Saturday 16 April 2011

इस सड़क के

इस सडक के
नित्य बदलें नए चोले

सुबह के आँचल में
रात की कहानी
सडक के किनारे
बिखरी है जिन्दगानी
खुशियाँ चुप रहें
दर्द हौले से बात खोले
इस सडक के नित्य बदलें
नए चोले

कहीं सेहरे
कहीं अर्थी के फूल
नैनो में चुभते
हादसों के शूल
शब्द बिक गये
सत्य को अब कौन बोले
इस सडक के नित्य बदलें
नए चोले

भूख से जन्मी
घरती की कली वो
सड़क की गोद में
बे मौसम पली वो
रंगों की चाहत में
रिबनों-सी उड़े डोले
इस सडक के नित्य बदलें
नए चोले
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