Saturday 16 April 2011

शादी- चार समीकरण

१.
तुमसे
एक कप चाय माँगी
खाना खाया
बच्चों को दुलारा
तुमको डाँटा
और शरीर जोड़ कर सो गया
तुम्हारा मन वहीं तकिये के ऊपर सुलगता रहा
और मेरा मन?
ये है शादी
२.
तुमने सामान की एक फेहरिस्त मुझको थमाई
बच्चों की ढेर सी शिकायतें बताई
चाय, खाने की सामाजिक रीत निभाई
और सो गई
मेरा मन सोचता रहा, और जागता रहा
और तुम्हारा?
ये है शादी

३.
तुमने मुझे प्यार से टिफिन थमाया
और दिन भर सोचती रही मेरी गतिविधियाँ
कामना में रही तुम मेरी सफलता की
इंतज़ार किया सूरज के बुझने का
ताकि मैं उदित हो सकूँ
तुम्हारी शाम में-
यह है शादी
४.
मैंने सुबह तुमसे विदा ली
और छोड़ गया अपना अस्तित्व,
अपनी चंचलता और निजी सानिध्य
तुम्हारे आँचल में
दिन भर एक नए मुखौटे के साथ
तुम्हें याद रखकर भी भूला रहा
गोधूली में जब लौटा
तुम्हारी चाय में घुल गया अपराजित मन, थकन और क्लान्ति
और मैं फिर महकने लगा
ये है शादी

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