मै चाहता हूँ कि मेरी गायिकी में एक ताजगी बनी रहे :---- शान
शान एक ऐसा गायक जिसकी गायिकी हर दिल पर राज करती हैl जिनके गाने बड़ों से लेकर बच्चों तक को बहुत पसंद है , फिर चाहे वो चाँद शिफारिश हो या बम बम बोले l जितना मधुर वो गाते हैं उतने ही सरल और नेक दिल इन्सान भी है l.मनपसंद इंक के बैनर तले आज कल शान अमेरिका के दौरे पर हैं lइसी दौरान मुझे उनसे बात करने का मौका मिला प्रस्तुत है lशान जी से की गई बात चीत के मुख्य अंश l
अपने पिता श्री मानस मुखर्जी जी के बारे में कुछ बताइए l
मेरे पिता जी कविता में पाले बड़े वहाँ रेडियो पर और फिर जात्रा में उनका संगीत और गाने बहुत मशहूर हो चुके थे lवो १९६६ को मुंबई आये l यहाँ पर उन्होंने बहुत सी फिल्मों में संगीत दिया जैसे शायद ,लाखों की बात ,अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है ? इसके आलावा कुछ मलयालम और बंगाली फिल्मों में भी संगीत दिया पर ४५ साल की अल्प आयु में ही उनका देहांत हो गया l.उनके सगीत निर्देशन में रफ़ी जी किशोर कुमार ,आशा जी, लता जी सभी ने गाया है l मेरे पिता जी को सभी बहुत मानते थे lआज जब भी मै कहता हूँ कि मै मानस मुखर्जी का बेटा हूँ तो लोग प्यार देते हैं और बहुत से दरवाजे मेरे लिए खुल जाते हैंl
आप बहुत मिलनसार व्यक्ति है आपके स्कूल कॉलेज के दोस्तों से आज भी आपका संपर्क है क्या आज भी जब आप मिलते हैं तो वही मस्ती करते को कॉलेज में किया करते थे ?
जी हाँ बिलकुल बस समय थोडा कम मिल पाता है क्योंकि कुछ दोस्त दुबई में हैं कुछ अमेरिका और कनाडा मै हैं पर हम जब भी मिलते हैं तो वही मस्ती धमाल करते हैं l
आपके ग्रुप को प्रीस्ट(संत )कहा जाता था l
जी हाँ क्या था कि हम कैथलिक स्कूल में पढ़ते थे l वहां हमारे ग्रुप को प्रीस्ट कहते थे पर ये नाम हम लोगों ने खुद ही रखा था हम सभी संत जैसे थे नहीं l
आपने और सागरिका जी ने पहला अल्बम नवजवान निकला जो बहुत हिट हुआ .उस समय क्या आपको लगा था कि अब नए दरवाजे खुल जायेंगे ?
मुझे इतना नहीं लगा था कि ऐसा कुछ होगा l उस समय डैडी नहीं थे मम्मी अकेली हमको बड़ा कर रहीं थी तो कुछ न कुछ तो करना ही था l फिर मै बहुत महत्वाकांक्षी भी नहीं था बस सोचता था कि आज का दिन निकल जाये l पर अभी तो आज कल परसों तक का सोचना होता है .क्योंकि अभी मेरा परिवार है बच्चे हैं l
शान एक ऐसा गायक जिसकी गायिकी हर दिल पर राज करती हैl जिनके गाने बड़ों से लेकर बच्चों तक को बहुत पसंद है , फिर चाहे वो चाँद शिफारिश हो या बम बम बोले l जितना मधुर वो गाते हैं उतने ही सरल और नेक दिल इन्सान भी है l.मनपसंद इंक के बैनर तले आज कल शान अमेरिका के दौरे पर हैं lइसी दौरान मुझे उनसे बात करने का मौका मिला प्रस्तुत है lशान जी से की गई बात चीत के मुख्य अंश l
अपने पिता श्री मानस मुखर्जी जी के बारे में कुछ बताइए l
मेरे पिता जी कविता में पाले बड़े वहाँ रेडियो पर और फिर जात्रा में उनका संगीत और गाने बहुत मशहूर हो चुके थे lवो १९६६ को मुंबई आये l यहाँ पर उन्होंने बहुत सी फिल्मों में संगीत दिया जैसे शायद ,लाखों की बात ,अलबर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है ? इसके आलावा कुछ मलयालम और बंगाली फिल्मों में भी संगीत दिया पर ४५ साल की अल्प आयु में ही उनका देहांत हो गया l.उनके सगीत निर्देशन में रफ़ी जी किशोर कुमार ,आशा जी, लता जी सभी ने गाया है l मेरे पिता जी को सभी बहुत मानते थे lआज जब भी मै कहता हूँ कि मै मानस मुखर्जी का बेटा हूँ तो लोग प्यार देते हैं और बहुत से दरवाजे मेरे लिए खुल जाते हैंl
आप बहुत मिलनसार व्यक्ति है आपके स्कूल कॉलेज के दोस्तों से आज भी आपका संपर्क है क्या आज भी जब आप मिलते हैं तो वही मस्ती करते को कॉलेज में किया करते थे ?
