Sunday 10 June 2012

बहुत दिनों से कुछ ब्लॉग पर लगा नहीं पाई क्योंकी  भारत गई थी lआज   पावन माँ  गंगा पर कुछ हाइकु आप सभी के सामने है .आशा है आपको पसंद आयेंगे


सम्भालो मुझे
दिखुंगी  नक़्शे पे ही
सूखी  अगर
-०-
यथार्थ हूँ मै
बन ना जाऊं किस्सा
चेतो तो जरा
-0-

पावन गंगा
धोये औरों  के  पाप
तो मैली हुई
-०-
 रोती है गंगा
कैसे है  कपूत ये
विधवा किया
-०-
गाड़ी बल्लियाँ
तट को मैला किया
मै तो माँ थी न ?
-०-
विचार करो
कहते हो गंगा माँ
तो उपेक्षा क्यों ?
-0-

-०-
तुम्हारी हूँ माँ
मात्र  नदी  नहीं मै
उजाडो मत
-०-
धरा पे  आई
शिव की जटा छोड़ी
सूखने ना दो
-०-
शिव की प्यारी
मै पावन हूँ गंगा
माता तुम्हारी
-०-
लाया गंगा को
पापा धोने के लिए
भगीरथ था