Wednesday 13 November 2013

बरसे प्यार
सब के  आँगन में
माँ का आशीष
-० -
बाधा हटाये
हर कष्ट हरे वो
शेरा वाली माँ
-०-
भारत हर्षे
हो पापीयों का नाश
कृपा करो  माँ
-०-
महिषासुर
मर्दिनी तू अम्बे  है
रक्षा करो माँ

-०-
माँ जगदम्बे
तेरे होते क्यों बच्चे
हुए  अनाथ
-०-
तू है  महान
मैया तेरी आरती
तीर्थ सामान
-०-
नैनो की ज्योति
करे  जग उजाला
तू ही सहारा

शूल धारिणी ,
खडग धारिणी माँ
तेरी जय हो

भद्रकाली  माँ
तू सौभाग्य दायिनी
पाप नाशिनी

ब्रह्मचारिणी
सबके हृदय में
वास तिहारा

लाल बिंदिया
लाल रंग चुनरी
माँ का श्रृंगार

हलवा पूड़ी
जो श्रद्धा से बनाई
माँ मन भायी

वैष्णो देवी का
जब आये बुलावा
तभी जा पायें

महागौरी माँ
मेरे मन आँगन
कभी तो आओ

सदा करे जो
कवच का पाठ ,वो
हो भय मुक्त

आकर तू ही
 जल रूप में ,तृप्त
करे धरा को

तू ही विराजे
मेरे मन -आसन
महागौरी माँ

हो तेरी कृपा
तो अँधा भी देखे
सुख के रंग

भक्तों की पीड़ा
तुझसे बेहतर
समझे कौन ?

Wednesday 6 November 2013

 
 
 
 
 
गुत्थी एक ऐसी लड़की है जो हर शहर में मिल जाती है :-सुनील ग्रोवर
रचना श्रीवास्तव
"गुत्थी पलक ,पलक ऑडियंस ,ऑडियंस कपिल ,कपिल सिद्धू जी "परिचय देने का ये तरीका है गुत्थी का जो  'कॉमेडी नाइट्स  विथ कपिल 'में दर्शकों के बीच बहुत ही चर्चित और पसंदीदा किरदार है l प्रस्तुत है इस किरदार को बखूबी निभाने वाले सुनील ग्रोवर से की गई बातचीत के मुख्यअंश l


अपने  बारे में कुछ बताइएl
मै पंजाब के एक छोटे से शहर मंडितापवाली का रहने वाला हूँ lमेरे पिताजी बैंक में काम करते थे l जब मै छोटा था ,तो अपने  रिश्तेदारों की बहुत नक़ल उतारता था l मै कहता था छोटी बुआ की लड़ाई देखो और सभी बहुत मजा लेते थे उस समय मुझे ये समझ में नहीं आता था की लोगों को इतना अच्छा क्यों लगता था l

आपने कौमर्स की पढाई की फिर थियेटर ऐसा क्यों ?
हाँ मैने कौमर्स में दाखिला जरुर लिया था पर मुझे पता चल गया था की ये जगह मेरे लिए नहीं है lमै लोगों का  मनोरंजन करना चाहता था, अतः  मैने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में प्रवेश लिया lमेरे पिताजी पहले इस बात से सहमत नहीं थे की कॉमेडी का कोई भविष्य है. हुआ ये की एक बार मुझे स्टैंडअप करने पर कुछ पैसे मिले l मेरे पिता को विश्वास नहीं हुआ फिर उन्होंने आकर मेरा शो देखा तो उनको लगा की मै बहुत अच्छा कर रहा हूँ फिर उन्होंने मुझे सहयोग किया और फिर मैने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में प्रवेश लिया l

जब आप मुंबई आये थे क्या आपको काम पाने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा था ?
मुझे संघर्ष शब्द कभी समझ में नहीं आया lमै थोडा भाग्यशाली हूँ क्योंकी मुझे काम पाने के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ा lहाँ कभी काम थोडा कम रहा हो या जेब में पैसे कम हों तो मुझे लगा कि इस समय का आनन्द उठा लो ये समय दुबारा नहीं आएगा lएक बात और यहाँ कहना चाहूँगा की ये वो समय होता है जब कलाकार बहुत कुछ सीखता है l