जी हाँ बिलकुल बस समय थोडा कम मिल पाता है क्योंकि कुछ दोस्त दुबई में हैं कुछ अमेरिका और कनाडा मै हैं पर हम जब भी मिलते हैं तो वही मस्ती धमाल करते हैं l
आपके ग्रुप को प्रीस्ट(संत )कहा जाता था l
जी हाँ क्या था कि हम कैथलिक स्कूल में पढ़ते थे l वहां हमारे ग्रुप को प्रीस्ट कहते थे पर ये नाम हम लोगों ने खुद ही रखा था हम सभी संत जैसे थे नहीं l
आपने और सागरिका जी ने पहला अल्बम नवजवान निकला जो बहुत हिट हुआ .उस समय क्या आपको लगा था कि अब नए दरवाजे खुल जायेंगे ?
मुझे इतना नहीं लगा था कि ऐसा कुछ होगा l उस समय डैडी नहीं थे मम्मी अकेली हमको बड़ा कर रहीं थी तो कुछ न कुछ तो करना ही था l फिर मै बहुत महत्वाकांक्षी भी नहीं था बस सोचता था कि आज का दिन निकल जाये l पर अभी तो आज कल परसों तक का सोचना होता है .क्योंकि अभी मेरा परिवार है बच्चे हैं l
आपको फिल्मों में पहला गाना कैसे मिला था ?
एक फिल्म थी 'प्यार में कभी कभी ' जिसको राज कौशल जी बना रहे थे वो नई आवाज ढूंढ़ रहे l इसी फिल्म में मुझे भी गाने का मौका मिला l फिल्म तो ज्यादा नहीं चली पर इसका गाना 'मुसू मुसू ' बहुत हिट हो गयाl
आप अपनी आवाज को कई बार बदल के गाते हैं अपनी गायिकी में भिन्नता लाते है .ऐसा क्यों ?
मै ये जानबूझ कर करता हूँ l क्योंकी यदि आप किसी को पसंद करते हैं, तो उसकी एक ही तरह की स्टाइल को सुन के ऊबने लगेगे l अतः मै चाहता हूँ कि मेरी गायिकी में एक ताजगी बनी रहे l फिर यदि नौजवान अभिनेता है तो उस पर भारी आवाज सूट नहीं करेगी l उसके लिए मै आवाज को थोडा पतला रखता हूँ l कुछ अभिनेता हैं जिनकी आवाज भारी है तो उनके लिए मै आवाज को चौड़ा रखता हूँ l
आपने अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत से लोगों के साथ काम किया है .उनके साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
बहुत ही अच्छा रहा l अपने देश में मिल कर काम करना ( कोलेबरेट )बहुत कठिन होता है क्योंकी कलाकारों की अपनी -अपनी संगीत कम्पनी होती है और फिर उनकी अपनी निजी पसंद भी होती है l पर इनके साथ काम करके देखा कि ये बहुत खुले विचारों के होते हैंl आराम से काम करते हैं अतः इनके साथ काम करना बहुत आसन होता है l
आप गाने लिखते हैं और गानों की धुनें भी बनाते हैं l तो दूसरों के संगीत निर्देशन में और उनके लिखे हुए गाने को गाने में और खुद के संगीत बढ और लिखे गाने को गाने में क्या अन्तर होता है ?
