tag:blogger.com,1999:blog-2213443543606699804.post9156197616877158376..comments2024-03-01T18:46:32.559+05:30Comments on मेरा साहित्य: आँखों में अटका था बस एक ही सपनामेरा साहित्यhttp://www.blogger.com/profile/09177331730604295287noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-2213443543606699804.post-14889680085240457742012-07-07T07:54:10.997+05:302012-07-07T07:54:10.997+05:30Sundar our behatar.Sundar our behatar.दिनेश शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04611824902026596107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2213443543606699804.post-71943753949558667352011-07-27T10:15:31.104+05:302011-07-27T10:15:31.104+05:30सुंदर और मार्मिक चित्रण ..................जिंदगी क...सुंदर और मार्मिक चित्रण ..................जिंदगी की हकीकत |<br />बस एक दो वर्तनी की अशुद्धियों नजर आई कृपया सम्पंदन करें |Anant Alokhttps://www.blogger.com/profile/14026328505899144906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2213443543606699804.post-88890280384734539502011-07-26T02:51:25.673+05:302011-07-26T02:51:25.673+05:30जब भी जला चूल्हा
तेरी ही ख्वाहिशें पकीं
तू उड़न...जब भी जला चूल्हा <br />तेरी ही ख्वाहिशें पकीं <br /><br />तू उड़ने लगा <br />ऊँचा उठा तो <br />ये न देखा <br />कि तेरे पैर उनके कन्धों पर हैं <br /><br />अंतिम यात्रा तक <br />आँखों में अटका था <br />बस एक ही सपना <br />साबुत चप्पल, नई कमीज़ और एक साइकिल। <br /><br />रचना जी पता नहीं कितनी आँखों में ऐसे सपने अटके रह जाते हैं और ज़िंदगी भर बच्चों के सपनों की परवाज़ को पंख देने के लिए ना जाने कितने लोगों के ऐसे जमीनी सपने भी अधूरे रह जाते हैं... अंतिम यात्रा तक /आँखों में अटका था /बस एक ही सपना/साबुत चप्पल, नई कमीज़ और एक साइकिल। ... इस लाइन ने तो आँखों में आँसू ही ला दिए..Anonymousnoreply@blogger.com