाँ बड़ों के साथ बहुत सी जगहों पर मुझे किशोर अवस्था के बच्चों भी मिले है l जो पूरे कार्यक्रम में बैठे रहे हैं lसुनते सुनते उनको अच्छा लगने लगता है l ये खुदा की देन है lपर फिर भी में कहना चाहुँगा कि ज्यादा बच्चे ग़ज़ल नहीं सुनते हैंl ये तो हम बड़ों को चाहिए की बच्चों को अपनी भाषा और संस्कार सिखाएं l उन्हें अपने संगीत से परचित कराये l हम बड़ो का कसूर है जो बच्चों को अपना संगीत नहीं पता है l क्योंकी बड़े खुद ऐसे संगीत से दूर होते जा रहे हैंl    

बड़े गुलाम अली साहब के बारे में आप क्या कहेंगे ?
उनके बारे में जितना कहा जाये कम है l वो मेरे गुरु हैं l मेरे पास जो कुछ भी है उनका ही दिया हुआ है lगुलाम अली मेरा नाम भी मेरे पिता जी ने उन्ही के नाम पर रखा था l उस्ताद बरकत अली खान साहब उनके भाई थे l उनके पास ज्यादा सीखा था l मुबारक अली खान ,अमानत अली खान उनको ' माने 'अली कहते थे  मैने  इन सभी से सीखा है l

आपकी गायकी के सफ़र की शुरुआत कहाँ से हुई ?
६८ में रेडिओ पाकिस्तान लाहौर में एक बच्चों का कार्यक्रम होता था lउस वख्त में १३ साल का था lवहाँ  से मैने गाना प्रारंभ किया था और बस ऊपर वाले के करम से धीरे धीरे आगे बढ़ता गयाl

आपके वालिद आपको  गायकी की दुनिया में लाये ,कुछ खास जो आपने उनसे सीखा हो ?
जी हाँ उन्ही की वजह से मै बड़े गुलाम अली जी का शागिर्द बना l उन्होंने मुझसे कहा था , जब कोई आपसे छोटा .आपको छोटा समझता है तो उसके सामने छोटा नहीं होना l मेरे वालिद ने कहा  कि बड़ा इन्सान वो होता है जो दूसरों को बड़ा समझता है और छोटा इन्सान वो होता है जो दूसरों को छोटा समझता है l मै जीवनभर इन्ही बातों को मानता आया हूँ l

क्या आप कोई नयी अल्बम निकालने वाले  हैं ?
अभी मैने आशा जी के साथ एक अल्बम निकाली थी ,'ज़नरेशन ' जिसमे मैने और मेरे बेटे ने संगीत दिया था और आशा जी ने गया था l इसको लोगों ने बहुत पसंद किया था l जबतक आवाज है ज़िन्दगी है मै गाता रहूँगा और इन्शाअल्लाह आगे अल्बम भी निकालेंगे l

आपकी एक अल्बम गुलज़ार जी के साथ आई थी
जी हाँ उसका नाम 'विसाल 'थाl विसाल  का मतलब होता है मिलाप मैने कहा की आज हमारा विसाल  हुआ है l तो गुलज़ार साहब ने कहा कि इस अल्बम का नाम विसाल रख देते हैं l

८० के दशक में आपने फिल्मो के लिए बहुत से गाने गायें हैं आज सिनेमा के संगीत में भी काफी बदलाव हुआ है .पुराने संगीत में और आज के संगीत में आप क्या अन्तर महसूस करते हैं ?
आज कल संगीत में ठहराव नहीं है l एक भागदौड सी लगी है l चैन सुकून जो संगीत की रूह है वो कम हो गया है l आज भी अच्छे गाने बनते हैं ,पर कम बनते हैं .आज इसी भाग दौड़ को संगीत समझते हैं और जो इसको ही संगीत समझते हैं वो तो इसी को ठीक समझेंगे l

क्या आज कल के गानों में कोई गाना है जो आपको पसंद है ?
जी गाने तो आज भी बहुत अच्छे बन रहे हैं पर मुझे तो पुराने गाने ही याद आते हैं जैसे "आजा रे  मै तो कब से खड़ी", "रैना बीती जाये "ऐसे गाने बहुत पसन्द है l आज कल पाश्चात्य संगीत का बोलबाला है ये संगीत भी अच्छा हैl पर अपना संगीत तो फिर अपना ही है l

