एक बहुत ही पुराना इंटरव्यू
बेसुरे और बदतमीज मुझे पसंद नहीं :-आदेश श्रीवास्तव
आदेश श्रीवास्तव जितने विनम्र और मृदुभाषी हैं उतना ही गुस्सा भी उनको आता है, फिर चाहे वो गुस्सा व्यवस्था के खिलाफ हो, झूठ और बेईमानी के खिलाफ हो या फिर अंहकार और दंभ के खिलाफ हो. संगीत के धनी और अपरिमित संगीत रचनाकार आदेश का नाम आज पूरे फिल्म जगत में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. सोना-सोना, शावा-शावा और गुर नालों इश्क मीठा जैसे मधुर संगीत देने वाले आदेश से गुफ्तगू करने का मौका मिला और हम चले पड़े उस अतीत से इस सवेरे तक उनकी जीवन यात्रा में थोडी देर-
आदेश जी परिवार के बारे में बताइए-
मेरे परिवार में २ बहन और ३ भाई है. मेरी माँ का देहांत ७ साल पहले हो गया था. वो मनोविज्ञान की प्रोफेसर थी. मेरे पिता जी रेलवे में मेकेनिकल इंजिनियर थे और अभी रिटायर हो गए हैं. शादी के बाद मेरा छोटा सा परिवार हैं मेरी पत्नी विजेता पंडित और दो बेटे हैं.
आप का बचपन कहाँ बीता और शिक्षा कहाँ पर हुई?
मेरा बचपन जबलपुर में बीता और यहीं पर मैने मोर्डन हाई स्कूल से ग्याहरवीं पास किया.
आप डॉक्टर बनना चाहते थे पर संगीत कि दुनिया में कैसे आ गये?
मेरी माँ चाहती थी कि मै मेडीसिन में जाऊँ. उस समय प्री मेडिकल टेस्ट होते थे उस के लिए कुछ प्रतिशत नंबर लाने होते थे तो कुछ बना नहीं. संगीत का मुझ को बहुत शौक था हम घर में बस ऐसे ही गाया करते थे. मेरी बड़ी बहन गाती थी, मै गाता था और बजाता भी था. मै बहुत शरारती था, पतंग बहुत उडाता था हौकी और फुट बॉल खेलता था तो तो पिता जी ने कहा कि ये सब करने से अच्छा है कि तुम संगीत सीख लो वो सोचते थे कि संगीत सीखने लगेंगे तो बच्चे घर में ही रहेंगे. उस समय मुझे भी नहीं पता था कि मै संगीत को अपनाऊंगा.
आप ने कहा आप पतंग बहुत उडाते थे. क्या सिर्फ त्यौहारों पर या फिर हमेशा? और क्या आज भी ये शौक आप में जीवित है ?
मै तो हमेशा ही पतंग उडाता रहता था. त्यौहारों में तो खास. आज भी मै पतंग उड़ाता हूँ. संक्रांति पर विशेष रूप से उड़ाता हूँ समीर जी को भी बहुत शौक है पतंग उडाने का और हम साथ मस्ती करते हैं.
आप ड्रम सीख के मुंबई आये थे. यहाँ अपनी जगह बनाने में आप को किन किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
वो मेरा स्ट्रगल का समय था जो बहुत ही कठिन था. उस समय गुट बंदी बहुत थी. जैसे आर डी बर्मन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी, कल्याण जी- आन्नद जी, इन सभी के अपने अपने मुज़िशियन हुआ करते थे. सभी पूछते थे कि तुम किस के रिश्तेदार हो मै कहता मेरा तो यहाँ कोई नहीं है तो कहते फिर तुम को यहाँ कोई काम नहीं मिलेगा. मै बीच में एक-साल के लिए स्टेज करने चला गया. मै वहां ड्रम बजाता था, महेंद्र कपूर, किशोर दा इन सब के साथ काम किया. १९८२ की बात है लक्षमीकान्त जी के पास ड्रमर नहीं था तो उन्होंने मुझे एक गाने की रिकार्डिंग के लिए बुलाया और उस के बाद से मैने उनको साथ काम करना प्रारम्भ कर लिया.
आप की पहली फिल्म थी कन्यादान. वो कैसे मिली?
हीरो फिल्म कि शूटिंग चल रही थी. उस में जैकी हीरो था,वो मेरा अच्छा दोस्त है तो उस ने ही मुझको मिलाया सुधाकर बोकाडिया जी से और इस तरह मुझको पहली फिल्म मिली. मेरा पहला गाना लता जी ने गाया था. उस गाने को के सी बोकाडिया जी ने सुना तो उन्होंने अपनी फिल्म के लिए मुझको साइन कर लिया फिर प्रह्लाद निल्हानी जी ने मुझ को साइन किया इस तरह से ये सिलसिला चल निकला.
