Saturday, 22 February 2014

छूटे है  बचपन सखी री


फेरे आये मंडप में
सात वचनो के साथ
मेंहन्दी पीसी पत्थर पे
सजे  बन्नी के हाथ
भीगा है सपन  सखी री
छूटे है  बचपन सखी री

खेल खिलौने रूठे
करें न मुझसे बात
गुड़िया रोये घूँघट में
आँगन सारी रात
भोला था छुटपन सखी री
छूटे है बचपन सखी री

समधी बैठे आँगन
खाने भात
गारी की संग में
मिली सौगात
कैसा अनोखापन सखी री
छूटे है बचपन सखी री

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