गाने सभी अच्छे होते हैं l अच्छी शायरी हो और संगीत अच्छा हो तो गाने में बहुत आनंद आता है l मै खुद को बहुत बड़ा शायर नहीं मानता बस मन के भावों को लिख देता हूँ l मै अपनी अल्बम में गाने खुद लिखता हूँ ,संगीत भी देता हूं वो मेरा अपना होता है l जहाँ मै अपने भावों को विस्तार दे पाता हूँ l अपने अल्बम में अपनी चीजें हो तो और ही मजा आता है lफिल्मो में मै दूसरों के लिए गाने गाता हूँ और ऐसा करने में भी मुझे असीम आनंद आता है l
क्या आप अभी किसी पॉप अल्बम पर काम कर रहे हैं ?
मेरा एक पॉप अल्बम तयार हुआ है lअमेरिका से वापस जा कर मै उसको रिलीज़ करने वाला हूँ lअल्बम का नाम है "हर लम्हा "l
क्या आने वाले समय में हम आपको और सागरिका जी को साथ में सुन पायेगे ?
जी हाँ जरुर सुन पाएंगे l अभी वो लन्दन में हैं तो उनके साथ कुछ कोलेबरेट करना थोडा मुश्किल हो जाता है lपर ऐसा नहीं है कि हम साथ में कुछ करना नहीं चाहते हैं l हम जल्दी ही कुछ करेंगे l
ओम शांति ओम का गाना 'दास्ताने ओम शांति '' गाना सुन कर कर्ज में किशोर कुमार जी का गया गाना ''एक हसीना थी एक दीवाना था' याद आता है l
इस गाने में मैने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है l किशोर कुमार जी का मै बहुत बड़ा भक्त हूँ lमेरा गाना उनके गाने जैसा लगा ये मेरे लिए बहुत बड़ी बात है l पर उन जैसे महान गायक से मै अपनी तुलना नहीं कर सकता l दोनों गानों की परिस्थिति एक सी थी इसीलिए ज्यादा मिलता जुलता लगा होगा l
आपने गानों की रिकार्डिंग की है साथ ही बहुत से टी वी शो को होस्ट भी किया है .आपको क्या अधिक आसन लगता है ?
रिकार्डिं तो मै बचपन से करता आरहा हूँ ,अतः वो करने में मुझे बहुत कठिनाई नहीं होती पर ,शो को होस्ट करना आसान नहीं होता l इसमें आपको एक ही बात को कई बार कहना होता है l पर अलग अलग तरीके से और मै हमेशा ये भी चाहता था कि जो भी लोग शो पर हैं उन सभी को सम्मान मिले l उनका अच्छे तरीके से परिचय दिया जाये l इसके साथ उस समय मेरी हिन्दी बहुत कच्ची थी जेन्डर(लिंग्स )की समस्या होती थी ,कहाँ "का' लगाना है कहाँ 'की 'लगाना है .मै जान नहीं पाता था l अतः बार बार रिटेक करने पड़ते थे l मैने कभी मौनीटर और टेलीकौम्प्टर का प्रयोग नहीं किया सब कुछ याद करके बोलता था l
आपके चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान रहती है उसका राज क्या है ?