प्रारंभ में आप की फिल्म कन्यादान तो रिलीज नहीं हो पाई और जाने तमन्ना कुछ खास नहीं चली तो आप को निराशा नहीं हुई?
क्या हुआ आओ प्यार करें पहले रिलीज हो गयी जब कि वो कन्यादान और जाने तमन्ना के साथ ही बन रही थी. उस में शिल्पा शेट्टी और शैफ़ अली खान थे. उस के गाने बहुत हिट हुए, मेरी पहली फिल्म वही रिलीज हुई थी और मेरे संगीत का पहला रिलीज भी वही था तो मै बहुत खुश था.
आप का एक अल्बम था "दिल कहीं होश कहीं", ये आप को बताये बिना रिलीज हो गया था. क्या हुआ था उस समय?
वो अल्बम नहीं था, वो फिल्म के गाने थे. चेतन आन्नद जी एक फिल्म बना रहे थे, जिस में शाहरुख़ खान थे. क्या हुआ कि फिल्म तो बनी नहीं क्यों कि चेतन आन्नद जी कि म्रत्यु हो गई. मुझे बताये बिना गानों को रिलीज कर दिया गया, मै एक दिन टी वी पर देखता हूँ कि अरे ये तो मेरा गाना चल रहा है. उस पर अल्बम भी बन गया है. मै बहुत हक्का बक्का रह गया कि अरे मुझे बिना बताये ये इन लोगों ने कब कर दिया. भरत शाह, युनिवर्सल स्टूडियो से मेरी थोडी बहस भी हो गई थी. मैंने कहा कि ये गाना मेरा है और आप ने मेरा नाम तक नहीं दिया ये कहाँ का इंसाफ है? फिर बाद में उन्होंने मेरा नाम देना प्रारंभ किया. भारत में क्या है कि कॉपी राइटस और क्रेडिट को ले कर थोडी जद्दोजहद करनी होती है. यहां पर आज भी लोग संगीतकार को दबाते हैं जिनका जितना हक़ बनता है उतना नहीं मिलता है.
क्या आप का कोई संगठन नहीं है जो रायल्टी और हक़ मिलने का ध्यान रख सके?
हम सभी संगीतकार मिल कर अपने अधिकारों के लिए लडाई कर रहे हैं. हमारे सक्रिए सदस्य हैं जतिन पंडित जी, समीर जी, शंकर, अहसान ,लॉय के शंकर जी, संगी साहब. अभी बहुत सी चीजें ठीक भी हो रहीं हैं.
२००३ में बनी बागबान में आप का संगीत हैं और उस में आप ने अमिताभ जी से गाने गवाएं है. अपने संगीत पर अमिताभ जी को गवाने का कैसा अनुभव रहा?
अमित जी को उससे पहले भी कभी ख़ुशी कभी गम में शावा शावा गाने मै गवा चुका था. उस गाने में अमित जी की बहुत आवाज है हालाँकि उन को क्रेडिट नहीं दिया गया है. गाना सुदेश ने गाया है पर अमित जी का जो एनेर्जी स्तर था वो मुझको मिल नहीं रहा था.तो मैने अमित जी को एक पूरा सेकेण्ड ट्रेक गवाया था. इस गाने में जो कहा गया है ऐले ,एवरी बाडी और शाबा शाबा जो जोर से है ये सभी अमित जी की आवाज में है. बागबान में मैने अमित जी से चार गाने गवाएं हैं. उन के साथ काम करना हमेशा ही बहुत सुखद अनुभव रहा है .हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत सहज महसूस करते हैं. अभी तक मैने ही अमित जी को सब से ज्यादा गाने गवाएं हैं. कल्यानजी आनद जी ने, फिर पंचम जी ने महान में गवाया था. मैने अभी तक उनसे ११ गाने गवा चुका हूँ.
आप ने हनुमान चालीसा को रिकॉर्ड किया हैं. इस के बारे में हमारे पढने वालों को कुछ बताइए.
हनुमान चालीसा को मैने राग अहिर भैरो में रिकॉर्ड किया है. अहिर भैरो सुबह गाया जाने वाला राग है. इस को सुन कर आप तनाव मुक्त हो जायेंगे. इस में मैने पूरी नयी धुन दी है. जो साउंड मैने प्रयोग किया है वो मेडिटेशन की तरह है. इस को यदि आप सुबह सुनेगे तो आप का पूरा दिन बहुत अच्छा बीतेगा. वैसे हनुमान चालीसा स्वयं में ही इतना सक्षम है कि उसे सुन कर मन शांत हो जाता है.
हनुमान चालीसा में किस किस ने अपनी आवाज दी है?
