इस बार गर्मी की छुट्टी कुछ खास थीं ।हम बहने माँ के घर तीन साल बाद इकट्ठे हुए थे मै , प्रिया,और अचिता । अचिता हमारी बहन नहीं है हमारी बहन की बेटी है ।वो बहन जो हमारे देखते देखते हमसे दूर चली गई । अचिता में हमको स्मिता ही दिखती है एकदम उसी की तरह बोलती है उसी की तरह आंख मटकती है। सारे बच्चे घर में खूब उधम मचाते माँ बच्चो को खेलता देख बहुत खुश होती अचिता को देख माँ स्मिता का गम भूल सी जातीं । उस दिन मै अचिता और सोम के साथ खेल रही थी । सोम बहुत देर से खेल रहा था । तो वो रोने लगा ।
प्रिया सोम तो ऐसे रो रहा है कि जैसे मार पड़ी है । मै सोम को लेकर प्रिया के पास गई ।
"दीदी सोम को मुझको दे दो इस को भूख लगी है शायद । ये इसकी भूख वाली रुलाई है" प्रिया ने कहा
" बड़ी मौसी बड़ी मौसी । ये कैसे पता चला कि ये भूख वाली रुलाई है "अचिता ने बड़े भोलेपन से पूछा
"बेटा ,माँ को पता चल जाता है के भूख वाली रुलाई कौन सी है और नींद वाली कौन सी है, "मैने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा
"पर मौसी जिसकी माँ नहीं होती हैं उनका ??"" कुछ कहते कहते अचिता रुक गई॥
मै अन्दर तक भीग गई । मैने आगे बढ़ उसको गले लगा लिया अचिता की बात का कोई जवाब नहीं था मेरे पास ।
प्रिया सोम तो ऐसे रो रहा है कि जैसे मार पड़ी है । मै सोम को लेकर प्रिया के पास गई ।
"दीदी सोम को मुझको दे दो इस को भूख लगी है शायद । ये इसकी भूख वाली रुलाई है" प्रिया ने कहा
" बड़ी मौसी बड़ी मौसी । ये कैसे पता चला कि ये भूख वाली रुलाई है "अचिता ने बड़े भोलेपन से पूछा
"बेटा ,माँ को पता चल जाता है के भूख वाली रुलाई कौन सी है और नींद वाली कौन सी है, "मैने उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा
"पर मौसी जिसकी माँ नहीं होती हैं उनका ??"" कुछ कहते कहते अचिता रुक गई॥
मै अन्दर तक भीग गई । मैने आगे बढ़ उसको गले लगा लिया अचिता की बात का कोई जवाब नहीं था मेरे पास ।
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