Saturday 16 April 2011

आहत

आज फिर लड़के वाले शादी के लिए मना कर के चले गए । आज फिर एक बार उम्मीद ने पनपने से पहले दम तोड़ दिया सोमनाथ जी जो अभी मेहमानों के आने से पहले बड़े उत्त्साह से एक एक चीज का मुआयना कर रहे थे अभी वो दुःख और अपमान से बैठक में चहलकदमी कर रहे थे । तभी सुमना ने कहा -“ऐ जी ! क्या होगा अपनी अम्या का । ये पाँचवाँ रिश्ता है ,जो मना हो गया । क्या अपनी बेटी जीवन भर कुँवारी बैठी रहेगी?”-। कहकर श्रीमती सुमना रोने लगीं । श्रीमती  जी के इन शब्दों ने उनके अन्दर के ज्वालामुखी को विस्फोट की  हद तक सुलगा दिया   ।
वो लगभग चिल्ला उठे- "सब कुछ मेरे कारण हो रहा है मै कैसा अभागा पिता हूँ !मैने अपनी बेटी का जीवन बर्बाद कर दिया" ,कहते हुए सोमनाथ जी बालकनी में आ ग । बाहर वर्षा कि बूदें अठखेलियाँ कर रहीं थी और कण कण को भिगो रहीं थीं और इधर सोमनाथ जी का अंतर्मन रो रहा था 
उस दिन बगीचे में  काम करते हुए वो सभी गमले को ठीक कर रहे थे । कल आई आँधी ने सब कुछ इधर -उधर कर दिया था कुछ गमले तो टूट भी गए थे  ।
“अम्या बेटा !इधर आओ तुम जरा ये गमला पकड़ लो ,तो मै इनको बाँध दूँ ;वर्ना ये सारी मिटटी बह जाएगी।”
जी पापा  !”-कहती अम्या ने आके गमला पकड़ लिया -“ पापा मिटटी यदि बह गई तो क्या हुआ, आप दूसरी डाल देना”-7 साल  की अम्या ने प्रश्न किया ।
बेटा ,मैने इसमें खाद डाली है । फिर इस पौधे को यदि दूसरी मिट्टी और खाद में डालेगे तो इसको उसमे पनपने  में  समय लगेगा और तब तक य सूख भी सकता है।”
 बातों- बातों में  दो गमले बँध गए सोमनाथ जी ने तार से बहुत मजबूती से गमलों को बाँध दिया । तीसरे गमले को बाँधते समय अम्या ने कहा-“पापा इसके बाद मै खेलने जा सकती हूँ?”
हाँ ,हाँ जरुर बेटा।”  तभी अम्या चिल्लाई  पापा और उसने दोनों हाथों से अपनी बायीं  आँख पकड़ ली । उसकी हाथो की झिर्रियों से रक्त निकल  कर उसके गालों पर बहने लगा । बेटा मेरा बेटा”- कह कर सोमनाथ जी ने जब उसका हाथ हटाया तो उनके  होश उड़ गए । गमला बाँधते समय हाथ से तार छूट कर अम्या की आँख में लग गया था । वे तुरन्त अस्पताल के लिए दौड़े थे डॉक्टर ने कहा कि उसकी यह आँख बर्बाद हो चुकी है । घाव भरने पर वहाँ नकली आँख लगा दी गई ।
अम्या के बापू चलो, अन्दर चलो; नहीं तो ठण्ड लग जाएगी । सुमना की  आवाज ने उनकी तन्द्रा तोड़ी । सोमनाथ जी पानी की बौछार से पूरा भीग चुके थे पर य पानी ,उनकी छटपटाहट की अग्नि को शांत न कर सका । सुमना ने देखा उनकी आँखें दर्द की किरचों से लाल थीं ।


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