हनुमान चालीसा अमित जी ने गाया है और उनके साथ २० गायक गायिकाएं हैं, मै हूँ, हरिहरन, सोनू निगम, कैलाश खेर, सुखविंदर, शंकर महादेवन, शान, के के, रूप कुमार, विनोद राठौर, कुमार शानू , अभिजित, और हंस राज हंस. इसी में सीता राम जाप भी है जिसमे सभी गायिकाएं है विजेता, कविता, साधना, अनुराधा, ऋचा, सुनिधि, श्रेया. मै सभी का बहुत शुक्र गुजार हूँ क्यों की सभी ने मुझको पूरा सहयोग दिया है. ये अपनी तरह का अकेला अल्बम है.
"जब नहीं आये थे तुम" इस गाने में आपने संगीत दिया है पर आवाज को प्राथमिकता दी है इस के पीछे क्या सोच थी आप की?
निदा फाजली ने ये गाना बहुत सुंदर लिखा है अतः संगीत कम ही रखा था. इसे विजेता ने गाया है और करीना को भी कोशिश कराई थी.
आप ने इतनी फिल्मों में गाने गायें हैं उनमे से आप को कौन सा गाना बहुत पसंद है ?
आँखें मूवी का गाना है गुस्ताखियाँ है, प्रकाश झा की फिल्म है "राजनीति", उस में एक गाना मैने गया है "मोरा पिया मोसे बोले न "जो मुझे बहुत पसंद है.
आज जो संगीत दिया जा रहा है उस में अधिक तर संगीत में बहुत मिलावट है. आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगें ?
सच है, आज कल ऐसा बहुत हो रहा है. मै स्वयं इस के बहुत खिलाफ हूँ. मै बहुत मेहनत से एकदम ओरिजनल काम करता हूँ . मै उन लोगों से नफरत करता हूँ जो इधर उधर से उठा के गाने बनाते हैं.जो गाना वेस्ट में हिट होता है उस को कॉपी करने की होड़ लग जाती है कि कौन पहले चोरी कर ले. भगवान का शुक्रिया करता हूँ कि मै इन सब से बचा हुआ हूँ. एक ऐसी साईट है जहाँ आप को ऐसे सभी संगीत कारों के नाम मिलेंगें जिन्होंने गाने चोरी किये हैं उन में आप को मेरा नाम नहीं मिलेगा.
क्या यही कारण है कि पुराने गाने अभी भी सुनने में उतने ही अच्छे लगते हैं और नए गाने आते हैं और चले जाते हैं?
नहीं ऐसा नहीं है. क्या है कि पुराने समय में महीने में एक या दो फिल्म के गाने आते थे तो आप के पास चुनाव करने को नहीं होता था. आज कल तो फ़िल्मी और गैर फ़िल्मी मिला के हफ्ते में १२ अल्बम आते हैं. तो आप के पास चुनने के किये बहुत होता है आज के समय में स्टैंड करना बहुत कठिन है.
आप पर ये तोहमत लगाई गई है कि आप पाकिस्तानी सिंगर्स के खिलाफ हैं. आप क्या कहेंगे?
ऐसा कुछ भी नहीं है. मै पाकिस्तानी सिंगरस के खिलाफ या मुस्लिम के खिलाफ बिलकुल भी नहीं हूँ . आप को पता है ? जब मेरी पहली फिल्म रिलीज हुई थी तो मैने रोजे रखे थे लेकिन मै बेसुरों और बत्त्तमीजों के खिलाफ हूँ. मेरे घर और ऑफिस में बहुत से मुस्लमान भाई काम करते हैं. गुलाम अली खान साहब मुझको अपना भाई मानते हैं. मेरे चाहने वाले पाकिस्तान में बहुत ज्यादा है. बहुतों के तो फोन भी आते हैं. मेरे खिलाफ गलत बातें उछाली गईं हैं.
स्टार व्यास ऑफ़ इंडिया में जब आतिफ असलम जी अपने अल्बम को प्रमोट करने आये थे तो आप ने कुछ कड़े शब्दों का प्रयोग किया था. कुछ कहना चाहेंगें?
हाँ. आप पहली हैं जिसने ये पूछा है तो मै बताना चाहूँगा, क्या हुआ कि आतिफ अपना अल्बम प्रमोट करने के लिए आया था. मै, जतिन जी, और अलका जी हम सभी बैठे थे. आतिफ ने किसी को न हेलो कहा, न सलाम, न नमस्ते. कुछ भी नहीं बस आके अपनी जगह पर बैठ गया. हम सभी वहां उस से सीनियर थे, उम्र मे भी बड़े थे पर किसी को कोई दुआ सलाम नहीं तो ये बत्तमीजी नहीं है तो और क्या है. हर कोई अपना नसीब ले कर आता है. यदि आप को यहाँ से नाम मिल्र रहा है तो अच्छी बात है मैं आप के किये खुश हूँ और जलन का अनुभव नहीं कर रहा हूँ पर हमारे फिल्म जगत में विनम्रता और तहजीब हम सब से पहले सीखते हैं और मैं वही उम्मीद करता हूँ और साथ में ये भी उम्मीद करता हूँ कि लोग सुर में गायें. टिप्स कम्पनी (जिस का वो कलाकार है ) के मालिक रमेश जी ने मुझसे पूछा कि क्या हो गया था तो मैने कहा कि उस को बड़ों कि इज्जत करनी नहीं आती है.