ग़ज़ल गायकी अन्य गायकी  से किस तरह जुदा है ?
गजलों  में  शास्त्रीय संगीत की तरफ ज्यादा झुकाव रहता है l हमने हमेशा ये कोशिश की है के शास्त्रीय भी रहे और उप शास्त्रीय भी रहे l  रियाज़ की जरुरत तो हर अच्छी गायिकी के लिए होती है पर ग़ज़लों के लिए रियाज़ करना और उर्दू की जानकारी बहुत ही जरुरी है l

आज  लोग ग़ज़ल बहुत कम गा रहे हैंl आपकी नजर में इस का क्या कारण है ?
ग़ज़ल गायिकी सीखने में बहुत वख्त लगता है और आज कल लोगों के पास समय की बहुत कमी हैl हरकोई जल्दी शोहरत पाना चाहता है l हमने  सालों तक गया और कुछ नहीं हुआ था lहमेशा सोचता इतने साल हो गए गाते अभी तक कोई ग़ज़ल हिट नहीं हुई lपर फिर खुदा के करम से लोग जानने लगे

मैने कहीं पढ़ा था कि आप दुआओं पर बहुत यकीन करते हैं .क्या कोई खास कारण है ?
जी मै हमेशा ही मानता हूँ कि दुआ लगती है l एक बात बताना चाहुँगा एक बार मै अपने उस्ताद जी का पाँव दबा रहा था lवो सो गए मै दबाता रहा सुबह जब उनकी नींद खुली तो बोले अरे गुलाम तुम सोये नहीं .जाओ तुमको दुनिया बहुत प्यार से सुनेगी ही ,साथ में संगीत को जानने वाले भी बहुत सिद्दत से सुनेंगे lफिर बहुत सालों बाद लता जी ने मुझे बुलाया और ताज होटल में सारा इंतजाम किया वहाँ भारत के   सभी बड़े गायक और मौसिकी के जाने माने लोग आये थे l इसीतरह बहुत सी बातें हुई है l

उम्र के इस पड़ाव में भी आपकी गायकी  में  कोई अन्तर नहीं आया है .क्या आप कुछ खास ख्याल रखते हैं ?
जी हां थोडा ख्याल रखना पड़ता है l मै ठंडी चीजें नहीं नहीं खाता हूँ l आइसक्रीम बहुत कम खाता हूँ ,साल में एक दो बार खा ली बस l कोल्ड ड्रिंक्स बिलकुल नहीं पीता हूँ l  दूसरे लोगों को शायद इन चीजों से कोई फर्क न पड़े पर मुझे ये चीजें नुकसान करती हैं . 

आपके बेटे  नज़र अब्बास अली भी आपकी तरह गाते है उनके बारे में बताइए
जी हाँ खुदा की दया से वो अच्छा गाते हैं lउन्होंने अमेरिका, कनाडा ,इंग्लेंड और भारत में  स्टेज पर गया है l वैसे अभी भी वो सीख रहे हैं l मै तो ऊपर वाले से उनकी सफलता की दुआ करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि जो प्यार आपलोगों ने मुझे दिया है वही प्यार उनको भी मिल सकेगा l   

ये साक्षात्कार आप  यहाँ भी पढ़ सकते हैं
http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/9578443.cms


http://www.hindimedia.in/2/index.php/manoranjanjagat/bat-mulakat/124-me-cool-chije-nahi-khata-ustad-gulam-ali.html

 http://www.hindi.thepressvarta.com/index.php?option=com_content&view=article&id=1036:2011-08-09-05-53-03&catid=4:entertainment&Itemid=3    

4 comments:

  1. अच्छा साक्षात्कार
    कई नई बाते हैं।

    ReplyDelete
  2. बहुत अच्छा साक्षात्कार....
    अच्छी प्रस्तुति के लिए बधाई तथा शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  3. एक उम्दा फनकार से आपकी यह बातचीत पढ़कर अच्छा लगा..... सुंदर साक्षात्कार

    ReplyDelete