आपको फिल्म जिला गाज़ियाबाद कैसे मिली थी ?
मैने  एक टी वी शो किया था 'कॉमेडी का महामुकाबला ".इस शो में मै अर्शद की टीम में था lहमारी अच्छी दोस्ती हो गई थी lतो एक दिन उनका फ़ोन आया उन्होंने कहा की एक रोल है तुम आकर देख लो यदि तुमको अच्छा लगे तो करना नहीं तो कोई बात नहीं है lमुझे रोल अच्छा लगा l मुझे लगा की कुछ अलग सा करने को मिलेगा और मेरे लिए चुनौती भी थी कि मै इस नकारात्मक भूमिका को इस तरह करूँ की दर्शकों को विश्वाश हो सके की मै बुरा हूँ(फिल्म में ) ना की उनको उसमे भी हँसी आये lहालाँकि ज्यादा लोगों ने फिल्म देखी नहीं तो पता  नहीं की उनको  मेरा रोल कितना अच्छा लगा l

कपिल के साथ काम करने में
और आपके साथ मंच पर और भी कलाकार होते हैं उनके साथ काम करने में आपको कैसा लगता है?
बहुत ही अच्छा लगता है lहम दोनों का कोमेडी करने का तरीका अलग है lहम दोनों एक दूसरे से सीखते हैं और एक दूसरे को बहुत हँसतें हैं lकपिल दूसरों को उसका काम करने की छूट भी देते हैं l
अन्य  साथी कलाकार जैसे अली ,कीकू ,उपासना जी के साथ  हमारा तालमेल बहुत ही अच्छा रहता हैl सभी बहुत ही अच्छे कलाकार हैं हम एक दूसरे के खिलाफ नहीं एक दूसरे के साथ काम करते हैं ताकि लोगों  का मनोरंजन कर सकेंl

आपके शो में बहुत से कलाकार आते हैं वो अपने पर किये गए मजाक से नाराज तो नहीं होते हैं ?
नहीं ऐसा नहीं है lजब की कुछ लोग तो चाहते हैं की उन पर जोक किये जाएँ lपर हम इस बात का ध्यान रखते हैं की यदि कोई बहुत बरिष्ठ कलाकार हैं ,तो हमारे मजाक से या चुटकुलों से उनके सम्मान को कोई ठेस न पहुंचे हम उनको गैग्स बता देते हैं और इस बात का ध्यान रखते हैं की वो मंच पर सहज महसूस करेंl

कौन से ऐसे कलाकार हैं जिनको खुद पर चुटकुले सुन कर आनंद आता हैl
अक्षय कुमार को बहुत ही मजा आता है .शाहरुख़ खान तो खुद बहुत जोक का हिस्सा बन जाते हैं और खूब आनंद लेते हैं . अजय देवघन भी बहुत आनंद लेते हैं फरहा खान के साथ शो किया है lउन्होंने भी बहुत मजे ले कर शो किया है l

कोमेडी नाईट विथ कपिल जिस मंच पर होता था उसमे आग लग गई थी l
जी हाँ बहुत ही दुखद हादसा था, पर हमने शो नहीं रोक हमने बिग बोंस के सेट पर शूटिंग की और आज हमने  एक नए सेट पर शूटिंग की है l मुझे उम्मीद है की लोगों को बहुत ही पसंद आएगाl

गुत्थी का चरित्र लोगों को बहुत पसंद आता हैl इस किरदार को इस तरह से करना है ,ये आपने कैसे सोचा?एक पुरुष हो कर एक लड़की के किरदार को इतनी सुंदर तरीके से कैसे कर लेते हैं ?
मै एक पुरुष हूँ तो लड़कियों को ही तो ध्यान से देखूंगा न lये तो ख़ैर मजाक की बात है वैसे मै एक छोटे से शहर का रहने वाला हूँ lवहां मैने इस तरह की लड़कियों को देखा है ,और उनके तौर तरीकों को भी देखा हैं वो गुत्थी की तरह की लगती हैं और ऐसी परिस्थितियों में गुत्थी की तरह ही व्यवहार करती हैंl  मेरा एक स्वभाव है की मै मनुष्य के व्यवहार को बहुत बारीकी से देखता हूँ गुत्थी एक ऐसी लड़की है जो हर शहर में मिल जाती है l