मुझे तो इस बात पर हैरत होती है कि वो उस धरती का है, जिस से गुलाम अली खान साहब, राहत अली हैं. ये कितने विनम्र, ऊँचे गायक और अच्छे इन्सान है. आप आबिदा परवीन जी , गुलाम अली जी, राहत जी से मेरे बारे में पूछिये वो बतायेंगें मै कैसा हूँ ?
आप बहुत प्रतिभावान है. आप के संगीत में ताजगी है, आत्मा है, माधुर्य है पर क्या आप को लगता है कि आप को वो पहचान वो जगह मिली है जो आप को मिलनी चाहिए?
आज कल संगीत से ज्यादा आप को व्यापार आना चाहिए. आप को पेपर वर्क करना और लोंबी बनाना आना चाहिए मै इन सभी में बहुत बेकार हूँ. बहुत से लोगों के लिए तो १५ लोग लोंबी बनाने के लिए काम करते हैं. हौलीवुड पहुँच जाते हैं तो लोग उनको सर पर बैठा के रखते हैं, मुझ को लोंबी बनाना नहीं आता मै बस भगवान के पास लोंबी बनाता हूँ, उनकी पूजा करता हूँ और इस दौड़ में फ़िलहाल शामिल नहीं हूँ .
आप के भविष्य का प्रोजेक्ट क्या है ?
अभी रवि चोपडा जी, गोविन्द निल्हानी जी की फिल्म कर रहा हूँ. राजनीति के बारे मै बता चूका हूँ. अभी एक ग्लोबल प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूँ "साउंड ऑफ़ पीस" इस में मै ललित मोदी कारपोरेशन के साथ काम कर रहा हूँ.
क्या अभी आप का कोई प्राइवेट अल्बम आने वाला है ?
हाँ मेरे दो तीन अल्बम एक साथ आयेंगे. रागा लाउनच कर के है. इस में सभी गाने रागों पर आधारित हैं. मैने इस को वर्ल्ड वाइड रजिस्टर किया है. ये दिसम्बर में रिलीज हो जायेगा. इस मै सरे नए लोगों को औफ़र दिया है. यदि उनका विचार मेरे विचार से मिल जायेगा तो उन को मै मौका दूंगा. सभी मुझको अपना ट्रैक भेज सकते हैं इसमें उनको पूरा श्रेय मिलेगा और रोयल्टी भी मिलेगी.
आप ने अपना एक लेबिल भी शुरू किया है. इस को शुरू करने के पीछे आप कि क्या सोच थी?
हमारे मुजिक लेबल का एक उद्देश्य है कि हम नयी प्रतिभाओं को किस तरह से बढ़ावा दें और सम्मान दें क्यों की जब कलाकार बाहर जाते हैं तो हमारे ही गानों पर परफोर्म करते हैं, कोई संवाद क्यों नहीं बोलते जो उनकी चीज है. बहुत कम कलाकार एसे हैं जो स्वयं गा के परफोर्म करते हैं. जैसे अमित जी, अक्षय, आमिर, शाहरुख़. क्या है कि ये प्रथा बहुत समय से ही चली आ रही है. इस में गलतियाँ प्रड्यूसर की ही नहीं है हमारी भी है क्यों कि हम ने कभी कुछ कहा ही नहीं. जो हमारा संगठन है उस मै बातें आती है कि सर हम को ये नहीं मिल रहा है वो नहीं मिल रहा है तो हम ने कहा कि क्या आप ने कभी माँगा है तो बोले नहीं सर .तो जब माँगा नहीं तो कैसे मिलेगा? इन सभी चीजों को एक सिस्टम मै लाना चाहते हैं जैसे की हमारे वेस्ट में काम होता है.
आदेश श्रीवास्तव जी के शब्दों में आदेश श्रीवास्तव क्या हैं ?
एक सच्चा इन्सान है, छल कपट नहीं जानता हूँ और अगर ईश्वर ने मुझे कोई कला दी है तो मै उस को दूसरो में बाटूँ.
क्या ऐसा अभी भी कुछ है जो आप जीवन में करना चाहते हैं ?
अभी भी मुझे जो मिलना चाहिए था, नहीं मिला है पर लोगों का प्यार बहुत मिला है मुझे. मै सभी का बहुत शुक्रगुजार हूँ. नव जवान जो गलत दिशा में जा रहे हैं उनको अपने संगीत के जरिये मैं सही दिशा दिखाना चाहता हूँ. साउंड ऑफ़ पीस के जरिये यही करना चाहता हूँ.
