Sunday 25 March 2012




पुराने पल



 पुराने पल
शाखों से झड़ते  रहे 
आज, कल और कल

एक मैली सी
 गठरी में
कुछ सहेज के रखा था
कुछ पल थे
यादों के
गम कोई जो खटका था
पीड़ा  के शूल 
दिलों में  गड़ते रहे 
आज, कल और कल

बीते  लम्हे
खोले  तो
झरना सा बह उठा
भीगा
स्पर्श तुम्हारा
हौले से कह उठा
नाहक तुम
अतीत से लड़ते रहे
आज कल और कल
 
 पुराने पल
शाखों से झड़ते  रहे 
आज, कल और कल 

9 comments:

  1. बहुत प्यारा नवगीत है
    -पुराने पल
    शाखों से झड़ते रहे
    आज, कल और कल
    और ये पंक्तियां तो बहुत मधुर बन गई हैं
    यादों के
    गम कोई जो खटका था
    पीड़ा के शूल
    दिलों में गड़ते रहे
    आज, कल और कल ।
    हार्दिक बधाई !!

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  2. बीते लम्हे
    खोले तो
    झरना सा बह उठा
    भीगा
    स्पर्श तुम्हारा
    हौले से कह उठा
    नाहक तुम
    अतीत से लड़ते रहे
    आज कल और कल
    ..bahut sundar..man ko udelit karti sundar rachna

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  3. बहुत उम्दा!!

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  4. बहुत भावपूर्ण, बधाई.

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  5. वाह!!!!!!बहुत सुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति,..
    आपका समर्थक बन गया हूँ आपभी बने मुझे खुशी होगी,....

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति, सुन्दर भावाभिव्यक्ति, बधाई.

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  7. मेरा साहित्य जी ..बहुत सुन्दर प्यारी रचना अच्छी झांकी ...प्यार के पल ..पुराने लम्हे ..भीगा स्पर्श तुम्हारा .. .... जय श्री राधे
    भ्रमर ५

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