क्या  कभी ऐसा हुआ है की आप की स्क्रिप्ट कुछ और रही हो और मच पर जा कर आप सभी ने कुछ और किया हो?
अरे  ऐसा हो बहुत ही बार हुआ है lहमारे पास स्क्रिप्ट होती है पर कुछ ही देर में पता चल जाता है की हमारे चुटकुले दर्शकों को समझ में आ रहे हैं या नहीं यदि चुटकुले उनको समझ में नहीं आते हैं तो हम अपने जोक्स को मंच पर ही बदल देते हैं जिस बात पर लोग हंस रहे होते हैं मै उसी को जारी रखता हूँ lऔर कभी कभी तो बहुत सी ऐसी बातें में मंच पर करता हूँ जो स्क्रिप्ट में लिखी नहीं होती है lजैसे जो मै यानी गुत्थी परिचय देती है "पलक गुत्थी ,गुत्थी पलक पलक दर्शक "वो मैने खुद ही बना था एकदम से दिमाग में आया तो मैने किया और वो लोगों को बहुत पसंद आया हैl एक बार मै जिन्न बना था तो उसमे मैने कहा "हा हा भई बहुत अच्छे ,भई बहुत अच्छे "ये स्क्रिप्ट में नहीं था l


 आप ये साक्षात्कार नीचे दिए लिंक्स पर भी पढ़ सकते हैं l


 http://navbharattimes.indiatimes.com/movie-masti/television-news/Sunil-Grover-talks-about-his-character-Guthhi/moviearticleshow/24528926.cms

and

 http://www.hindimedia.in/2/index.php/2013-08-01-13-10-37/2013-08-01-13-17-12/4725-sunil-grover 

Wednesday 16 October 2013

उस दिन स्क्रिप्ट समय से आ गई होती तो कोलोनिअल कजिनस नहीं बनताः हरिहरन


दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित पद्मश्री हरिहरन जी जिन्होंने संगीत की लगभग हर शैली  में गाया  है फिर चाहे वो ग़ज़ल हो,गीत हो या पॉप .इनकी आवाज का जादू किसी भाषा विशेष का मोहताज नहीं है
जब ये गाते हैं तो इनके सुर हर खास और आम व्यक्ति की रूह को सुकून पहुँचाता है .हरिहरन जी पिछले दिनों साऊथ एशियन परफार्मिंग आर्ट्स फाउनडेशन के बैनर तले शो करने के लिए टल्सा आये थे उसी दौरान हेमा कुमार जी के सहयोग से मुझे ये साक्षात्कार लेने का मौका मिला l प्रस्तुत है पद्मश्री हरिहरन जी से एक आत्मीय बातचीत।

आप अपनी संगीत  यात्रा का श्रेय आप किसको देना चाहते हैं?
बहुत से लोग हैं मेरी मम्मी, जयदेव जी उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान साहब इन सभी का बहुत सहयोग रहा हैl  सही वक्त  पर सही गुरु मिले मुझेl मेंहदी हसन साहब को मैने  अपना रूहानी गुरु माना है तो उनका भी आशीर्वाद मेरे साथ है ऐसे बहुत से  लोग हैं जिनसे मुझे बहुत कुछ सीखने  को मिलाl

आपने बहुत से रागों  में गाने गए हैं पर आपका पसंदीदा राग कौन सा है?
भाग्य श्री ,मियां  की तोड़ी, साऊथ की राग है लतांगी और फटीकl फटीक एक छोटाराग है पर बहुत खुबसूरत राग है तो इस तरह के बहुत से राग है जिनमे गाना मुझे बहुत अच्छा लगता हैl


आपने नेहरु स्टेडियम (चिन्नई )में शंकर महादेवन जी के साथ एक कौन्सर्ट किया था .आप दोनो को साथ सुनना एक अलग अनुभूति है .आप उस  कंसर्ट के बारे में कुछ बताइए...