बेसुरे और बदतमीज मुझे पसंद नहीं :-आदेश श्रीवास्तव
आदेश श्रीवास्तव जितने विनम्र और मृदुभाषी हैं उतना ही गुस्सा भी उनको आता है, फिर चाहे वो गुस्सा व्यवस्था के खिलाफ हो, झूठ और बेईमानी के खिलाफ हो या फिर अंहकार और दंभ के खिलाफ हो. संगीत के धनी और अपरिमित संगीत रचनाकार आदेश का नाम आज पूरे फिल्म जगत में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है. सोना-सोना, शावा-शावा और गुर नालों इश्क मीठा जैसे मधुर संगीत देने वाले आदेश से गुफ्तगू करने का मौका मिला और हम चले पड़े उस अतीत से इस सवेरे तक उनकी जीवन यात्रा में थोडी देर-
आदेश जी परिवार के बारे में बताइए-
मेरे परिवार में २ बहन और ३ भाई है. मेरी माँ का देहांत ७ साल पहले हो गया था. वो मनोविज्ञान की प्रोफेसर थी. मेरे पिता जी रेलवे में मेकेनिकल इंजिनियर थे और अभी रिटायर हो गए हैं. शादी के बाद मेरा छोटा सा परिवार हैं मेरी पत्नी विजेता पंडित और दो बेटे हैं.
आप का बचपन कहाँ बीता और शिक्षा कहाँ पर हुई?
मेरा बचपन जबलपुर में बीता और यहीं पर मैने मोर्डन हाई स्कूल से ग्याहरवीं पास किया.
आप डॉक्टर बनना चाहते थे पर संगीत कि दुनिया में कैसे आ गये?
मेरी माँ चाहती थी कि मै मेडीसिन में जाऊँ. उस समय प्री मेडिकल टेस्ट होते थे उस के लिए कुछ प्रतिशत नंबर लाने होते थे तो कुछ बना नहीं. संगीत का मुझ को बहुत शौक था हम घर में बस ऐसे ही गाया करते थे. मेरी बड़ी बहन गाती थी, मै गाता था और बजाता भी था. मै बहुत शरारती था, पतंग बहुत उडाता था हौकी और फुट बॉल खेलता था तो तो पिता जी ने कहा कि ये सब करने से अच्छा है कि तुम संगीत सीख लो वो सोचते थे कि संगीत सीखने लगेंगे तो बच्चे घर में ही रहेंगे. उस समय मुझे भी नहीं पता था कि मै संगीत को अपनाऊंगा.
आप ने कहा आप पतंग बहुत उडाते थे. क्या सिर्फ त्यौहारों पर या फिर हमेशा? और क्या आज भी ये शौक आप में जीवित है ?
मै तो हमेशा ही पतंग उडाता रहता था. त्यौहारों में तो खास. आज भी मै पतंग उड़ाता हूँ. संक्रांति पर विशेष रूप से उड़ाता हूँ समीर जी को भी बहुत शौक है पतंग उडाने का और हम साथ मस्ती करते हैं.
आप ड्रम सीख के मुंबई आये थे. यहाँ अपनी जगह बनाने में आप को किन किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ा?
वो मेरा स्ट्रगल का समय था जो बहुत ही कठिन था. उस समय गुट बंदी बहुत थी. जैसे आर डी बर्मन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जी, कल्याण जी- आन्नद जी, इन सभी के अपने अपने मुज़िशियन हुआ करते थे. सभी पूछते थे कि तुम किस के रिश्तेदार हो मै कहता मेरा तो यहाँ कोई नहीं है तो कहते फिर तुम को यहाँ कोई काम नहीं मिलेगा. मै बीच में एक-साल के लिए स्टेज करने चला गया. मै वहां ड्रम बजाता था, महेंद्र कपूर, किशोर दा इन सब के साथ काम किया. १९८२ की बात है लक्षमीकान्त जी के पास ड्रमर नहीं था तो उन्होंने मुझे एक गाने की रिकार्डिंग के लिए बुलाया और उस के बाद से मैने उनको साथ काम करना प्रारम्भ कर लिया.
आप की पहली फिल्म थी कन्यादान. वो कैसे मिली?
हीरो फिल्म कि शूटिंग चल रही थी. उस में जैकी हीरो था,वो मेरा अच्छा दोस्त है तो उस ने ही मुझको मिलाया सुधाकर बोकाडिया जी से और इस तरह मुझको पहली फिल्म मिली. मेरा पहला गाना लता जी ने गाया था. उस गाने को के सी बोकाडिया जी ने सुना तो उन्होंने अपनी फिल्म के लिए मुझको साइन कर लिया फिर प्रह्लाद निल्हानी जी ने मुझ को साइन किया इस तरह से ये सिलसिला चल निकला.
प्रारंभ में आप की फिल्म कन्यादान तो रिलीज नहीं हो पाई और जाने तमन्ना कुछ खास नहीं चली तो आप को निराशा नहीं हुई?