मै ऐसे ही मुस्कुराता रहता हूँ l मै सोचता हूँ कि यदि किसी गाने को ख़ुशी से गाया जाये तो जो सुने वालों को भी अच्छा लगता है l फिर ज्यादातर हम प्रेम गीत ही गाते हैं ,तो मुझे लगता है कि हीरो मुस्कुराते हुए ही गा रहा होगा तो मै भी वैसा ही करता हूँ l
गुलाम मुस्तफा जी आपके गुरु हैं उनके बारे में कुछ बताइए l
मुझे ऐसा लगता है कि दुनिया के सबसे अच्छे गुरूजी वही हैl मेरे गुरूजी रामपुर घराना के हैं lमन्ना दा,आशा जी ,हरिहरन साहब सभी ने उनसे सीखा है l आज भी जब वो गाते हैं तो उनके आस पास भी पहुँचना मुश्किल होता है l
आने वाली किन किन फिल्मों में हम आपके गाने सुन पाएंगे l
अक्षय कुमार की देसी बौयस,सलमान खान की बौडी गार्ड ,विधु विनोद चोपड़ा कि फरारी की सवारी l
लकड़ी की काठी के बाद बच्चो का कोई गाना यदि हिट हुआ है ,तो वो शायद 'बम बम बोले' ही है .इसको गाते समय आपको कैसा लगा था ?
मुझे लगा कि बच्चो का गाना है ,तो थोडा सरल ही रखना चाहिए l इसके बोल मुझे बहुत अच्छे लगे थे "हम जैसे देखें ये जहाँ है वैसा ही "इस दुनिया को यदि हम अच्छे से देखेंगे तो वैसी ही दिखेगी क्यों हम इसको बुरा बनाते हैं lमै बच्चों से बहुत प्यार करता हूँ और बच्चों का गाना मुझे मिल भी जाता है l "बमबम बोले "एक फिल्म भी आई थी उसमे मेरा एक गाना है ,रौकी मौन,स्टेनली का डिब्बा .इन सभी में मेरे गाने हैं l
आपके शब्दों में आपकी गायिकी की विशेषता क्या है ?
ऐसा तो कभी मैने सोचा नहीं पर मुझे लगता है कि मै कोशिश करता हूँ कि गाना जो कहना चाहता है उस पर ज्यादा ध्यान दूँ न की अपनी गायिकी पर l गाना यदि मुश्किल हो तो भी मै उसकी कठिन बात हो उतना उजागर नहीं करता l उसको आसान बना के गाता हूँ l मुझे लगता है कि ऐसे गाने लोगों को ज्यादा पसंद आते हैं l
क्या आपके बेटों को भी संगीत का शौक है ?
मेरा बड़ा बेटा जिसका नाम सोहम है ,बहुत अच्छा पियानो बजता है lअभी डैलस में और न्यू योर्क में उन्होंने स्टेज पर बजाया भी था ,जो लोगों को बहुत पसंद आया था l छोटे का नाम शुभ है वो तबला बजाना सीख रहा है lसंगीत से उतना जुडाव नहीं है जितना होना चाहिए l सोहम तो सॉकर प्लेयर बनना चाहते हैं l अब आगे देखिये क्या होता है l
क्या आप बेटों को गाने गा के सुलाते हैं ?
नहीं वो कहते हैं गाने तो हम सुनते ही है मुझे उनको कहानी सुनानी होती हैl
अमेरिका में आपका अभी तक दौरा कैसा रहा ?
बहुत ही अच्छा रहा अभी तक मै ८ शो कर चुका हूँ और सभी जगह लोगों ने बहुत पसंद किया l जितने भी शो हुए हैं सोल्ड आउट शो रहे हैं l लोगो का बहुत प्यार मिला है l
इसको आप यहाँ भी पढ़ सकते हैं
http://hindi.thepressvarta.com/index.php?option=com_content&view=article&id=350:2011-07-01-03-14-51&catid=4:entertainment&Itemid=3
http://www.hindimedia.in/index.php?option=com_content&task=view&id=15804&Itemid=46
अरे क्या बात है ...शान का अंदाज मुझे भी बहुत पसंद है.सहज और मधुर.
ReplyDeleteऔर आपके प्रश्नों से उन्हें जानने का और मौका मिला.
बढ़िया साक्षात्कार.
वाह.. क्या बात है। शान से रूबरू कराने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
ReplyDeleteaap dono ka bahut bahut dhnyavad
ReplyDeleterachana
शान जी से रूबरू करने के लिए आभार...शानदार प्रस्तुति.
ReplyDelete_______________
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