जी हाँ रचना मुझे याद है l वो बहुत अच्छा अनुभव था शंकर मेरे छोटे भाई जैसा हैl बहुत अच्छा गाता है l उसने भी कर्नाटक संगीत सीखा  है और मै तो कहूँगा की बहुत अच्छी तरह से सीखा  है l हममे कोई कॉम्पिटिशन नहीं होता है की कौन ज्यादा गए हम बस गाने पर ध्यान देते हैं इसी लिए शायद लोगों को बहुत अच्छा लगता हैl

जैसा  कि आपने कहा की जयदेव जी से भी आपने बहुत सीखा  हैl  जयदेव जी ने ही आप को फिल्म में पहला ब्रेक दिया था उसके बारे में कुछ बताइएl
जी वो फिल्म थी "गमन "मुज़फर अली जी आये थेl उस समय नहीं मालूम था कि मै गाने वाला हूँl मै रियाज़ करता था बस ,तो जब वो आये तो मै गाने लगा तो  जयदेव जी ने मुज़फ्फर अली जी की तरफ देखा, मुज़फ्फर अली जी मुस्कुराने लगे तो उसी समय जयदेव जी बोले की बेटा इसको याद करलो परसों तुमको आना है रिकॉर्डिंग के लिए l मै  तो एकदम हैरान हो गया ख़ुशी भी हो रही थी और डर  भी लग रहा था  l  हम गए मेरे साथ मम्मी भी आयीं थीl   भगवान की कृपा से पहला टेक ही सही हो गयाl  उन्होंने दो टेक लिया था पर फिल्म में पहला ही टेक रखा उस समय डबिंग भी नहीं थी।

आपने जैसा कहा कि उस समय डबिंग नही थी पर आज कल तो ये सुविधा है तो क्या आज कल गाना गाना ज्यादा आसान  हो गया है?

जी हाँ आसान तो हो ही गया हैl आजकल आप एक एक शब्द डब  सकते हैंl  पर मेरे ख्याल से ऐसा भी नहीं होना चाहिएl टेक्नॉलोजी का उपयोग  करना चाहिए दुरुपयोग नहीं करना चाहिएl  मेरे ख्याल से मुखड़ा गा लिया फिर अंतरा गा लिया यदि कही किसी पंक्ति में कुछ गलत हो गया तो उसको ठीक कर लिया पर ऐसा नहीं कि आप एक एक पंक्ति गा रहे हैं तो वो गाना नहीं होता है कुछ और ही बन जाता हैl

आजकल जो बच्चों के संगीत के शो होते हैं उन पर माता  पिता का बहुत दबाव होता है ये कहा तक सही हैl

बच्चे तो बहुत ही अच्छा गाते हैं l कुछ बच्चे तो इतना अच्छा गाते  हैं की आश्चर्य होता है कि ये ऐसा कैसे गा लेते है। .माता -पिता बच्चों पर जीतने  के लिए जो दबाव डालते हैं वो गलत है l बच्चों का मन कोमल होता है उन पर दबाव नहीं डालना चाहिए । ये संगीत का मंच है यहाँ  से उनको प्रसिद्धि मिलती हैl  ये उनके संगीत के सफ़र का आरंभ है अंत नहीं है l उनको ऐसा लगना चाहिए की जीता तो अच्छी बात है पर यदि नहीं जीता तो कोई बात नहीं है l संगीत तो है न आपके पास l यदि इस विचार के साथ प्रतियोगिता में भाग लेंगे तो अच्छा रहेगा और यही सही तरीका है भी हैl

संगीत के क्षेत्र में आने के लिए क्या आपको संघर्ष करना पड़ा था?