क्या हुआ आओ प्यार करें पहले रिलीज हो गयी जब कि वो कन्यादान और जाने तमन्ना के साथ ही बन रही थी. उस में शिल्पा शेट्टी और शैफ़ अली खान थे. उस के गाने बहुत हिट हुए, मेरी पहली फिल्म वही रिलीज हुई थी और मेरे संगीत का पहला रिलीज भी वही था तो मै बहुत खुश था.
आप का एक अल्बम था "दिल कहीं होश कहीं", ये आप को बताये बिना रिलीज हो गया था. क्या हुआ था उस समय?
वो अल्बम नहीं था, वो फिल्म के गाने थे. चेतन आन्नद जी एक फिल्म बना रहे थे, जिस में शाहरुख़ खान थे. क्या हुआ कि फिल्म तो बनी नहीं क्यों कि चेतन आन्नद जी कि म्रत्यु हो गई. मुझे बताये बिना गानों को रिलीज कर दिया गया, मै एक दिन टी वी पर देखता हूँ कि अरे ये तो मेरा गाना चल रहा है. उस पर अल्बम भी बन गया है. मै बहुत हक्का बक्का रह गया कि अरे मुझे बिना बताये ये इन लोगों ने कब कर दिया. भरत शाह, युनिवर्सल स्टूडियो से मेरी थोडी बहस भी हो गई थी. मैंने कहा कि ये गाना मेरा है और आप ने मेरा नाम तक नहीं दिया ये कहाँ का इंसाफ है? फिर बाद में उन्होंने मेरा नाम देना प्रारंभ किया. भारत में क्या है कि कॉपी राइटस और क्रेडिट को ले कर थोडी जद्दोजहद करनी होती है. यहां पर आज भी लोग संगीतकार को दबाते हैं जिनका जितना हक़ बनता है उतना नहीं मिलता है.
क्या आप का कोई संगठन नहीं है जो रायल्टी और हक़ मिलने का ध्यान रख सके?
हम सभी संगीतकार मिल कर अपने अधिकारों के लिए लडाई कर रहे हैं. हमारे सक्रिए सदस्य हैं जतिन पंडित जी, समीर जी, शंकर, अहसान ,लॉय के शंकर जी, संगी साहब. अभी बहुत सी चीजें ठीक भी हो रहीं हैं.
२००३ में बनी बागबान में आप का संगीत हैं और उस में आप ने अमिताभ जी से गाने गवाएं है. अपने संगीत पर अमिताभ जी को गवाने का कैसा अनुभव रहा?
अमित जी को उससे पहले भी कभी ख़ुशी कभी गम में शावा शावा गाने मै गवा चुका था. उस गाने में अमित जी की बहुत आवाज है हालाँकि उन को क्रेडिट नहीं दिया गया है. गाना सुदेश ने गाया है पर अमित जी का जो एनेर्जी स्तर था वो मुझको मिल नहीं रहा था.तो मैने अमित जी को एक पूरा सेकेण्ड ट्रेक गवाया था. इस गाने में जो कहा गया है ऐले ,एवरी बाडी और शाबा शाबा जो जोर से है ये सभी अमित जी की आवाज में है. बागबान में मैने अमित जी से चार गाने गवाएं हैं. उन के साथ काम करना हमेशा ही बहुत सुखद अनुभव रहा है .हम दोनों एक दूसरे के साथ बहुत सहज महसूस करते हैं. अभी तक मैने ही अमित जी को सब से ज्यादा गाने गवाएं हैं. कल्यानजी आनद जी ने, फिर पंचम जी ने महान में गवाया था. मैने अभी तक उनसे ११ गाने गवा चुका हूँ.
आप ने हनुमान चालीसा को रिकॉर्ड किया हैं. इस के बारे में हमारे पढने वालों को कुछ बताइए.
हनुमान चालीसा को मैने राग अहिर भैरो में रिकॉर्ड किया है. अहिर भैरो सुबह गाया जाने वाला राग है. इस को सुन कर आप तनाव मुक्त हो जायेंगे. इस में मैने पूरी नयी धुन दी है. जो साउंड मैने प्रयोग किया है वो मेडिटेशन की तरह है. इस को यदि आप सुबह सुनेगे तो आप का पूरा दिन बहुत अच्छा बीतेगा. वैसे हनुमान चालीसा स्वयं में ही इतना सक्षम है कि उसे सुन कर मन शांत हो जाता है.
हनुमान चालीसा में किस किस ने अपनी आवाज दी है?
