Thursday 8 December 2011

हाइकु मुक्तक

सरस्वती सुमन का अक्तुबर -दिसम्बर अंक ‘मुक्तक विशेषांक’ के रूप में अब तक प्रकाशित किसी भी पत्रिका का सबसे बड़ा विशेषांक है ।इस अंक के सम्पादक हैं-जितेन्द्र जौहर । इसमें भारत और देशान्तर के  लगभग 300 रचनाकर सम्मिलित किए गए  हैं।इस अंक में 6 साहित्यकारों के हाइकु मुक्तक भी दिए गए हैं; जिनमें   भावना कुँअर ,डॉ हरदीप सन्धु आस्ट्रेलिया से, रचना श्रीवास्तव , संयुक्त राज्य अमेरिका से और तीन भारत से  हैंरचना श्रीवास्तव के हाइकु मुक्तक यहाँ दिए जा रहे हैं -  प्रस्तुति -रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’


रचना श्रीवास्तव
1
बर्षा की बूँदें  /महकाएँ   सभी के  / ये अंतर्मन
यही बूँ
दें तो /है किसान के लिए /उसका  धन
धरा हो तृप्त /हर्षा
,भर जा /घर का कोना
नये वस्त्र से /सज जा
एँगे अब /सभी  के तन।
2
बरसे नैना /सावन  में प्रतीक्षा  / करे बहना
कब आ
एँगे/ भैया ,राह तके वो  / दिवस- रैना
बिन गलती / परदेस में  भेजा / काहे बाबुल
भैया मिलन  /नैना तरसे अब   /दुःख  सहना ।
3
स्वयं को भूल / बदला परिवेश/
टूटा कहर
आधुनिकता /की हवा लगी, गाँव /हुए शहर
आत्मकेन्द्रित /हुआ इन्सान अब /भूला संस्कृति
कहे न अब/  पथिक से  कोई
कि /दो पल ठहर ।
4
अम्बर रो
/ धरती का संताप /सह न पा
धमाके गूँ
जे / तो धरा हुई लाल/ माँ पछता
मानव
रे /मानवता का खून / ये कब तक ?
खाली बातों से /जख्मो पे म
हम / काम न आए ।
-0-

2 comments:

  1. अच्छा लगा सरस्वती सुमन के बारे में जानकार ..!
    आभार !

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  2. सभी मनभावन हाइकु मुक्तक , हार्दिक बधाई.

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