मैने संगीत में बहुत मेहनत की है रियाज़ किया है l रियाज़ से ही व्यक्ति की गायकी मजबूत होती है उसके बाद  भी मैने बहुत मेहनत की है l शुरू में मैने टी वी  धारावाहिकों के लिए भी गाया  हैl  उस्ताद आमिर खान साहब ने एक बहुत ही खुबसूरत बात कही थी " बेटा  रियाज़ करते रहो पता नहीं किस दिन रंग लाएगी ".मेरी आवाज अलग है उसको स्थापित करने में बहुत समय लगाl

अब्शारे ग़ज़ल आपका शायद पहला एल्बम था जिसमे आशा जी भी थीं   अपने संगीत निर्देशन में  आशा जी को गवाना और उनके साथ गाना कैसा था वो अनुभव बताइएl

"ग़ज़ल का मौसम "मेरा पहला एल्बम था .अबशा-रे -ग़ज़ल मेरा चौथा एल्बम था l मैने उसमे संगीत दिया था और आशा जी के साथ मैने इसमें गाया था l  इस एल्बम को करते समय मुझे थोडा डर लग रहा था क्योंकी दीदी बहुत ऊँचें स्तर की गायिका हैl उन्होंने करीब १५- २०  दिनों तक रियाज़ किया था l उन्होंने इतने सुंदर तरीके से गाया कि क्या कहूँ l उनका बहुत बहुत धन्यवाद हैl उनके साथ ये एल्बम करना मेरे लिए बहुत बड़ा माईलस्टोन हैl

आपने बहुत सी भाषाओँ में गाया है आप का उचारण बहुत शुद्ध और साफ होता है कैसे ?

मै सारी  भाषाओँ में बात नहीं कर सकता पर गा  सकता हूँ क्योंकि गाने का एक तरीका होता है ,यदि उस गीत के भावों  को आप समझ जाएँ और  रियाज़ करे साथ ही उसके शब्दों को कैसे बोलना है इस बात पर मेहनत  करे तो गाना अच्छा  बन जाता हैl  शब्दों को कहने का तरीका सबका अलग अलग होता है  जैसे मै शब्द को फेंकता नहीं हूँ बस कहता हूँ ,तो कोई भी शब्द आपके कानो को चुभता नहीं है l अतः तमिल तेलगु मराठी उर्दू हिंदी कोई भी भाषा हो आपको सुनने में मधुर लगेगीl

आपने भोजपुरी भाषा में भी गया हैl

जी हाँ क्या है कि गाने वाले तो थोड़ा अभिनय भी आना चाहिए ताकि वो गाने को उसके भाव के अनुसार ही गा  सके और मुझे लगता है की सुनने से आप बहुत कुछ सीख  सकते हैं जितना  ज्यादा आप उस भाषा को सुनेंगे  उतना ही ज्यादा आप उसको समझ पाएंगेl

आपने बहुत सी फिल्में भी की हैं कैमरे के सामने का अनुभव  कैसा रहा ?

मै  बहुत सालों  से विडिओ करता  रहा हूँ , तो मुझे कैमरे से डर नहीं  लगता हैl बिना किसी झिझक के मै अभिनय कर पाता हूँ l जैसे आप उठते हैं बैठते हैं उसी तरह से यदि आप कैमरे के सामने पेश आयेंगे तो सरल रहेगा और अच्छा अभिनय होगाl  मेरी एक फिल्म अभी आने वाली है "शादी के  साइड एफेक्ट "फरहान अख्तर और विद्या बालन है उसमे मैने एक छोटा सा रोल किया हैl  मै इसमें फरहान का पिता बना हूँl  ये फिल्म दिसम्बर या जनवरी में आने वाली हैl

आपने ए आर रहमान जी के संगीत निर्देशन में गाया है और उनके साथ बहुत से शो भी किये हैं उनके बारे में कुछ बताइएl

ए आर रहमान बहुत ही होनहार संगीतकार हैं और बहुत ही नेक इन्सान हैं और मै तो कहूँगा की वो मेरा भाई है उनके साथ काम करना बहुत ही सहज लगता है क्योंकि एक गाना मै उनसे सीखता हूँ और फिर गाता  हूँ l गाने का काम बहुत आसान  हो जाता है।

आपने बहुत से एल्बम निकाले हैं कौन सा एल्बम आपके ह्रदय के बहुत करीब है?