हनुमान चालीसा अमित जी ने गाया है और उनके साथ २० गायक गायिकाएं हैं, मै हूँ, हरिहरन, सोनू निगम, कैलाश खेर, सुखविंदर, शंकर महादेवन, शान, के के, रूप कुमार, विनोद राठौर, कुमार शानू , अभिजित, और हंस राज हंस. इसी में सीता राम जाप भी है जिसमे सभी गायिकाएं है विजेता, कविता, साधना, अनुराधा, ऋचा, सुनिधि, श्रेया. मै सभी का बहुत शुक्र गुजार हूँ क्यों की सभी ने मुझको पूरा सहयोग दिया है. ये अपनी तरह का अकेला अल्बम है.
"जब नहीं आये थे तुम" इस गाने में आपने संगीत दिया है पर आवाज को प्राथमिकता दी है इस के पीछे क्या सोच थी आप की?
निदा फाजली ने ये गाना बहुत सुंदर लिखा है अतः संगीत कम ही रखा था. इसे विजेता ने गाया है और करीना को भी कोशिश कराई थी.
आप ने इतनी फिल्मों में गाने गायें हैं उनमे से आप को कौन सा गाना बहुत पसंद है ?
आँखें मूवी का गाना है गुस्ताखियाँ है, प्रकाश झा की फिल्म है "राजनीति", उस में एक गाना मैने गया है "मोरा पिया मोसे बोले न "जो मुझे बहुत पसंद है.
आज जो संगीत दिया जा रहा है उस में अधिक तर संगीत में बहुत मिलावट है. आप इस बारे में क्या कहना चाहेंगें ?
सच है, आज कल ऐसा बहुत हो रहा है. मै स्वयं इस के बहुत खिलाफ हूँ. मै बहुत मेहनत से एकदम ओरिजनल काम करता हूँ . मै उन लोगों से नफरत करता हूँ जो इधर उधर से उठा के गाने बनाते हैं.जो गाना वेस्ट में हिट होता है उस को कॉपी करने की होड़ लग जाती है कि कौन पहले चोरी कर ले. भगवान का शुक्रिया करता हूँ कि मै इन सब से बचा हुआ हूँ. एक ऐसी साईट है जहाँ आप को ऐसे सभी संगीत कारों के नाम मिलेंगें जिन्होंने गाने चोरी किये हैं उन में आप को मेरा नाम नहीं मिलेगा.
क्या यही कारण है कि पुराने गाने अभी भी सुनने में उतने ही अच्छे लगते हैं और नए गाने आते हैं और चले जाते हैं?
नहीं ऐसा नहीं है. क्या है कि पुराने समय में महीने में एक या दो फिल्म के गाने आते थे तो आप के पास चुनाव करने को नहीं होता था. आज कल तो फ़िल्मी और गैर फ़िल्मी मिला के हफ्ते में १२ अल्बम आते हैं. तो आप के पास चुनने के किये बहुत होता है आज के समय में स्टैंड करना बहुत कठिन है.
आप पर ये तोहमत लगाई गई है कि आप पाकिस्तानी सिंगर्स के खिलाफ हैं. आप क्या कहेंगे?
ऐसा कुछ भी नहीं है. मै पाकिस्तानी सिंगरस के खिलाफ या मुस्लिम के खिलाफ बिलकुल भी नहीं हूँ . आप को पता है ? जब मेरी पहली फिल्म रिलीज हुई थी तो मैने रोजे रखे थे लेकिन मै बेसुरों और बत्त्तमीजों के खिलाफ हूँ. मेरे घर और ऑफिस में बहुत से मुस्लमान भाई काम करते हैं. गुलाम अली खान साहब मुझको अपना भाई मानते हैं. मेरे चाहने वाले पाकिस्तान में बहुत ज्यादा है. बहुतों के तो फोन भी आते हैं. मेरे खिलाफ गलत बातें उछाली गईं हैं.
स्टार व्यास ऑफ़ इंडिया में जब आतिफ असलम जी अपने अल्बम को प्रमोट करने आये थे तो आप ने कुछ कड़े शब्दों का प्रयोग किया था. कुछ कहना चाहेंगें?
हाँ. आप पहली हैं जिसने ये पूछा है तो मै बताना चाहूँगा, क्या हुआ कि आतिफ अपना अल्बम प्रमोट करने के लिए आया था. मै, जतिन जी, और अलका जी हम सभी बैठे थे. आतिफ ने किसी को न हेलो कहा, न सलाम, न नमस्ते. कुछ भी नहीं बस आके अपनी जगह पर बैठ गया. हम सभी वहां उस से सीनियर थे, उम्र मे भी बड़े थे पर किसी को कोई दुआ सलाम नहीं तो ये बत्तमीजी नहीं है तो और क्या है. हर कोई अपना नसीब ले कर आता है. यदि आप को यहाँ से नाम मिल्र रहा है तो अच्छी बात है मैं आप के किये खुश हूँ और जलन का अनुभव नहीं कर रहा हूँ पर हमारे फिल्म जगत में विनम्रता और तहजीब हम सब से पहले सीखते हैं और मैं वही उम्मीद करता हूँ और साथ में ये भी उम्मीद करता हूँ कि लोग सुर में गायें. टिप्स कम्पनी (जिस का वो कलाकार है ) के मालिक रमेश जी ने मुझसे पूछा कि क्या हो गया था तो मैने कहा कि उस को बड़ों कि इज्जत करनी नहीं आती है.
