किरणों का टीका
धरती के माथे
किरणों का टीका
सूरज उतरे आँगन लीपे
हवा भर लायी
खाली पीपे
दूब हथेली ओस का छीटा
रोया बादल
ठण्ड ने पीटा
रंग मौसम का हो गया फीका
धरती के माथे
किरणों का टीका
पहन के स्वेटर
ठण्ड निकली
माथे उसके सरकी टिकली
सूरज मध्यम
कोहरा लौटा
घुंघ ने फिर आज दूध औटा
कांपती हांड़ी जा बैठी छीका
धरती के माथे
किरणों का टीका
टिकली (या टिकुली जिसको बिंदी भी कहते हैं )
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