काश! और हाज़िर जो मैने जाकिर हुसैन के साथ किया था अभी जनवरी में हाज़िर एल्बम का दूसरा भाग रिलीज़ होने जा रहा है।
इसमें सारी ग़ज़लें हैं और जाकिर जी ने इसमें तबला बजाया  है l इसमें कुल ७ ग़ज़लें हैं ज्यादरतर रोमांटिक और  सूफियाना  ग़ज़लें हैं इसका वीडिओ अभी बनेगा जिसमे मेरा और जाकिर जी का जो भाईचारा है वो  दिखाया जायेगा l पहले वाले  हाज़िर एल्बम में एक ग़ज़ल है  'मरीजे इश्क का क्या है जिया जिया न जिया 'इसमें आगे हैं 'बेखयाली में चलन उसका बताया उसको /वो मिला भी तो पहचान न पाया उसको 'मुझे बहुत पसंद हैl

अपनी एल्बम के लिए आप गजलों का चुनाव कैसे करते हैं?

मै  गजलों को पढता हूँ और जो अच्छी लगती हैं उनको इकठ्ठा करता रहता हूँ .और फिर उसकी धुन बनाता हूँ।

आपने लता जी के साथ लम्हे फिल्म में  गाया।  उस समय सीधा रिकॉर्डिंग होती थी?

रिकार्डिंग के समय कुल मिला कर १३० लोग थे l वहां उन सभी के सामने हमें लता जी के साथ गाना था l सोचिये मेरी हालत क्या होगी? वो भी मै पहली बार लता जी के साथ गा रहा था l  पर लता जी को बहुत अच्छा लगा मेरा गाना उन्होंने बहुत बहुत आशीर्वाद दियाl

आपका एक पॉप ग्रुप है कोलोनियल कजिन इस को बनाने का विचार आपके मन में कैसे आया था?

लेसिले लेविस साहब के साथ मैने बहुत काम किया है एक दिन हम बैठे हुए थे जिंगल की स्क्रिप्ट नहीं आई थी तो हमको समय बिताना थाl लेज्बी जी (लेसिले लेविस) गिटार बजने लगे मै  सिंगर था चुप नहीं बैठ सकता था मै भी कुछ गाने लगा फिर सवाल जवाब होने लग, फिर उन्होंने अपना स्टाइल बदला तो मैने भी अपना भी स्टाइल बदला l इस तरह से आधे घंटे की  सुंदर जुगलबंदी बन गई तब लगा की इस काम को आगे बढ़ाना चाहिए l तो इस तरह से कोलोनियल कजिन ग्रुप बना ,और हाँ एक बात और यदि उस दिन स्क्रिप्ट समय से आ गई  होती तो ये ग्रुप नहीं बनताl

कोलोनियल कजिन नाम आपने कैसे सोचा ?

मै  लन्दन गया था मेरे एक दोस्त थे वहां पर, उन्होंने कहा की मै अपने  दोस्तों को कोलोनियल कजिन बुलाता हूँ ,तो मैने  कहा कि ये तो बहुत अच्छा क्योंकि कोलोनियल कजिन के असर से ही तो ये फ्यूज़न  बना है 'वी आर द कजिन ऑफ सेम कॉलोनी ।"

आपने पाकिस्तानी बैंड स्ट्रिंग के साथ काम किया .उनके साथ काम करके आपको कैसा लगा ?