मुझे तो इस बात पर हैरत होती है कि वो उस धरती का है, जिस से गुलाम अली खान साहब, राहत अली हैं. ये कितने विनम्र, ऊँचे गायक और अच्छे इन्सान है. आप आबिदा परवीन जी , गुलाम अली जी, राहत जी से मेरे बारे में पूछिये वो बतायेंगें मै कैसा हूँ ?
आप बहुत प्रतिभावान है. आप के संगीत में ताजगी है, आत्मा है, माधुर्य है पर क्या आप को लगता है कि आप को वो पहचान वो जगह मिली है जो आप को मिलनी चाहिए?
आज कल संगीत से ज्यादा आप को व्यापार आना चाहिए. आप को पेपर वर्क करना और लोंबी बनाना आना चाहिए मै इन सभी में बहुत बेकार हूँ. बहुत से लोगों के लिए तो १५ लोग लोंबी बनाने के लिए काम करते हैं. हौलीवुड पहुँच जाते हैं तो लोग उनको सर पर बैठा के रखते हैं, मुझ को लोंबी बनाना नहीं आता मै बस भगवान के पास लोंबी बनाता हूँ, उनकी पूजा करता हूँ और इस दौड़ में फ़िलहाल शामिल नहीं हूँ .
आप के भविष्य का प्रोजेक्ट क्या है ?
अभी रवि चोपडा जी, गोविन्द निल्हानी जी की फिल्म कर रहा हूँ. राजनीति के बारे मै बता चूका हूँ. अभी एक ग्लोबल प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हूँ "साउंड ऑफ़ पीस" इस में मै ललित मोदी कारपोरेशन के साथ काम कर रहा हूँ.
क्या अभी आप का कोई प्राइवेट अल्बम आने वाला है ?
हाँ मेरे दो तीन अल्बम एक साथ आयेंगे. रागा लाउनच कर के है. इस में सभी गाने रागों पर आधारित हैं. मैने इस को वर्ल्ड वाइड रजिस्टर किया है. ये दिसम्बर में रिलीज हो जायेगा. इस मै सरे नए लोगों को औफ़र दिया है. यदि उनका विचार मेरे विचार से मिल जायेगा तो उन को मै मौका दूंगा. सभी मुझको अपना ट्रैक भेज सकते हैं इसमें उनको पूरा श्रेय मिलेगा और रोयल्टी भी मिलेगी.
आप ने अपना एक लेबिल भी शुरू किया है. इस को शुरू करने के पीछे आप कि क्या सोच थी?
हमारे मुजिक लेबल का एक उद्देश्य है कि हम नयी प्रतिभाओं को किस तरह से बढ़ावा दें और सम्मान दें क्यों की जब कलाकार बाहर जाते हैं तो हमारे ही गानों पर परफोर्म करते हैं, कोई संवाद क्यों नहीं बोलते जो उनकी चीज है. बहुत कम कलाकार एसे हैं जो स्वयं गा के परफोर्म करते हैं. जैसे अमित जी, अक्षय, आमिर, शाहरुख़. क्या है कि ये प्रथा बहुत समय से ही चली आ रही है. इस में गलतियाँ प्रड्यूसर की ही नहीं है हमारी भी है क्यों कि हम ने कभी कुछ कहा ही नहीं. जो हमारा संगठन है उस मै बातें आती है कि सर हम को ये नहीं मिल रहा है वो नहीं मिल रहा है तो हम ने कहा कि क्या आप ने कभी माँगा है तो बोले नहीं सर .तो जब माँगा नहीं तो कैसे मिलेगा? इन सभी चीजों को एक सिस्टम मै लाना चाहते हैं जैसे की हमारे वेस्ट में काम होता है.
आदेश श्रीवास्तव जी के शब्दों में आदेश श्रीवास्तव क्या हैं ?
एक सच्चा इन्सान है, छल कपट नहीं जानता हूँ और अगर ईश्वर ने मुझे कोई कला दी है तो मै उस को दूसरो में बाटूँ.
क्या ऐसा अभी भी कुछ है जो आप जीवन में करना चाहते हैं ?
अभी भी मुझे जो मिलना चाहिए था, नहीं मिला है पर लोगों का प्यार बहुत मिला है मुझे. मै सभी का बहुत शुक्रगुजार हूँ. नव जवान जो गलत दिशा में जा रहे हैं उनको अपने संगीत के जरिये मैं सही दिशा दिखाना चाहता हूँ. साउंड ऑफ़ पीस के जरिये यही करना चाहता हूँ.