पुराने पल
पुराने पल
शाखों से झड़ते रहे
आज, कल और कल
एक मैली सी
गठरी में
कुछ सहेज के रखा था
कुछ पल थे
यादों के
गम कोई जो खटका था
पीड़ा के शूल
दिलों में गड़ते रहे
आज, कल और कल
बीते लम्हे
खोले तो
झरना सा बह उठा
भीगा
स्पर्श तुम्हारा
हौले से कह उठा
नाहक तुम
अतीत से लड़ते रहे
आज कल और कल
पुराने पल
शाखों से झड़ते रहे
आज, कल और कल
बहुत प्यारा नवगीत है
ReplyDelete-पुराने पल
शाखों से झड़ते रहे
आज, कल और कल
और ये पंक्तियां तो बहुत मधुर बन गई हैं
यादों के
गम कोई जो खटका था
पीड़ा के शूल
दिलों में गड़ते रहे
आज, कल और कल ।
हार्दिक बधाई !!
बहुत बढिया
ReplyDeleteक्या कहने
बीते लम्हे
ReplyDeleteखोले तो
झरना सा बह उठा
भीगा
स्पर्श तुम्हारा
हौले से कह उठा
नाहक तुम
अतीत से लड़ते रहे
आज कल और कल
..bahut sundar..man ko udelit karti sundar rachna
बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteबहुत भावपूर्ण, बधाई.
ReplyDeleteवाह!!!!!!बहुत सुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति,..
ReplyDeleteआपका समर्थक बन गया हूँ आपभी बने मुझे खुशी होगी,....
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bahut khoob..
ReplyDeletewelcome to माँ मुझे मत मार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.
ReplyDeleteमेरा साहित्य जी ..बहुत सुन्दर प्यारी रचना अच्छी झांकी ...प्यार के पल ..पुराने लम्हे ..भीगा स्पर्श तुम्हारा .. .... जय श्री राधे
ReplyDeleteभ्रमर ५