उनके साथ काम करके बहुत ही अच्छा लगा वो सभी बहुत ही अच्छे लोग हैं और उनका संगीत भी बहुत ही अच्छा और अलग सा हैl उन्होंने मुझसे सम्पर्क किया और कहा कि ये गाना आप करेंl  मैंने कहा ठीक है फिर उन्होंने मुझे फैक्स भेजे फिर मैने भारत में ही उस गाने को डब किया उसके बाद हम दुबई में मिले और इस गाने का विडिओ भी किया l हम अच्छे दोस्त हैं और जब भी वो मुम्बई आते हैं तो हम मिलते हैंl

आपको अपनी संगीत की इस यात्रा में कौन सा समय या कौन सी  उपलब्धि सबसे अच्छी लगती हैं?

बहुत सी ऐसी बातें हैं जो मेरे लिए बहुत मायने रखती हैं एक जब भारत सरकार  ने मुझे पद्मश्री दिया। जब मुझे पता चला कि मुझे पद्मश्री मिला है तो उस समय मै हैरान हो गया था l तब  मुझे लगा कि वाकई मैने कुछ गंभीर काम किया है और इस काम को मुझे आगे बढ़ाना चाहिए येl पुरस्कार एक बड़ी जिम्मेदारी है अतः इस क्षेत्र में जितना भी काम कर सकते हैं जरुर करना हैl
दूसरा, एक वो समय जब हमने कोलोनियल कजिन बनाया थाl  हम जिस भी गली में जाते थे लोग कृष्णा गाते सुनाई देते थेl  एक बार मै और लेज्बी दुबई हवाई अड्डे पर उतरे। हम बाहर आ रहे थे तो हमने देखा की १० -१२ बच्चे हमें देखते ही हमारे पीछे आग ये और कृष्णा गाने लगेl

आपके बच्चों को भी संगीत का शौक है ?

मेरा जो बड़ा बेटा है उसका नाम है अक्षय हरिहरन इलेक्ट्रो इंडिया विचार पर एक  एल्बम बना रहा हैं तो उनमे मैने  कुछ गाने गए हैं अभी हाल ही में उनका हिंदी फिल्म का संगीत एल्बम रिलीज हुआ है जिसका नाम है 'ब्लेक होम, 'ये फिल्म रिमांड होम फॉर वीमेन पर आधारित  है l अभी ये फिल्म बन रही है मेरे ख्याल से जनवरी फरवरी तक रिलीज हो जाएगी। इस में आशा जी ने एक प्रार्थना गाई है और मैने एक ठुमरी गाई हैl  मेरे दूसरे  बेटे का नाम करण  है उनका रुझान अभिनय की तरफ हैl

टल्सा में अभी आपने शो किया वहां के श्रोताओं के बारे में आप क्या कहेंगे?

बहुत ही अच्छी ऑडियंस थी वहां पर l  उन्होंने सारे गाने पता थे और उन्होंने मुझे बहुत प्यार से सुना तो  वहां पर गाकर  बहुत ही आनंद आयाl

उर्दू ब्लूस ये एक नया शब्द आपने दिया है l क्या है ये उर्दू  ब्लूस ?

ब्लूस  शैली जो अंग्रेज लोग गाते हैं और उर्दू शायरी बहुत करीब है l ब्लूस में खुशियाँ गम गुफ्तगू सब कुछ है l  ब्लूस को बहुत  मधुरता से नरमी से ये गाते  हैं .मुझे लगा गजले  ब्लूस जैसी ही तो है तो मैने सोचा की इनको मिलाया जाये और इनको मिला के उर्दू ब्लूस बना l  अभी हाज़िर २ में भी एक उर्दू ब्लू गाना हैl

आपको ऊँचे सुर और माध्यम सुर दोनों को अच्छी तरह से गा  लेते हैं l पर आपको किस सुर में गाना ज्यादा पसंद है?

मुझे ठहराव के साथ जो सुर लगते हैं वो गाने में आनन्द आता है।

आपके गानों की  बहुत से लोगों ने प्रसंशा की होगी पर कोई ऐसी प्रसंशा जो आज तक आपको याद हो...

