धरती लिख भेजे पाती
धरती लिख भेजे पाती
सूरज नीचे आ रे
काँपती फसलों को
गर्मी पहुंचा रे
आँगन के
घुटनो में दर्द है
मौसम ये बहुत ही सर्द है
बूढा पीपल
मांगे रजाई
हुआ तू क्यों हरजाई ?
अंजुरी भर धूप के दाने
हर घर में बिखरा रे
धरती लिख भेजे पाती
सूरज नीचे आ रे
कोहरे का अब
मान घटा
मुख से तनिक बादल हटा
ये मरी
ठण्ड क्यों आई
सोचती रहती बुढ़िया माई
विधवा धरा पर
शुभ रंग बिखरा रे
धरती लिख भेजे पाती
सूरज नीचे आरे
पलकों पे
ओस के मोती
जमे आँसू
मुनिया जो रोती
सूरज ने
खिड़की बंद कर ली
कोहरे को
मनमानी चल ली
सर्द पड़े हवा के पैर
गर्म मोज़े पहना रे
धरती लिख भेजे पाती
सूरज नीचे आरे
धरती लिख भेजे पाती
सूरज नीचे आ रे
काँपती फसलों को
गर्मी पहुंचा रे
आँगन के
घुटनो में दर्द है
मौसम ये बहुत ही सर्द है
बूढा पीपल
मांगे रजाई
हुआ तू क्यों हरजाई ?
अंजुरी भर धूप के दाने
हर घर में बिखरा रे
धरती लिख भेजे पाती
सूरज नीचे आ रे
कोहरे का अब
मान घटा
मुख से तनिक बादल हटा
ये मरी
ठण्ड क्यों आई
सोचती रहती बुढ़िया माई
विधवा धरा पर
शुभ रंग बिखरा रे
धरती लिख भेजे पाती
सूरज नीचे आरे
पलकों पे
ओस के मोती
जमे आँसू
मुनिया जो रोती
सूरज ने
खिड़की बंद कर ली
कोहरे को
मनमानी चल ली
सर्द पड़े हवा के पैर
गर्म मोज़े पहना रे
धरती लिख भेजे पाती
सूरज नीचे आरे
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