बादलों की धुंध में
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
खोल किवाड़ हौले से
वो धरा पर आये
गुनगुनी धूप दे
स्वेटर सा आराम
अब तो भैया मस्ती में हो
अपने सारे काम
बांध गठरिया आलस भागे
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
पतंगों के पेंच लड़े
और लड़े नैन
दिन में जोश भरा रहा
खामोश रही रैन
सुनहरी धूप में
मन- चिड़िया नहाये
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
अधमुंदी आँखें खोले
सोया सोया गाँव
द्वार द्वार पर डोले
देखो नंगे पाँव
मधुर मधुर मुस्काती अम्मा
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
खोल किवाड़ हौले से
वो धरा पर आये
गुनगुनी धूप दे
स्वेटर सा आराम
अब तो भैया मस्ती में हो
अपने सारे काम
बांध गठरिया आलस भागे
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
पतंगों के पेंच लड़े
और लड़े नैन
दिन में जोश भरा रहा
खामोश रही रैन
सुनहरी धूप में
मन- चिड़िया नहाये
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
अधमुंदी आँखें खोले
सोया सोया गाँव
द्वार द्वार पर डोले
देखो नंगे पाँव
मधुर मधुर मुस्काती अम्मा
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
अधमुंदी आँखें खोले
ReplyDeleteसोया सोया गाँव
किरणें द्वार द्वार पर डोले
देखो नंगे पाँव
मधुर मधुर मुस्काती अम्मा
गुड का पाग पकाए
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
वाह ...वेहतरीन रचना, बेहद पसंद आई,शुभकामनायें
वाह! बहुत सुन्दर रचना! बेहद पसंद आया!
ReplyDeleteसुन्दर एवं सराहनीय रचना....
ReplyDeleteकृपया इसे भी पढ़े
नेता,कुत्ता और वेश्या
सुंदर भावों से भरी खुबशुरत पंक्तियाँ,बहुत सुंदर रचना,लाजबाब प्रस्तुती.....
ReplyDelete.
MY NEW POST ...40,वीं वैवाहिक वर्षगाँठ-पर...
बहुत सुन्दर रचना है.
ReplyDeleteवाह!!!!!बहुत सुंदर सराहनीय प्रस्तुति ,अच्छी रचना
ReplyDeleteNEW POST....
...काव्यान्जलि ...: बोतल का दूध...
पतंगों के पेंच लड़े
ReplyDeleteऔर लड़े नैन
दिन में जोश भरा रहा
खामोश रही रैन
सुनहरी धूप में
मन- चिड़िया नहाये
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
behad sundar rachana bahut hi sundar bhavon ka sanyojan..badhai ke sath abhar.
लाजबाव प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeletebahut hi sundar rachna hai,pahli baar aap ke blog par aana hua,acha lga,kabhi wqt mile to mere blog par bhi pdhariyega
ReplyDeleteलाजबाव प्रस्तुति । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteपतंगों के पेंच लड़े
ReplyDeleteऔर लड़े नैन
दिन में जोश भरा रहा
खामोश रही रैन
सुनहरी धूप में
मन- चिड़िया नहाये
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
बहुत सुंदर ... हम भी मुस्का रहे हैं :)
पतंगों के पेंच लड़े
ReplyDeleteऔर लड़े नैन
दिन में जोश भरा रहा
खामोश रही रैन
सुनहरी धूप में
मन- चिड़िया नहाये
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
...
khubsurat rachna muskura rahi hai:)
geet pasand karne ke liye aap sabhi ka dhnyavad
ReplyDeleterachana
सुन्दर ,लाजबाव प्रस्तुति ...आप को शिव रात्रि पर हार्दिक बधाई..
ReplyDeleteमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाये.
ReplyDeleteआपकी कविता अच्छी लगी । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteकविता अच्छी लगी । मेरे पोस्ट "भगवती चरण वर्मा" पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।
ReplyDeleteBILKUL LAJABAB .....BEHAD PRABHAVSHALI PRASATUTI ...SADAR ABHAR.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सराहनीय प्रस्तुति,सुंदर रचना के लिए बधाई .
ReplyDeleteNEW POST काव्यान्जलि ...: चिंगारी...
बहुत ही सुन्दर रचना है ... भावों को शब्दों से बाँधा है ...
ReplyDeleteसुनहरी धूप में
ReplyDeleteमन- चिड़िया नहाये
बादलों की धुंध में
सूरज मुस्काये
बहुत कोमल...बहुत सुन्दर भाव...
हार्दिक बधाई..
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ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना के लिए आभार!
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♥ होली ऐसी खेलिए, प्रेम पाए विस्तार ! ♥
♥ मरुथल मन में बह उठे… मृदु शीतल जल-धार !! ♥
आपको सपरिवार
होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
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bahut sundar madhur rachna, badhai.
ReplyDeleteBEAUTIFUL LINES WITH FEELINGS.
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