मेरा सेनफ्रांसिस्को में एक प्रोग्राम था अफगान एसोसिएशन के लिए, उन दिनों  आशा दीदी भी वहीँ थी, तो मैने उस ग़ज़ल कार्यक्रम के लिए उनको आमन्त्रित किया था तो उन्होंने का की हरी मै आधे घंटे के लिए आऊँगी उसके बाद मुझे जाना है; तो मेने कहा कि दीदी आप आएँ यही  बहुत बड़ी बात हैl दीदी आईं और उन्होंने करीब ३ घंटे और ३०  मिनट तक मुझे सुना l मेरे लिए ये बिना कहे हुए  ये बहुत बड़ी प्रसंशा थीl

हमारे पढ़ने वालों को कोई ऐसे बात जो आप कहना चाहेंगेl

जी बस यही कहूँगा की आप संगीत सुनियेगा .संगीत हर घाव भर देता है ये ख़ुशी देता है संगीत सुनिये और अच्छा संगीत सुनिए।



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07 October cityking Newspaper   on page 3

Tuesday 17 September 2013

चम्पे की छटा ने
मौसम का घर लूटा

पेड़ की फुनगी पे बैठी
मंद मंद मुस्काए   
आती जाती घटाओं  का
दिल ये लुभाए   
दादी की धोती पर
ज्यों हल्दी का छीटा 
चम्पे की छटा ने
मौसम का घर लूटा

हरे पात का बिछौना
जिस पर चम्पा सोये
पलकों के खेतों में
सपनो के बीज  बोये
सफ़ेद मखमल पर कढ़ा
पीले रंग का बूटा
चम्पे की छटा ने
मौसम का घर लूटा

हवा की डोली चढ़
सुगन्ध इसकी डोले
जो बीजे प्यार से
ये उसी की हो ले
 आँसू आये  आँख में
साथ जो  छूटा
चम्पे की छटा ने
मौसम का घर लूटा

चंपा के छाँव तले
बाबा डाले खटिया
फ़्रोक  में फूल बटोरे
मालिन की बिटिया
दूध - कटोरे में
केसर का रंग फूटा
चम्पे की छटा ने
मौसम का घर लूटा
 भारत की खुशबू  यहाँ भी आती है


भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है
जब बेटी घर में आरती गाती है

हरी चूड़ियों के
गीत वहाँ बजते हैं
सावन आते ही
पेड़ों पर झूले पड़ते हैं
सजनी जो
'ऐ जी' कह कर बुलाती है
भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है

तिरंगे से उगे सूरज
जग सबेरा हो
यादों के पंछी का
गली बसेरा हो
"जन गण" की धुन
रूह सहलाती है
भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है

पावन धरती दे
नदियों को सहारा
रंगबिरंगी बोली से
रंगा देश सारा
स्नेह घूप
मन- आँगन महकाती है
भारत की खुशबू
यहाँ भी आती है
क्यों हमने घर छोड़ा था ?

सुख चादर
में छेद मिले
लहरों लहरों भेद मिले
जेब भरी
मन खाली था
जीवन बना रुदाली था
फिर भी नाता जोड़ा था
क्यों हमने घर छोड़ा था ?

घर में
खुशिया चलती थी
ताख उम्मीदें पलती थी
माथे
अगर पसीना हो
अम्मा पंखा झलती थी
जो था क्या वो थोडा था ?
क्यों हमने घर छोड़ा था ?

सावन
आँगन उतरे
वसंत किवाड़ सजाये
शाम ,
सिंदूरी धूप से
आकर घर रंग जाये
इस दृश्य से मुँह मोड़ा था
क्यों हमने घर छोड़ा था ?

Tuesday 26 March 2013

उड़ने लगे रंग

फागुन की झोली से
उड़ने लगे रंग

मौसम के भाल पर
इन्द्रधनुष चमके 
गलियों और चौबारों के
मुख भी दमके
चूड़ी कहे साजन से
मै  भी चलूँ संग

पानी में घुलने लगे
टेसू के फूल
 नटखट उड़ाते चलें
पांवो से घूल
 लोटे में घोल रहे
बाबा आज भंग

सज गई रसोई
आज पकवान चहके
हर घर मुस्काते चूल्हे
हौले से दहके
गोपी कहे कान्हा से
न करो मोहे तंग