Saturday 22 February 2014

शगुन  का संगीत
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मंडप के नीचे खड़ा
शगुन  का संगीत

उबटन की 
कटोरी चहके
निखरे बन्नी का रूप
जैसे फूलों के माथे पर
हल्की हल्की धूप 
चंचल हुए नैन मिला जो उनको मीत
मंडप के नीचे खड़ा शगुन का संगीत

पंडित के
कांधे चढ़
मन्त्रों की डोली आयी
फेरों का हाथ पकड़
सात वचन संग  लाई
ढोलक - मंजीरे ले कर आये मंगल गीत
मंडप के नीचे खड़ा शगुन का संगीत

मांग की
गलियों में
सिन्दूर ठुमक डोले
मन की कोरी गागर में
  प्रेम रस घोले
बने नये रिश्ते गिरी पुरानी भीत
मंडप के नीचे खड़ा शगुन  का संगीत


कोहबर में
देवता बैठे
करते  इंतजार
दरवाजे भाभी खड़ी
 मांगे नेग हज़ार
मौर -मौरी आपस में करते बात चीत
मंडप के नीचे खड़ा शगुन का संगीत

1 comment:

  1. अहा! मनोरम रचना, बहुत खूबसूरत. बधाई.

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