मन अँधेरा
दिए जलने से क्या
मिट जायेगा
२
दब गयी थी
पटाखों के शोर में
चीख उसकी
३
दीप जलाओ
पडोसी के चौखट
बाँटो खुशियाँ
४
ज्ञान का डीप
हर आँगन चले
इस दीवाली
५
मन हो साफ
घर के साथ साथ
इस दिवाली
६
हवा न रोये
धुंए के जहर से
इस दिवाली
७
धरा लजाये
दुल्हन सी सजे के
घूँघट ओढ़े
८
बम का शोर
बंद कर के कान
धरती बैठी
९
जला आनर
अम्बर खिड़की से
झांके है चाँद
१०
सभी बुलाएँ
लक्ष्मी जाएँ किधर
सोच में पड़ी
दिए जलने से क्या
मिट जायेगा
२
दब गयी थी
पटाखों के शोर में
चीख उसकी
३
दीप जलाओ
पडोसी के चौखट
बाँटो खुशियाँ
४
ज्ञान का डीप
हर आँगन चले
इस दीवाली
५
मन हो साफ
घर के साथ साथ
इस दिवाली
६
हवा न रोये
धुंए के जहर से
इस दिवाली
७
धरा लजाये
दुल्हन सी सजे के
घूँघट ओढ़े
८
बम का शोर
बंद कर के कान
धरती बैठी
९
जला आनर
अम्बर खिड़की से
झांके है चाँद
१०
सभी बुलाएँ
लक्ष्मी जाएँ किधर
सोच में पड़ी
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