Monday, 24 November 2014

आज कुछ माहिया .शायद आपको पसंद आये


हर ओर दिवाली है
घर तो सूना है
 और जेब  खाली है

चौखट पर दीप जले
मन अँधियारा है
नीले गगन के तले

तुम आज चले आना
मन के चौखट  पर
 दीप जला  जाना

बापू उदास लेटे
पटाखे मत मांग
चुप हो जा तू बेटे

दो दिन से काम नहीं
आज  दिवाली है
देने को दाम नहीं

हमको  आराम नहीं
दुआ  गरीबों की
सुनते क्यों राम नहीं

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